लेखक की कलम

कृषि मंत्री को भी दिखी किसानों की पीड़ा

कर्नाटक में एक किसान लम्बे समय से अपनी जमीन से जुड़ी एक समस्या से जूझ रहा है। निचले स्तर से लेकर जिला उपायुक्त कार्यालय तक गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। निराश होकर उसने उस अधिकारी के आफिस के बाहर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर शरीर पर आग लगा ली। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। किसानों की इस तरह की कितनी ही समस्याएं हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता। कभी प्रकृति का प्रकोप होता है तो कभी व्यवस्था किसान को आत्महत्या करने तक मजबूर कर देती है। अभी पिछले दिनों तूफानी बारिश और ओले गिरने से फसल को बहुत नुकसान हुआ। किसान की मेहनत का मुआवजा तो दिया ही नहीं जा सकता लेकिन सरकारी अमला अपना कागज दुरुस्त रखना चाहता है। पता चला कि मुआवजे के रूप में किसानों को एक, तीन, पांच और 21 रुपये दिये जा रहे थे। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान तक यह खबर पहुंच गयी। मंत्री जी ने भी अपना माथा पकड़ लिया। कृषि मंत्री ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं। बहरहाल, एक उम्मीद की किरण तो दिखाई पड़ी है और केन्द्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की पीड़ा को महसूस किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के हित में कई योजनाएं प्रारंभी की हैं। राज्य स्तर पर भी योजनाएं हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी इसमें से एक है। इसका कार्यान्वयन किस तरह हो रहा है यह केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने स्वयं देख लिया है। इसी साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो कृषि योजनाएं शुरू की हैं। योजनाएं शुरू करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उनका कार्यान्वयन ईमानदारी से होना चाहिए। किसान फसल बीमा योजना भी लगभग एक दशक पहले 2016 में शुरू हुई थी। अव्यवस्था के बीच भी किसान अपना दायित्व बखूबी निभा रहे हैं। बकौल केन्द्रीय कृषि मंत्री 2014 से अब तक कृषि उत्पादन 40 फीसद बढ़ा है।
इस साल भारी बारिश के चलते अलग-अलग राज्यों में किसानों को खासा नुकसान हुआ है। कहीं खड़ी फसलें बाढ़ में बह गईं तो कहीं कटी हुई फसलें खलिहान या मंडी में सड़ गई। किसानों को खासा नुकसान हुआ है। ऐसे में कई किसानों के साथ मुआवजे के नाम पर मजाक हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि कुछ किसानों को फसल बीमा के नाम पर 1,3,5 और 21 रुपये दिए गए हैं। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान को इस बारे में जानकारी मिली तो वह भी हैरान रह गए। उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने सोमवार को इस घटना पर आश्चर्य जाहिर किया। उन्होंने कहा कि फसल बीमा के ऐसे क्लेम स्वीकार नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों को किसानों को हुए नुकसान का उचित आकलन करना चाहिए।
शिवराज सिंह चैहान ने एक उच्च-स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन और बीमा दावों से संबंधित किसानों की शिकायतों की समीक्षा की। शिकायतों की गहन जांच के आदेश देते हुए, चैहान ने बीमा कंपनियों से दावों का शीघ्र और एकमुश्त निपटान करने को भी कहा। चैहान ने कड़े शब्दों में कहा, बीमा कंपनियों द्वारा एक रुपये, तीन रुपये, पांच रुपये या 21 रुपये का फसल बीमा दावा देना किसानों के साथ मजाक करने जैसा है। सरकार ऐसा कभी नहीं होने देगी। फसल क्षति से होने वाले नुकसान का सही आकलन सुनिश्चित करने के लिए, चैहान ने अधिकारियों को पीएमएफबीवाई योजना के प्रावधानों में आवश्यक बदलाव करने और किसी भी विसंगति को दूर करने के निर्देश दिए। बैठक में, मंत्री ने महाराष्ट्र के कुछ किसानों से वर्चुअल माध्यम से बातचीत भी की और उपस्थित अधिकारियों से उनकी शिकायतों का समाधान करने को कहा। यह योजना खरीफ 2016 से शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य किसानों की फसलों के लिए बुवाई से पहले से लेकर कटाई के बाद तक सभी अपरिहार्य प्राकृतिक जोखिमों के विरुद्ध व्यापक जोखिम कवर सुनिश्चित करने हेतु एक किफायती फसल बीमा उत्पाद प्रदान करके कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना था।
कर्नाटक के मंड्या जिले के केआर पेट तालुक स्थित मूडनाहल्ली गांव से एक परेशान करने वाली घटना सामने आई है। प्रशासनिक उदासीनता से त्रस्त एक किसान ने जिला उपायुक्त कार्यालय के सामने आत्मदाह का प्रयास किया। पीड़ित किसान मंजेगौड़ा लंबे समय से अपनी जमीन से जुड़े विवाद में न्याय की गुहार लगा रहे थे, लेकिन बार-बार अनसुना किए जाने के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
सूत्रों के अनुसार, मंजेगौड़ा की कृषि भूमि वन विभाग की जमीन से सटी हुई है। वन विभाग का दावा है कि विवादित भूमि उनकी है, जबकि मंजेगौड़ा का कहना है कि वह जमीन उनकी पुश्तैनी संपत्ति है। उन्होंने कई बार तहसीलदार से भूमि का सर्वेक्षण कराने की मांग की, ताकि उनके स्वामित्व की पुष्टि हो सके और वे खेती कर सकें। लेकिन उनकी अपीलों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सोमवार को मंजेगौड़ा ने जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर अपनी समस्या दोहराई, लेकिन वहां भी उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। जब मंगलवार को भी यही रवैया देखने को मिला, तो उन्होंने हताश होकर कार्यालय के बाहर खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली। मौके पर मौजूद लोगों और पुलिसकर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए आग बुझाई और मंजेगौड़ा को गंभीर हालत में मंड्या के एमआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया। उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान का कहना है कि केंद्र सरकार देश में किसानों की स्थिति बेहतर करने के लिए छह आयामों पर काम कर रही है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में कृषि और किसान कल्याण विभाग देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही किसानों की आय बढ़ाने और लोगों तक पोषण युक्त अनाज पहुंचाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि देश की 46 फीसद आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इन किसानों की हालत सुधारने के लिए सरकार छह आयामों पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी किसानों के लिए दो नई योजनाएं लॉन्च करेंगे। शिवराज सिंह ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भर मिशन’ पर एनएमसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों योजनाओं का लोकार्पण, प्रधानमंत्री द्वारा 11 अक्टूबर को एनएएससी, पूसा, नई दिल्ली में किया जाएगा। शिवराज ने कहा कि धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहे यह चिंता भी जरूरी है। उन्होंने कहा, मुझे कहते हुए गर्व है कि 2014 से लेकर अब तक कुल खाद्यान्नों का अगर हम उत्पादन देखें, तो यह लगभग 40 फीसद के आसपास बढ़ा है। गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली इनके उत्पादन में हमने रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। इसी का परिणाम है कि हम गेहूं और चावल में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं, भंडार भरे हैं। 4 लाख करोड़ से ज्यादा का हमने कृषि उत्पादों का निर्यात किया है। शिवराज ने कहा कि पूरे देश में उत्पादन एक समान नहीं है। अलग-अलग फसलों की उत्पादकता अलग-अलग राज्यों में भी अलग है। अब कम उत्पादन वाले जिलों की पहचान कर वहां उत्पादन बढ़ाने के लिए कोशिशें की जाएंगी। उन्होंने कहा, अगर कम उत्पादकता वाले जिलों को हम राष्ट्रीय औसत पर भी ले आएं तो देश का कुल उत्पादन बढ़ जाएगा। हमारी जरूरतें भी पूरी होंगी और उन जिलों के किसानों की आय भी बढ़ेगी।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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