लेखक की कलम

मोदी के मजबूत इरादे व आर्थिक विकास

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी मौजूदा 11 साल की सरकार की विपक्षी दल भले ही आलोचना करें लेकिन देश का आर्थिक विकास खुलकर सच्चाई बयान कर रहा है। देश मंे 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त का राशन देकर सरकार आर्थिक बोझ उठा रही है। उधर, रूस से नजदीकी के चलते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50 फीसद टैरिफ लगा दिया है। इसके बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर दूसरी तिमाही मंे भी 8.2 फीसद रही है। आर्थिक विकास दर की रफ्तार आगे भी अच्छी रहने के आसार माने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसीलिए कहा है कि जीडीपी अर्थात् सकल घरेलू उत्पाद की बेहद उत्साहजनक वृद्धि दर सरकार की विकासोन्मुखी नीतियों और सुधारों के प्रभाव को दर्शाता है। यह हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता का भी प्रमाण है। कृषि क्षेत्र और उससे जुड़े सेक्टर मंे साढ़े तीन फीसद विकास बढ़ा है।
जीडीपी का मतलब सकल घरेलू उत्पाद है। जीडीपी का अर्थ देश के भीतर आर्थिक गतिविधियों के मूल्य का माप है। सरल शब्दों में, जीडीपी को एक निश्चित अवधि में किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की अंतिम कीमतों के योग के रूप में परिभाषित किया जाता है। आईएएस परीक्षा के लिए श्भारत में जीडीपीश् से संबंधित तथ्यों को पढ़ना महत्वपूर्ण है और यह लेख आपको ऐसे सभी प्रासंगिक तथ्य प्रदान करेगा। जनवरी 2015 में, सरकार ने राष्ट्रीय लेखाओं के लिए 2004-05 के पुराने आधार वर्ष से नया आधार वर्ष 2011-12 कर दिया । राष्ट्रीय लेखाओं के आधार वर्ष को इससे पहले जनवरी 2010 में संशोधित किया गया था। नई श्रृंखला में, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को समाप्त कर दिया तथा मूल मूल्यों पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के रूप में उद्योग-वार अनुमानों का मूल्यांकन करने की अंतर्राष्ट्रीय प्रथा को अपना लिया। इस प्रकार नए आधार वर्ष के साथ, 2013-14 के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.9 फीसद अनुमानित की गई। 2004-05 के आधार वर्ष में यह 4.7 फीसद थी। इसी प्रकार, 2012-13 के लिए वृद्धि दर 4.5 फीसद से बढ़ाकर 5.1 फीसद कर दी गई।
पुरानी प्रणाली में, विनिर्माण और व्यापारिक गतिविधियों को मापने के लिए जीडीपी का इस्तेमाल किया जाता था। इसमें मात्रा में बदलाव तो शामिल थे, लेकिन मूल्य में बदलाव नहीं। नई पद्धति में, हम जीवीए (सकल मूल्य वर्धन) की अवधारणा का इस्तेमाल करते हैं, जो अर्थव्यवस्था में हुए मूल्यवर्धन को मापता है। पुरानी प्रणाली में, जीडीपी का अनुमान पहले आईआईपी आंकड़ों का उपयोग करके लगाया जाता था और फिर एएसआई (उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण) आंकड़ों का उपयोग करके इसे अद्यतन किया जाता था। एएसआई केवल उन्हीं फर्मों को ध्यान में रखता था जो कारखाना अधिनियम के तहत पंजीकृत थीं। नई प्रणाली में, एमसीए 21 के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है (एमसीए 21, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की एक ई-गवर्नेंस पहल है, जिसे 2006 में शुरू किया गया था। यह फर्मों अथवा कंपनियों को अपने वित्तीय परिणाम इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज करने की अनुमति देता है। इसके तहत 5,00,000 से अधिक फर्मों के आंकड़े एकत्र किए जाते हैं)। पुरानी प्रणाली में, कृषि आय की गणना के लिए कृषि उपज को एक प्रॉक्सी के रूप में लिया जाता था। नई पद्धति ने कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन की गणना का दायरा बढ़ा दिया है। पुरानी प्रणाली में, वित्तीय गतिविधियों पर विचार करने के लिए बहुत कम म्यूचुअल फंड और एनबीएफसी को शामिल किया जाता था। नई पद्धति में, स्टॉकब्रोकर, एसेट मैनेजमेंट फंड, पेंशन फंड, स्टॉक एक्सचेंज आदि को शामिल करके कवरेज का विस्तार किया गया है।
यूपीए सरकार के दौरान सकल निवेश और जीडीपी का अनुपात 38 फीसद (वित्त वर्ष 2008 से वित्त वर्ष 2011) के शिखर पर था, जबकि वर्तमान सरकार में यह 30.3 फीसद (वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2018) है (आर्थिक सिद्धांत के अनुसार, जितना अधिक निवेश, उतनी ही अधिक जीडीपी वृद्धि) तो फिर वर्तमान सरकार के दौरान जीडीपी वृद्धि पिछली सरकार से अधिक कैसे हो सकती है? ऐसा तब हो सकता है जब उत्पादन बहुत अधिक कुशल हो जाए और आईसीओआर (वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात) कम हो जाए। लेकिन वर्तमान सरकार के दौरान दोहरे झटकों-नोटबंदी और जीएसटी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि ऐसा नहीं होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आर्थिक रफ्तार ने सबको चैंका दिया है। चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश की जीडीपी ग्रोथ 8.2 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले साल की इसी अवधि (वित्तीय वर्ष 2024-25) के 5.6 फीसदी के मुकाबले काफी अच्छी उछाल है। यह जानकारी 28 नवम्बर को सांख्यिकी मंत्रालय ने जारी की है।यह तेजी सिर्फ दूसरी तिमाही में ही नहीं, बल्कि पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भी दिखी थी, जब जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी रही थी। इन दोनों तिमाहियों को मिलाकर देखें तो वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले हाफ (भ्1) यानी अप्रैल से सितंबर तक भारत की असली जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी रही है। यह पिछले साल के पहले हाफ (वित्तीय वर्ष 2024-25) के 6.1 फीसदी के मुकाबले काफी बेहतर है। इस छमाही में नॉमिनल जीडीपी का अनुमान 171.30 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले साल के 157.48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
यह जीडीपी ग्रोथ इसलिए बढ़ी क्योंकि सेकेंडरी (विनिर्माण और निर्माण) और टर्शियरी (सेवाएं) सेक्टरों ने कमाल दिखाया। इन सेक्टरों में क्रमशः 8.1 फीसदी और 9.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई। इससे 2025-26 की दूसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी ग्रोथ रेट 8 फीसदी से ऊपर चला गया। ये आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में कई तरह की मुश्किलें (जैसे अमेरिका का टैरिफ बढ़ाना) होने के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2025-26 की दूसरी तिमाही में 8.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ बहुत उत्साहजनक है। उन्होंने कहा कि सरकार सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखेगी और सभी के लिए जीवन को आसान बनाना सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, यह हमारी विकास-समर्थक नीतियों और सुधारों का असर दिखाता है। यह हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता को भी दर्शाता है। हमारी सरकार हर नागरिक के लिए सुधारों को आगे बढ़ाना और ईज आफ लिविंग को मजबूत करना जारी रखेगी। देश की जीडीपी में 14 फीसद हिस्सेदारी रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.1 फीसद की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की इसी तिमाही में यह बढ़ोतरी महज 2.2 फीसद थी। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी 7.2 फीसद की वृद्धि देखी गई, जो पिछली तिमाही के 7.6 फीसद से थोड़ी कम है। सेवाओं के क्षेत्र में फाइनेंस, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज ने सबसे ज्यादा 10.2 फीसद की छलांग लगाई है।लोगों के खर्च करने की क्षमता यानी रियल प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर में भी जबरदस्त उछाल आया है। यानी लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। यह वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में 7.9 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 6.4 फीसदी बढ़ा था। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में लोगों की आमदनी और रोजगार बढ़ रहा है।खेती-बाड़ी और उससे जुड़े कामों वाले सेक्टर ने 3.5 फीसदी की ग्रोथ हासिल की है। वहीं बिजली, गैस, पानी सप्लाई और दूसरी यूटिलिटी सर्विसेज वाले सेक्टर ने दूसरी तिमाही में 4.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की है। इस प्रकार भारत के आर्थिक विकास का रथ तेजी से दौड़ रहा है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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