विश्व-लोक

नेपाल में मधेश प्रदेश के सीएम सरोज का इस्तीफा

नेपाल के मधेश प्रदेश में जारी सत्ता संकट एक नए मोड़ पर पहुंच गया। पद संभालने के 22 दिन बाद ही मुख्यमंत्री सरोज कुमार यादव को इस्तीफा देना पड़ा। विश्वास मत हासिल करने के लिए उनके पास संख्या बल कम पड़ गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरोज यादव को प्रदेश सभा का विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया था। विश्वास मत हासिल होने की संभावना बेहद कम दिखने के बाद यादव ने प्रदेश सभा की बैठक में ही अपना इस्तीफा पेश कर दिया। विपक्षी दलों की अनुपस्थिति ने शक्ति परीक्षण को असंभव बना दिया था। बैठक में केवल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) के विधायक मौजूद थे। सरकार में शामिल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की मंत्री कंचन बिच्छा व नेपाल संघीय समाजवादी पार्टी की मंत्री बिमला अंसारी भी उपस्थित थीं। अपने इस्तीफे से पहले सरोज यादव ने आरोप लगाया कि उनकी नियुक्ति बाध्य स्थिति में की गई थी, इसलिए विश्वास मत का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा, सरकार में रहते हमने जनता का काम किया। मेरी प्रतिबद्धता कुर्सी से नहीं विधानसभा के सदस्यों से है लेकिन वे स्वयं ही सदन छोड़कर बाहर चले गए। सरोज यादव को पूर्व प्रदेश प्रमुख सुमित्रा सुवेदी भंडारी ने संविधान के अनुच्छेद 168 (3) के तहत सबसे बड़े दल के नेता के रूप में मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। बर्दिबास के होटल पानस कॉटेज में तड़के हुई यह नियुक्ति शुरू से विवादों में रही। विवाद के चलते संघीय सरकार ने प्रदेश प्रमुख भंडारी को पदमुक्त कर जनकपुर के सुरेंद्र लाभ कर्ण को नया प्रदेश प्रमुख नियुक्त करने की सिफारिश की थी।

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