उत्तर प्रदेश

कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को स्थायी करने की मुहर लग सकती है

लखनऊ। डीजीपी के चयन और नियुक्ति के लिए कैबिनेट के फैसले ने कई आईपीएस अफसरों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मनोनयन समिति के गठन के बाद मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को स्थायी करने पर मुहर लग सकती है। इससे उन्हें दो वर्ष तक डीजीपी की कुर्सी संभालने का मौका मिल सकता है। इससे वे 30 मई 2025 के बजाय 31 जनवरी 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। उनकी सेवानिवृत्ति की अवधि पूरी होने के बाद 8 माह का अतिरिक्त समय मिलेगा।
दरअसल, प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद 8 डीजीपी तैनात किए जा चुके हैं। इनमें चार स्थायी थे। स्थायी में ओपी सिंह सर्वाधिक दो वर्ष तक डीजीपी रहे। अब कैबिनेट के हालिया फैसले से सीएम योगी के भरोसेमंद अफसरों में शामिल प्रशांत कुमार को भी 2 वर्ष तक डीजीपी की कुर्सी संभालने का मौका मिल सकता है। हालांकि इससे कई आईपीएस अफसर बिना डीजीपी बने सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इनमें पीवी रामाशास्त्री, आदित्य मिश्रा, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, बिजय कुमार मौर्या, एमके बशाल, तिलोत्तमा वर्मा, आलोक शर्मा, अभय कुमार प्रसाद, दीपेश जुनेजा और नीरा रावत शामिल हैं। प्रशांत की सेवानिवृत्ति के बाद नए डीजीपी का चयन करने के लिए जुलाई 2026 के बाद ही सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों के नाम पर विचार किया जाएगा।
यूपी के अलावा आठ अन्य राज्यों उत्तराखंड, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर में भी कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए थे। इनमें से जम्मू-कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वैन को बीते अगस्त में केंद्र सरकार ने स्थायी कर दिया था जिसके बाद वे 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। बाकी 8 राज्यों में नियम विरुद्ध कार्यवाहक डीजीपी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया था। इसका जवाब दाखिल करने से पहले राज्य सरकार ने डीजीपी के चयन एवं नियुक्ति की नियमावली बनाकर खुद स्थायी डीजीपी बनाने का रास्ता साफ कर लिया है। इसके साथ ही स्थायी डीजीपी की तैनाती को लेकर यूपी सरकार और संघ लोक सेवा आयोग के बीच करीब ढाई साल से जारी खींचतान भी खत्म हो गई है।

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