लेखक की कलम

मूर्ति विसर्जन पर हादसे

देश भर में दुर्गा नवमी के बाद माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को नदी तालाब आदि मंे जल विसर्जित किया गया। आस्था-श्रद्धा के साथ अति उत्साह और जोश खरोश के चलते कुछ स्थानों पर दुर्घटनाएं घटित हुई है। तीस से अधिक लोग जो मूर्ति विसर्जन के लिए गए थे लापरवाही और उद्दंडता भरे जोश में अपनी जान गवां बैठे। इनमें ज्यादातर युवा व किशोर लड़के शामिल हैं। आगरा में दुर्गा प्रतिमा को जल प्रवाहित करते 20 किशोर तालाब में डूब गए। इनमें से 13 की मृत्यु हो गई। इसी तरह मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में भी एक ट्रैक्टर ट्राली तलाब में पलट गई दुर्गा प्रतिमा विसर्जन करने आए 11 लोगों की तलाब में डूब कर मौत हो गई। जबकि कई लोग जुलूस में शामिल वाहन पर धातु के पोल में ध्वज लिये थे और हाइटैंशन बिजली तारों से छूने के कारण झुलस कर जान गंवा गए। ऐसी दुर्घटनाओं में भी दर्जन भर जान गयीं हैं यदि श्रद्धा के उत्साह में थोड़ा संयम रखते तो जीवन अकाल मृत्यु का शिकार नहीं होता। ऐसी दुर्घटनाओं को निश्चित रूप से रोका जा सकता है। इस प्रकार आयोजन मंे बड़ों और बुजुर्गों की भागीदारी काफी कारगर साबित हो सकती है।
विजयदशमी के दिन मध्यप्रदेश में एक बड़ा हादसा हो गया। यहां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में गए लोगों से भरी एक ट्रैक्टर ट्रॉली पोखर में गिर गई। इस हादसे में 10 बच्चियों सहित 11 लोगों की मौत हो गई। मिली जानकारी के अनुसार यह हादसा मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में हुई। यहां दुर्गा देवी की मूर्तियों के विसर्जन के दौरान तालाब में ट्रैक्टर ट्रॉली पलटने से कई लोग डूब गए। यह वाहन हादसा लगता है लेकिन दुर्घटना का कारण लापरवाही भी हो सकती है।
इसी प्रकार यूपी के आगरा में देवी प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। खैरागढ़ क्षेत्र की ऊटंगन नदी में विसर्जन के लिए पहुंचे 20 लोग डूब गए। इस घटना में 13 लोगों की मौत हो गई है। यह पूरा मामला झुंगरवाला क्षेत्र का है। आगरा में ये हादसा खेरागढ़ क्षेत्र में हुआ। यहां कुसियापुर गांव के ग्रामीण दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन उटांगन नदी में किया जाता है। यहां मूर्ति विसर्जन के दौरान 13 किशोरों की नदी में डूब कर मौत हो गई । हादसा दोपहर 1 बजे हुआ। खेरागढ़ गांव कुसियापुर में चामड़ माता के मंदिर के पास नवरात्र में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई थी। दशहरा पर मूर्ति के विसर्जन के लिए गांव के 40-50 पुरुष, महिलाएं और बच्चे उटंगन नदी के पास पहुंचे। इनमें विष्णु (20), ओमपाल (25), गगन (24), हरेश (20), अभिषेक (17), भगवती (22), ओके (16), सचिन पुत्र रामवीर (26), सचिन पुत्र ऊना (17), गजेंद्र (17) और दीपक (15) गहरे पानी में चले गए। यहां भी जिम्मेदार लोग नहीं हैं।
हालांकि पानी में डूबने से बचने के लिए एक-दूसरे ने हाथ पकड़ रखे थे। एक हाथ से मूर्ति को पकड़ लिया था। किसी को अंदाजा नहीं था कि अंदर गड्ढा बना हुआ है, जिसमें पानी गहरा है। उस गड्ढे में अचानक एक युवक का पैर फिसल गया। उसे बचाने के लिए पीछे वालों ने हाथ पकड़ा। मगर, वह उसे संभाल नहीं सके। एक-एक करके 9 युवक और 5 किशोर पानी में समा गए। दो और युवक गगन और अमित पानी में डूब रहे थे। पीछे की तरफ गांव का भोला भी था। उन्हें देखकर उसने पीछे से हाथ पकड़ लिये। वह तत्काल दोनों को कम पानी की तरफ ले गए। नदी में गड्ढे की बात सामने आयी है। यह अवैध खनन का मामला भी हो सकता है।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान बड़ा हादसा हो गया। मिली जानकारी के अनुसार पंधाना क्षेत्र के ग्राम अर्दला में ट्रैक्टर-ट्रॉली पुलिया पर पलट गई जिससे उसमें सवार 20 से 25 लोग तालाब में गिर गए। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो चुकी थी जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों में ज्यादातर बच्चियां शामिल हैं।अर्दला और जामली गांव के लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर विसर्जन के लिए तालाब पहुंचे थे। ट्रॉली को पुलिया पर खड़ा किया गया था लेकिन उस पर जरूरत से ज्यादा लोग सवार थे। ट्रॉली का संतुलन बिगड़ने से यह पलट गई और लोग तालाब में गिर पड़े। हादसे के तुरंत बाद आसपास मौजूद लोगों ने रेस्क्यू शुरू किया। मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अमला भी पहुंच गया। यहां भी लापरवाही साफ दिखाई दी।
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के पवई तहसील में भी हादसा हो गया। ग्राम खमरिया से, पवई की पतने नदी में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन करने 60 से 70 लोग जा रहे थे तभी तेज रफ्तार बोलेरो कार ने 16 लोगों को कुचल दिया, जिसमें 14 को कटनी के अस्पताल रेफर किया गया एवं दो लोगों का इलाज पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा था। इलाज के दौरान 2 लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी बोलेरो चालक को गिरफ्तार कर लिया है। यह वाहन दुर्घटना का मामला है लेकिन लापरवाही तो हुई।
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के लोटन में प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक दुखद घटना घटी। दुर्गा प्रतिमा ले जा रही पिकअप 11 हजार वोल्ट के तार से छू गई जिससे दस लोग झुलस गए। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया जहां से उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। ठोठरी चैराहे पर जब हादसा हुआ तो प्रतिमा ले जा रही एक पिकअप में लगी सजावटी पाइप ऊपर से गुजर रहे 11 हजार वोल्ट के हाईटेंशन तार से छू गई। संपर्क होते ही पूरे वाहन में करंट उतर आया, जिससे पिकप पर सवार दस लोग झुलस गए। इस तरह की लापरवाही पर किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया। प्रतापगढ़ में मूर्ति विसर्जन के बाद डीजे सिस्टम से साउंड बॉक्स उतारते समय 11,000 वोल्ट के हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से दो लोगों की मौत हो गई। वहीं, महराजगंज में जुलूस के समय हाई टेंशन तार की चपेट में आने से कई लोग लोग झुलस गए। सिद्धार्थनगर में 9 बच्चों की झुलसने की सूचना है। ये सभी लापरवाही के मामले हैं।
महराजगंज के झुगूअवा गांव में मूर्ति विसर्जन जुलूस के समय हाई टेंशन तार की चपेट में आने से कई लोग झुलस गए। गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जबकि बाकी घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा था। सिद्धार्थनगर के ही थाना इटवा के भिलौरी नाले में मूर्ति विसर्जन के बाद पानी में डूबे 20 वर्षीय युवक का शव अगले दिन मिला। स्थानीय लोग पानी में खोज रहे थे, तभी उसका शव मिला।
शहडोल में दर्दनाक हादसा हो गया है। दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए अमरकंटक जा रही एक पिकअप हादसे का शिकार हो गई। यह पिकअप सिंहपुर थाना क्षेत्र के बोडरी गांव से अमरकंटक जा रही थी, पिकअप में श्रद्धालु बैठे थे। जैसे ही पिकअप धनपुरी थाना क्षेत्र के मुड़कटिया नाला के पास पहुंची तो वहां पलट गई। हादसे में 14 साल के मुकेश कोल की मौत हो गई, वहीं 8 से ज्यादा श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए।
इन हादसों में अधिकांश ऐसे हैं जिन्हें जरा सी सावधानी से टाला जा सकता था लेकिन धार्मिक सामाजिक गतिविधियों में शामिल लोगों खासकर किशोरों में अभिभावकों की सलाह और रोकटोक को दरकिनार कर अति उत्साह और जोश में होश खोना नई बात नहीं है। अभी एक पखवाड़ा पहले ही गणेशोत्सव के अंतिम दिन प्रतिमा विसर्जन के दौरान भी ऐसे हादसे देखने को मिले। हर साल प्रतिमा विसर्जन के दौरान इस तरह के हादसे सामने आते हैं क्योंकि बरसात के बाद होने वाले इन उत्सवों पर तालाब नदियों में जल स्तर अधिक होता है। किनारे पर काई की वजह से फिसलन होती है जव प्रवाह अधिक होने से गढ्ढे बन जाते हैं। इस पर एक दूसरे से होड़ लगी होने के कारण कब जिंदगी हाथ से निकल जाती है, संभलने का मौका तक नहीं मिलता। जरूरत इस बात की है कि प्रतिमा विसर्जन के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन युवाओं किशोरों के देखरेख के लिए गणमान्य लोगों के संरक्षण के लिए कमेटी गठित कराए और तभी विसर्जन शोभायात्रा और विसर्जन की इजाजत दी जाए। जिन घरों के चिराग इन हादसों में बुझ गए उनकी जीवन पर्यन्त चलने वाली पीड़ा की कोई भरपाई नहीं है। (मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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