लेखक की कलम

हरियाणा में फूंक-फूंक कर कदम

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। इसका कारण है लोकसभा चुनाव के नतीजे। दरअसल, लोक सभा चुनाव में भाजपा ने जो समीकरण बनाए थे, वे पूरी तरह खरे नहीं उतरे। राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर पांच पर ही भाजपा कब्जा कर पायी, जबकि पांच सांसद कांग्रेस की झोली में चले गये। भाजपा नेतृत्व ने एक प्रयोग और किया था। पहली बार किसी जाट नेता को सीएम की कुर्सी पर न बैठाकर पिछड़ा वर्ग के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। मनोहर लाल खट्टर, जो विवादित चल रहे थे, उनकी जगह सैनी को बैठाकर मनोहरलाल को संसदीय चुनाव में उतार दिया। मनोहर लाल खट्टर ने चुनाव जीत लिया। अब विधान सभा चुनाव में नायब सिंह सैनी के साथ भाजपा नेतृत्व की भी परीक्षा होनी है। इसलिए प्रत्याशियों के चयन में फूंक-फूंक कर कदम रखा जा रहा है। माना जा रहा है कि टिकट न मिलने पर नेता बागी हो सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट बागी किसी भी अन्य पार्टी का दामन थामें और भले ही जीत हासिल न कर पाएं लेकिन वोट तो काटेंगे। भाजपा के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली में इसपर मंथन कर रहे हैं। नायब सिंह सैनी के सुझाव को भी महत्व दिया जाएगा। वपह करनाल से चुनाव लड़ सकते हैं।
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को चुनाव होने हैं। रिजल्ट अब 8 अक्टूबर को घोषित होगा। बीजेपी-कांग्रेस, जेजेपी, इनेलो समेत सभी पार्टियां चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। बात अगर बीजेपी की करें तो उम्मीदवारों के नाम भी लगभग फाइनल हैं। किसको टिकट मिलेगा और किसका टिकट कटेगा, रेस में कौन आगे है, पार्टी में अंदरखाने इसकी खूब चर्चा हो रही है। इस बीच एक बात तो तय है कि सीएम नायब सिंह सैनी का चुनाव लड़ना तो पक्का है। वह करनाल से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। खास बात यह है कि बीजेपी इस विधानसभा चुनाव में पुराने चेहरों पर ही दांव खेलना चाहती है। केंद्रीय मंत्री या लोकसभा सदस्यों को चुनावी मैदान में न उतारने का फैसला किया गया है। टिकट कटने पर बागियों का क्या रुख होगा ये भी देखने वाली बात है।
बीजेपी साल 2019 में विधानसभा चुनाव हारने वाले ज्यादातर पूर्व मंत्रियों को इस बार चुनावी मैदान में उतारने की योजना बना रही है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस बात के संकेत मिले हैं। कई ऐसे चेहरे हैं, जिसको चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। यह अलग बात है कि भितरघात रोकने के लिए पार्टी उम्मीदवारों के नाम थोड़ा देरी से घोषित करे।
पूर्व मंत्री अनिल विज का अंबाला से टिकट पक्का है। किरण चौधरी की बेटी श्रुति को तोशाम से टिकट मिल सकता है। पूर्व सांसद अरविंद शर्मा का गोहाना से टिकट तय है और फरीदाबाद से पूर्व मंत्री विपुल गोयल के नाम पर भी विचार हो रहा है। हिसार से कमल गुप्ता के नाम पर चर्चा है तो पूर्व सांसद सुनीता दुग्गत को रतिया से टिकट मिल सकता है। राज्यमंत्री असीम गोयल को पंचकूला से टिकट मिल सकता है।
केंद्रीय मंत्री राव बीरेंद्र सिंह की बेटी आरती सिंह का टिकट पक्का है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र चौधरी का टिकट तय है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बडौली का टिक्ट भी करीब तय है।
इसके साथ ही ओम प्रकाश धनखड़, प्रो. रामबिलास शर्मा, कविता जैन, कैप्टन अभिमन्यु, राव नरबीर, कृष्ण कुमार बेदी और विपुल गोयल को एलर्ट किया है।
पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, पूर्व मंत्री संदीप सिंह, कमलेश ढांडा, पहलवान योगेश्वर दत्त, हिसार से विधायक और स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता, सावित्री जिंदल, तरुण जैन और डॉ. ज्ञानचंद्र गुप्ता का लिस्ट से हटा सकते है।
दक्षिण हरियाणा में खास राजनीतिक प्रभाव रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह को चार से पांच सीटें मिलने की संभावना है। हालांकि राव की दावेदारी करीब 1 दर्जन सीटों पर है। उनको उनकी बेटी के अलावा तीन और टिकट दिए जा सकते हैं। अंदरखाने खबर है कि बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह को गुरुग्राम, रेवाड़ी और बादशाहपुर सीट देने से मना कर दिया है।
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का होमवर्क लगभग पूरा हो गया है। इसे लेकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी हुई थी। बताया जा रहा है कि वहां 50 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार करीब तय हो चुके हैं। दूसरे दौर की बैठक में करीब 25 और उम्मीदवारों के नामों पर भी मुहर लग गई है। बची हुई 25 विधानसभा सीटों पर बीजेपी कांग्रेस और जातीय समीकरण को ध्यान रखते हुए उम्मीदवार फाइनल करेगी। इन सीटों पर 2-3 दावेदार माने जा रहे हैं। बीजेपी किसी भी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहती, इसीलिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने में देरी कर रही है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस मुख्य पार्टियां हैं। ऐसे में क्षेत्रीय दल इन दोनों ही दलों के बागियों पर नजर बनाए हुए है। जब पार्टियां टिकट बांट देंगी तो ऐसे में कई लोगों की नाराजगी तो जाहिर है. बस क्षेत्रीय दलों को ऐसे ही बागियों की तलाश है, ताकि दोनों दलों का खेल बिगाड़ा जा सके। बीजेपी-कांग्रेस के असंतुष्ट बागी जेजेपी, आम आदमी पार्टी, इनेलो का दामन थाम सकते हैं, जो वोट कटवा का काम कर सकते हैं। जेजेपी का यह प्रयोग साल 2019 विधानसभा चुनाव में काफी सफल रहा था। इसीलिए बीजेपी-कांग्रेस को ऐसे बगियों से बचने की जरूरत है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 दिनों दिन रफ्तार पकड़ रहा है. जैसे-जैसे तारीखें नजदीक आ रही हैं नेताओं का दौरा भी बढ़ने लगा है। यहां नेता लगातार समीकरण बैठाने में जुटे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खुलासा किया है कि वे करनाल सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली द्वारा दिए गए बयान पर भी सीएम सैनी ने सफाई दी है। सीएम सैनी ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली को मुझसे ज्यादा जानकारी है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने कहा था कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कुरूक्षेत्र की लडवा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अब सीएम सैनी ने खुलासा किया कि वे करनाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि करनाल से मैं खुद चुनाव लड़ूंगा। किसी बात की चिंता करने की
कोई जरूरत नहीं है। इससे पता चलता है कि पार्टी के अंदर तालमेल की कमी है। (हिफी)

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