बीएलओ की समस्या को समझा जाए (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) चल रहा है। राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद देश की सबसे बड़ी अदालत अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यवस्था दी है कि एसआईआर चुनाव आयोग का अधिकार है। इस एसआईआर में बूथ लेबल अफसर (बीएलओ) सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बीएलओ को क्या दिक्कत है, इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा। उत्तर प्रदेश में ही इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पंाच बीएलओ की मौत हो चुकी थी। इनमें तीन की मौत तबीयत बिगड़ने से और दो बीएलओ ने आत्महत्या कर ली है। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की तरफ से राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि अब तक बीएलओ को प्रतिमाह 500 रूपये मानदेय मिलता है लेकिन यह अपर्याप्त है। इसे बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिमाह कर दिया जाए। उम्मीद है कि सरकार बीएलओ का मानदेय बढ़ाएगी लेकिन इसके साथ बीएलओ की परेशानियों को समझना होगा। राजनीतिक दलों का विरोध अपनी जगह है लेकिन यह समस्या भी नजरंदाज नहीं की जा सकती। यूपी में 1.62 लाख बीएलओ एसआईआर ड्यूटी पर लगे हैं। यहां पर चार दिसंबत तक गणना प्रपत्रों को भरकर जमा कराना है।
उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का पहला चरण पूरे राज्य में तेजी से पूरा किया जा रहा है। ऐसे में कभी किसी जिले से तो कभी कहीं से कुछ न कुछ परेशानी सामने आ रही है। हाल ही में श्रावस्ती जिले में एसआईआर प्रक्रिया में लापरवाही के लिए पांच बीएलओ को निलंबित कर दिया गया था। अब अमरोहा में एक बीएलओ का दुख डीएम साहिबा के सामने छलक गया। उन्होंने बताया कि किस तरह लोग गलत तरीके से बात करते हैं और धमकी तक देते हैं। ऐसे में जिलाधिकारी ने भी स्थिति को बड़े ही आराम से संभाला। उन्होंने बीएलओ को समझाकर उनका हौसला बढ़ाया। दरअसल, अमरोहा जिले में एसआईआर तेजी से चल रहा है। इसी क्रम में 26 नवम्बर को डीएम निधि गुप्ता वत्स ने गजरौला के शिव इंटर कॉलेज का निरीक्षण किया। उस दौरान विशेष पुनरीक्षण अभियान में लगे बीएलओ और अन्य कर्मचारियों से बातचीत कर फीडबैक लिया। तभी मेरठ की रहने वाली एक बीएलओ गीता ने डीएम साहिबा को अपना दुखड़ा बताया। उन्होंने कहा कि कई लोग हैं, जिनके गांव और शहर में दो-दो वोट हैं। जब वो उनसे इसे काटने की बात कहती हैं तो ये धमकी देने लग जाते हैं। गलत तरीके से बात करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ये लोग कहते हैं कि हमारी डीएम जी से सीधा जान पहचान हैं। एक वोट नहीं कटने देंगे। इस पर डीएम निधि ने बीएलओ को प्यार से समझाया। उन्होंने कहा कि आप अपने काम को सही से करें। किसी से घबराने की जरूरत नहीं है। अगर दो जगह वोट हैं तो आप अपने ग्राम प्रधान या सभासद को इस बारे में लिखकर दे दें। इस पर बीएलओ ने हामी भरी। वहीं, निरीक्षण के दौरान जहां-जहां काम धीमी गति से होता दिखा, वहां डीएम साहिबा ने बीएलओ को विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने उपस्थित लोगों से भी बातचीत की और उनसे समय पर फॉर्म भरकर जमा करने का आग्रह किया। उन्होंने फॉर्म भरने के लिए आवश्यक जानकारी भी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान गणना प्रपत्र भरने के लिए कुछ अराजक तत्व बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) या निर्वाचन विभाग का प्रतिनिधि बनकर मतदाताओं से मोबाइल नंबर पर ओटीपी मांग रहे हैं। डीएम निधि ने स्पष्ट रूप से कहा कि एसआईआर के गणना प्रपत्र को भरने की प्रक्रिया में बीएलओ स्तर पर ओटीपी नहीं मांगा जा रहा है। इस प्रकार की गतिविधियां साइबर ठगी या धोखाधड़ी के अंतर्गत संदेहास्पद हैं। यदि किसी मतदाता से फोन कॉल, मैसेज या अन्य माध्यम से ओटीपी मांगने का प्रयास किया जाता है तो ऐसी कॉल पर ध्यान न दिया जाए और न ही ओटीपी साझा करें।
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की ड्यूटी में तैनात एक और बीएलओ की मौत हो गई। देवरिया जिले में हुई शिक्षा मित्र बीएलओ की मौत के साथ ही उत्तर प्रदेश में जान गंवाने वाले बीएलओ की संख्या 5 हो गई है। इसमें तीन मौतें तबीयत बिगड़ने से और दो की जान आत्महत्या की वजह से गई है। देवरिया जिले में जान गंवाने वाली महिला बीएलओ शिक्षामित्र की पहचान रंजू दुबे के रूप में हुई है। रंजू माझा नारायण मठिया पांडे गांव की रहने वाली थी। रंजू के पति जगदंबा दुबे ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी रंजू रुद्रपुर तहसील क्षेत्र में बीएलओ ड्यूटी कर रही थीं। उसी समय सुपरवाइजर का मीटिंग के लिए फोन आया था और बैठक में फॉर्म भरने का लक्ष्य दिया गया था। इसी तनाव के कारण उनकी पत्नी की तबीयत खराब हो गई। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए लखनऊ ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में बस्ती पहुंचते-पहुंचते उनकी हालत और गंभीर हो गई। इसके बाद बस्ती के स्वास्थ्य केंद्र में उन्हें भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने भी उनके निधन की पुष्टि कर दी। इसके बाद हम शव को घर लेकर आए और आगे की कार्रवाई में पूरा परिवार जुट गया। इस घटना से पूरे परिवार में मातम का माहौल है। परिजन रो-रोकर बेहाल हैं। पति का कहना है कि ‘मेरी पत्नी इस दुनिया को छोड़कर चली गई। मुझे इसका पछतावा उम्र भर रहेगा। मेरे बच्चे अनाथ हो गए, उनका पालन-पोषण कैसे होगा?
रंजू के पति ने आरोप लगाते हुए कहा कि 25 नवम्बर की रात में सुपरवाइजर साहब का फोन आया था और कहां गया था 6 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सब लोगों को जुटाना है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई थी और उसमें 10.00 बजे तक 50 फॉर्म भरने का टारगेट दिया गया था। इस काम को लेकर उनकी पत्नी रंजू दुबे मानसिक अवसाद में आ गईं और उनकी तबीयत बिगड़ गई। लखनऊ ले जाते समय बस्ती के प्राथमिक चिकित्सालय में उनकी मौत हो गई।
हालांकि, रुद्रपुर तहसील के एसडीएम हरिशंकर लाल से इस मामले को लेकर जब फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई मीटिंग नहीं की गई थी न ही बीएलओ स्तर पर और न ही सुपरवाइजर स्तर पर। कुलमिलाकर कोई मीटिंग नहीं हुई थी।
घटना को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया और घटना की जानकारी देते हुए सरकार से रंजू दूबे सहित एसआईआर कार्य में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को एक करोड़ रूपया मुआवजा देने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार परिजनों को सरकारी नौकरी भी दे। बीएलओ की समस्या पर इस प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन आत्महत्या करने तक की अगर नौबत आ रही है तो समस्या गंभीर होगी। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



