सम-सामयिक

नीट में व्यापक गड़बड़ी: जांच जरूरी

 

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) देश की सबसे बड़ी और चिकित्सा के क्षेत्र में आने के इच्छुक युवाओं के लिए प्रवेश का इकलौता माध्यम बतौर प्रवेश परीक्षाओं में से एक है। इस वर्ष इस प्रवेश परीक्षा में वरीयता क्रम पाने के लिए करीब 24 लाख परीक्षार्थियों ने भागीदारी की। इस परीक्षा में वरीयता क्रम लाने वाले परीक्षार्थियों को एमबीबीएस बीडीएस बीएएमएस की पढ़ाई के लिए दाखिला मिलता है। यह परीक्षा कुल 180 बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित है। हर प्रश्न के लिए 4नंबर मिलते हैं जबकि गलत उत्तर देने पर एक नंबर की माइनस मार्किंग की जाती है। इस बार की नीट परीक्षा का परिणाम चैकाने वाला है। इसमें कुल 67 छात्रों ने 720 अंक हासिल किए, यह पूरी तरह असंभव है। पिछले साल सिर्फ तीन छात्रों ने 720 अंक हासिल किए थे। परीक्षा में कथित तौर पर गड़बड़ियों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की हैं।

मिली जानकारी के अनुसार आईएमए जूनियर डॉक्टर्स ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी को पत्र लिख कर सभी छात्रों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पुनः परीक्षा का अनुरोध किया। परीक्षा के दौरान पेपर आउट होने और कुछ केंद्रों पर प्रायोजित तरीके से नीट प्रश्नपत्र हल कराने की आशंका है। चूंकि हरियाणा के एक ही सेंटर के सात परीक्षार्थियों ने 720 अंक हासिल किए हैं।
इन छात्रों के सीट नंबर एक ही क्रम से हैं। वरीयता क्रम में 62 से 69 क्रम के परीक्षार्थियों का केंद्र कोड एक ही है। यह बताता है कि एक ही केंद्र पर या तो पेपर आउट कराया गया और हल कराया गया या सामूहिक तौर पर कुछ छात्रों को पेपर हल करने के लिए अनुचित तकनीकी साधन के इस्तेमाल की व्यवस्था की गई। दो छात्रों ने 718 और 719 अंक हासिल किए हैं, यह पूरी तरह असंभव है।

जैसा कि बताया कि नीट परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार अंक होते हैं। यदि कोई एक प्रश्न गलत करता है तो उसके अंक 715 होने चाहिए। यह पूरी तरह से घोटाला है लेकिन नीट इसे नजरअंदाज करने जा रही है? नीट 2024 में ग्रेस नम्बर का भी घोटाला है। क्या सभी टॉपर छात्र परीक्षा देने के लिए एक ही केंद्र पर जाते हैं? हर छात्र की योग्यता का निष्पक्ष मूल्यांकन किया जाना चाहिए, कट ऑफ में यह भारी वृद्धि स्पष्ट रूप से बड़े पैमाने पर पेपर लीक का संकेत देती है। एनटीए द्वारा सबसे अधिक संभावना एक बड़ी प्रोग्रामिंग त्रुटि है जिसमें उन्होंने ओएमआर प्रतिक्रिया पत्रक के आधार पर अंकों का गलत मूल्यांकन किया है। तकनीकी आधार पर छात्र 718 और 719 अंक प्राप्त नहीं कर सकते हैं। पूर्ण अंक 720 हैं। प्रत्येक सही के लिए, आपको 4 मिलता है और प्रत्येक गलत के लिए आपका एक अंक काट लिया जाता है। इसलिए, यदि कोई छात्र 180 प्रश्न सही करता है, तो उसे 720 अंक मिलते हैं यदि एक सवाल गलत हुआ तो 719 नहीं 715 मिलते हैं। किन्तु जिसने 179 सही किया उसे 716 मिलना चाहिए किन्तु मिले 718, 719 कैसे प्राप्त किया जा सकता है? ऐसा करने का एकमात्र तरीका यह है कि वे 5 अंक के बजाय प्रत्येक गलत प्रश्न के लिए 1 अंक प्रदान करें।

ऐसे बहुत सारे तथ्य है जिनसे इस साल नीट में बड़ा घोटाला होने की आशंका की पुष्टि होती है। मध्यप्रदेश यूपी हरियाणा समेत कई प्रदेशों में पिछले छह आठ महीने के भीतर अनेक भर्ती परीक्षाओं में पेपर आउट होने के मामले सामने आए हैं और इस से सरकार को व राज्य सरकारों को बड़ी बदनामी झेलनी पड़ी है शायद यही वजह है कि नीट परीक्षा में हुई साफ गड़बड़ी पर परदा डालने की कोशिश की जा रही है और सरकार जाहिर गड़बड़ी के बावजूद इसके बारे में चुप है, सिर्फ इसलिए क्योंकि एनटीए एक विश्वसनीय केंद्रीय एजेंसी है? लेकिन इस परीक्षा ने एनटीए की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है। पिछले दस सालों में नीट में कभी भी एक से तीन छात्रों से अधिक ने फुल माक्र्स हासिल नहीं किए जबकि इस बार एक ही परीक्षा केंद्र के सात छात्रों ने फुल माक्र्स हासिल कर लिए और कुल 69 छात्रों ने फुल में से फुल माक्र्स हासिल कर लिये। अब हालात यह है कि एक छात्र को 720 अपआन 720 स्कोर करने के बाद भी एम्स दिल्ली में मौका नहीं मिल रहा है? क्या यह बड़ा घोटाला और परीक्षा आयोजन में बड़ी गड़बड़ी का साफ संकेत नहीं है। यह बहुत ही तकनीकी सहायता से किया गया बड़ा साजिश भरा घोटाला मालूम पड़ता है। इस घोटाले को चर्चा से बचाने के लिए परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून को चुनाव परिणाम के शोर में जानबूझकर घोषित किए गए। चैबीस लाख से अधिक नीट उम्मीदवारों की मेहनत के साथ यह अपराधिक साजिश किसने की? प्रतिभा को यदि इस तरह अपमानित व पीछे धकेला जाएगा तो प्रतिभाशाली छात्रों को न्याय कैसे मिलेगा? प्रतिभा का सही मूल्यांकन किया जाना चाहिए। छात्र इसका उत्तर चाहते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह अपराध है कि एनटीए लाखों छात्रों के करियर के साथ खिलवाड़ कर उनके जीवन को नष्ट कर रहा है। क्योंकि इन छात्रों में लाखों छात्र ऐसे हैं जिन्होंने जीवन के कई साल नीट की तैयारी में खपा दिए। यह बिलकुल स्पष्ट है कि नीट पेपर लीक के कारण विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं। और चुनाव नतीजों की शाम को नतीजे जारी करने का यह विचार सिर्फ मामले को छिपाने की सोची समझी साजिश है। पूर्व में 2016 में भी पेपर लीक और घोटालों के कारण ही पुनः नीट आयोजित किया गया था, इसे 2024 में फिर से क्यों नहीं आयोजित किया जा सकता है? साथ ही एक जगह नहीं, बहुत जगहों पर पेपर लीक हुआ है, 5 मई से पहले पेपर वायरल हो रहा था टेलीग्राम पर जिसे एनटीए ने नहीं स्वीकारा। कितने लोगों ने ऑनलाइन ही देख लिया था? उनकी कैसे पहचानेंगे पुनर्मूल्यांकन से? हम केवल 700-720 अंक लाने बाले लोगों के घोटालों के बारे में जानते हैं, हम नहीं जानते कि कम अंकों के लिए ऐसी कितनी गलतियों को अंजाम दिया गया। ऐसे भी रिजल्ट के आंकड़े सामने आए हैं, जहां कम नंबर वाले नतीजे को हायर रैंक और ज्यादा अंक वाले को कम रैंक मिला है। एक और छात्र ने कहा कि हरियाणा के एक ही सेंटर पर सात विद्यार्थियों को एक साथ 720 माक्र्स कैसे आ सकते हैं? पिछले साल दो विद्यार्थियों को मुश्किल से 720 माक्र्स मिले थे। इस साल 67 विद्यार्थियों को 720 में से 720 अंक कैसे मिले?

नीट यूजी रिजल्ट को हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। मेडिकल कालेजों में एडमिशन के लिए आयोजित की गई नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) परीक्षा पर उठ रहे सवालों के बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की एक छात्रा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। छात्रा ने नीट एग्जाम आयोजित कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के रिजल्ट को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दखिल की है। निशिता सोनी ने बताया कि परीक्षा के कुछ दिन बाद जब48 घंटे के लिए एनटीए ने रिस्पान्स शीट अपलोड की थी तो उन्होंने उसे डाउनलोड कर लिया था लेकिन बाद में आंसर की रिजल्ट से मिलान करने पर मालूम हुआ कि उनके नंबर तो कम हो गए हैं, क्योंकि रिस्पांस शीट के मुताबिक उनके 617 नंबर आने चाहिए थे, लेकिन रिजल्ट में 340 अंक ही दिए गए हैं। नीट कैंडिडेट निशिता के मुताबिक, उन्होंने 200 में से 178 सवालों के जवाब दिए थे। रिस्पांस शीट और आंसर की से मिलान करने पर 159 सही और 19 जवाब गलत थे। ऐसे में 617 नंबर मिलने चाहिए थे लेकिन रिजल्ट आने पर मिले सिर्फ 340 नंबर।

यहां यह भी गौर तलब है कि इस साल परीक्षा पेपर लीक के कई मामलों ने एक बार फिर देश की शिक्षा व्यवस्था और सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली की नींव हिलाकर रख दी है। सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा, से लेकर राज्य स्तरीय भर्ती परीक्षाओं तक, कई परीक्षाओं में गड़बड़ी की गई है। सरकार को बिना किसी बदनामी की चिंता किए छात्रों की प्रतिभा के साथ न्याय करने के लिए नीट 2024 परीक्षा व परीक्षा परिणाम को रद्द कर चाक चैकस व्यवस्था के
साथ पुनः नीट परीक्षा आयोजित करना चाहिए। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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