लेखक की कलम

पुतिन की भारत यात्रा से जुड़ा नया अध्याय

भारत और रूस के संबंध केवल दो देशों के बीच एक लंबा आपसी भरोसा सिर्फ कूटनीतिक संबंध नहीं हैं, बल्कि यह सात दशकों से चले आ रहे परस्पर विश्वास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी की विरासत है। अनेक अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ावों के बीच भी यह दोस्ती अपनी स्थिरता और परंपरा के लिए पहचानी जाती रही है। यही कारण है कि भारत-रूस संबंधों को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ताजा दो दिवसीय भारत यात्रा से एक नए अध्याय के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते और व्यापक चर्चाओं ने इस साझेदारी को एक नया आयाम दिया है। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई वार्ता दूरगामी प्रभावों वाली भी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत-रूस संबंधों में यह क्षण डील ऑफ द डिकेड के रूप में दर्ज हो सकता है। रोजगार, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, कनेक्टिविटी और भविष्य की तकनीकों जैसे क्षेत्रों में जिस पैमाने पर समझौते हुए हैं, वह बताते हैं कि दोनों देश संबंधों को एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचा चुके हैं।

यह मोड़ केवल कूटनीति का नहीं, बल्कि आर्थिक, तकनीकी, ऊर्जा, नौकरी, हेल्थकेयर और वैश्विक राजनीति के हर पहलू का है। विशेष रूप से ऐसे समय में जब विश्व व्यवस्था तीव्र गति से बदल रही है, पश्चिम और रूस के बीच टकराव गहराया हुआ है, चीन का प्रभाव बढ़ रहा है और ग्लोबल साउथ नई भूमिका तलाश रहा है, भारत और रूस का यह नया अध्याय एशिया से यूरेशिया तक की भू-राजनीतिक धुरी को पुनर्परिभाषित करने की क्षमता रखता है। सबसे बड़ा संदेश इस यात्रा से यह निकल कर आया है कि भारत और रूस दोनों ही अब पारंपरिक मित्रता को आधुनिक वैश्विक जरूरतों के अनुरूप पुनर्स्थापित करना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, 30 दिन का फ्री वीजा और माइग्रेशन मोबिलिटी समझौता भविष्य में दोनों देशों के बीच मानव संसाधन के आदान-प्रदान को बेहद सरल बनाएगा।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ हुए समझौते में भारत सरकार ने 30 दिनों का फ्री ई-वीजा जारी करने की सुविधा देने की घोषणा की है। इससे भारत आने वाले रूसी पर्यटकों के लिए बेहद आसानी हो जाएगी। पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 79.7 फीसदी रूसी पर्यटक मनोरंजन, छुट्टियां बिताने, स्मारक देखने के लिए भारत आते हैं। करीब 11.2 फीसदी रूसी पर्यटक ही व्यापार के लिए आते हैं लेकिन वह भी ताजमहल समेत अन्य स्मारक देखने पहुंचते हैं। रूस के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं, लेकिन उसे कुशल कामगारों की जरूरत है। दूसरी तरफ भारत युवा शक्ति वाला देश है, जहां लाखों युवाओं के सामने नए रोजगार के अवसरों की खोज सर्वोपरि है। इस समझौते से भारत के युवाओं के लिए रूस में रोजगार के व्यापक अवसर खुलेंगे, वहीं रूस को योग्य प्रशिक्षित मानव संसाधन मिलेगा।

यह सहयोग केवल आर्थिक लाभ का नहीं, बल्कि दीर्घकालिक मानवीय और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी आधार बनेगा। भारत-रूस आर्थिक कार्यक्रम 2030 ने दोनों देशों की महत्वाकांक्षा को और स्पष्ट किया है। 100 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य साधारण नहीं है। वर्तमान परिस्थितियों में जब रूस पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण नए बाजार की तलाश में है, भारत उसकी आर्थिक संतुलन का विश्वसनीय भागीदार बनकर उभर रहा है। वहीं भारत के लिए रूस ऊर्जा, खनिज, दवाइयों, रक्षा और तकनीक का एक स्थाई स्रोत है। यह आर्थिक विस्तार दोनों देशों के लिए समान रूप से लाभकारी है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि इस बार सबसे अधिक फोकस हेल्थकेयर, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक पर किया गया । यह संकेत है कि संबंध अब केवल रक्षा सौदों या बड़े औद्योगिक समझौतों पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों और विकास की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

स्वास्थ्य साझेदारी में रूस की उच्चस्तरीय मेडिकल तकनीक और भारत की सस्ती जेनरिक दवाइयां, दोनों देशों को स्वास्थ्य सुरक्षा का नया मॉडल दे सकती हैं। मेडिकल रिसर्च और शिक्षा में सहयोग से युवाओं के लिए नए अवसर भी बनेंगे। समुद्री व्यापार पर हुए समझौते भी भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण हैं। आर्कटिक रूट और पोलर वाटर्स के माध्यम से नए शिपिंग कॉरिडोर विकसित करने पर भारत-रूस की सहमति अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों में भारत की भूमिका बढ़ाएगी। इससे भारत का समुद्री व्यापार वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम होगा। रूस के लिए यह आय का स्थाई स्रोत तथा एशियाई बाजारों तक पहुंच का नया रास्ता बनेगा। हालांकि, इस यात्रा के दौरान किसी बड़े रक्षा समझौते की घोषणा नहीं की गई। यह स्वयं में एक संकेत है कि भारत अब रक्षा के पुराने ढांचे से निकलकर तकनीक और उत्पादन के नए विकल्प तलाश रहा है।

भारत निजी क्षेत्र को रक्षा और अंतरिक्ष जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश दे चुका है और अब मोदी सरकार सिविल न्यूक्लियर सेक्टर को भी निजी निवेश के लिए खोल रही है। यह कदम केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि एक वैचारिक परिवर्तन है जो भारत को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ाएगा। पुतिन ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी यात्रा केवल तेल और गैस के सौदों तक सीमित नहीं है। वे भारत के साथ साझेदारी को व्यापक, संतुलित और दीर्घकालिक बनाना चाहते हैं। यही सोच भारत-रूस रिश्ते को अन्य वैश्विक मित्रताओं से अलग बनाती है, जहां संबंध किसी एक क्षेत्र पर असंतुलित निर्भरता के बजाय बहुआयामी सहयोग पर आधारित हों। इसमें कोई दोमत नहीं है कि भारत मंडपम में प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की उपस्थिति में आयोजित इंडो-रूस विजनेस फोरम ने न केवल द्विपक्षीय आर्थिक संभावनाओं को नई दिशा दी, बल्कि बदलती वैश्विक राजनीति के बीच दोनों देशों की साझेदारी की गहराती मजबूती का भी स्पष्ट संदेश दिया। इस मंच से प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की टिप्पणियों ने भारत-रूस संबंधों की वर्तमान गति, भविष्य की दिशा और वैश्विक संदर्भ में इन रिश्तों की अहमियत को कई स्तरों पर रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में रूस को सबसे भरोसेमंद दोस्त बताते हुए कहा कि वैश्विक चुनौतियों का सामना केवल अस्थायी उपायों से नहीं किया जा सकता। इसके लिए दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधान आवश्यक हैं। यह विचार आज की दुनिया में अत्यंत प्रासंगिक है, जहां भू-राजनीतिक तनाव, ऊर्जा संकट, महामारी, आर्थिक अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। भारत और रूस, दोनों ही देश अपने-अपने तरीके से इन चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इस संदर्भ में साझेदारी न केवल द्विपक्षीय हितों को आगे बढ़ाती है, बल्कि वैश्विक विमर्श में भी एक संतुलित आवाज का निर्माण करती है। राष्ट्रपति पुतिन ने भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि भारत स्वतंत्र नीति अपना रहा है और किसी दबाव में नहीं झुकता। यह टिप्पणी आज के परिवर्तित भू-राजनीतिक वातावरण में महत्वपूर्ण है। पश्चिमी देशों के दवाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ ऊर्जा, रक्षा और व्यापार संबंधों में स्वतंत्र निर्णय क्षमता दिखाई है। पुतिन का यह बयान भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूती देता है। इसके साथ ही उन्होंने व्यापार वृद्धि के आंकड़े भी दिए कि पिछले तीन वर्षों में 80 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि और 64 अरब डॉलर का व्यापार। यह तथ्य भारत-रूस संबंधों में व्यावहारिकता और आर्थिक पूरकता की मजबूती का प्रमाण है।
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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