लेखक की कलमसम-सामयिक

वायुसेना का भरोसेमंद अपाचे

 

अमेरिका की दोस्ती भारत की वायुसेना के भी काम आ रही है। अभी पिछले दिनों ही कश्मीर घाटी में आतंकवादी घने जंगल मंे छिप गये थे, जहां उन्हांेने गुफाएं भी बना रखी हैं। भारतीय सुरक्षा बल को उन आतंकियों को मार गिराने मंे काफी दिक्कत हुई थी। उस समय अपाचे हेलिकाप्टर ने ही मदद पहुंचाई थी। देश के बाहर ही नहीं अंदर भी अलगाववादी और चरमपंथी दुर्गम क्षेत्र मंे छिप जाते हैं। ऐसे दुश्मनों को खोजने के लिए भारत की वायुसेना अच्छी तकनीक के हेलिकाप्टरों की तलाश मंे थी। अमेरिका की कंपनी बोइंग ने भारतीय वायुसेना की इस चिंता को दूर कर दिया है। रक्षा विनिर्माण क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी बोइंग ने यह जानकारी दी है कि उसने भारत को दिये जाने वाले अपाचे हेलिकाप्टर का निर्माण शुरू कर दिया है। भारत के पास दो दर्जन से अधिक अपाचे आ भी चुके हैं। यह हेलिकाप्टर 20 हजार फीट तक ऊंचाई भरने में सक्षम हैं अर्थात् जमीन से उस पर फायर करके क्षति नही पहुंचाई जा सकती है। इसकी रफ्तार भी 290 किलोमीटर प्रति घंटे की है। इस प्रकार अपाचे हमारी वायुसेना का भरोसेमंद हेलिकाप्टर है। हमारे पास अब हेलिकाप्टरों की एक मजबूत श्रंखला है जिसमंे एचएएल चेतक एचएएल-चीता, एमआई-26, सीएच-47 चिनूक और लाइट काॅम्बैट हेलिकाप्टर (एलसीएच) के नाम उल्लेखनीय हैं।

युद्ध के मैदान में अब इन्फेंट्री सोल्जर को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा। दुश्मन के टैंक हो या फिर कोई बड़ा हमला, उनको बर्बाद करने के लिये सेना को अटैक हेलीकॉप्टर मिलेगा। अगले साल थल सेना को 6 अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर मिलेंगे। इससे भारतीय सेना की ताकत में यकीनन इजाफा होगा। वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे हेलीकॉप्टर हैं। थल सेना को अपनी कार्रवाई में तेजी के लिये अटैक हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ती है। इससे दोनों में तालमेल बेहतर होगा और नतीजा भी शानदार निकलेगा।

अपाचे हेलीकॉप्टर की खासियत यह है कि इसकी रफ्तार 290 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह 20 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। यह 360 डिग्री कवरेज एरिया होने से यह और भी खतरनाक हो जाता है। अपाचे को रेगिस्तान इलाके में तैनात किया जाएगा। सही मायने में यह एडवांस मल्टीरोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है।
एक साथ कई मोर्चे पर लड़ने में सक्षम है। हवा से हवा और हवा से जमीनी हमले करने वाली मिसाइल अपाचे में लगी हैं। हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल से भी ये लैस हैं। साथ ही, 70 एमएम की हाइड्रा रॉकेट भी लगे हैं। 1200 राउंड वाली 30 एमएम की चेन गन भी लगी है। ये हेलीकॉप्टर दिन-रात और किसी भी मौसम में ऑपरेशन कर सकते हैं। इस हेलीकॉप्टर का डिजाइन इस तरह का है, जिसे रडार आसानी से पकड़ नहीं सकता।

रक्षा विनिर्माण क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी बोइंग ने कहा कि उसने भारतीय सेना को दिए जाने वाले अपाचे हेलीकॉप्टर का उत्पादन शुरू कर दिया है। कंपनी कुल छह एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को सौंपेगी। एएच-64 अपाचे दुनिया के सबसे उन्नत बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकाप्टरों में से एक है। कंपनी ने कहा, बोइंग ने भारतीय सेना को सौंपे जाने वाले अपाचे हेलीकॉप्टर का उत्पादन एरीजोना के मेसा में शुरू कर दिया है। बोइंग इंडिया के अध्यक्ष सलील गुप्ते ने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताओं का समर्थन करते हुए बोइंग एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने पर बहुत खुश हैं।

उन्होंने कहा, एएच-64 की उन्नत तकनीक और प्रमाणित प्रदर्शन, भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों और उसकी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत बनाने में मदद करेगा। भारतीय सेना के अपाचे की आपूर्ति 2024 तक निर्धारित है। बोइंग के मेसा केंद्र की वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टीना उपाह ने कहा, एएच-64ई दुनिया का प्रमुख लड़ाकू हेलीकॉप्टर बना हुआ है।

इसके साथ ही देश में विकसित हुआ ‘लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर‘ (एलसीएच) भी भारतीय वायुसेना में शामिल हो गया है। हेलिकॉप्टर के बेड़े में शामिल होने के बाद वायुसेना की ताकत में और ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई। यह कई तरह की मिसाइल दागने और हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम है। भारतीय सेना में अब कई लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल हैं जो दुश्मनों के लिए काल बने। हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर एलसीएच इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है। यह मिसाइलों को दागने और हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम है। यह दुश्मन के रडार से खुद को बचाने में माहिर है। इसके बाहरी हिस्से में ऐसे रोटर्स लगे हैं जिन पर गोलियों का असर नहीं होता। आगे से आकार में पतला होने के कारण हवा का दबाव नहीं बन पाता और स्पीड पर असर नहीं पड़ता। लगभग 5.8 टन वजन वाले इस हेलीकॉप्टर में दो इंजन लगे हैं। इसके जरिए हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल दागी की जा सकती है। सीएच-47 चिनूक 9.5 टन का भार उठाने में सक्षम है, इसलिए इसका इस्तेमाल जंग के अलावा राहत कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। इसे दो पायलट मिलकर चलाते हैं और इसमें 54 सैनिकों के बैठने की व्यवस्था है। आपदा के समय इसमें लगी 54 कुर्सियों को स्ट्रेचर की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें तीन 7.62 एमएम मशीन गन लगाई जा सकती हैं। एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टर दुनिया का सबसे एडवांस ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर के तौर पर जाना जाता है। इसका निर्माण रूस ने किया है। सैन्य अभियान के अलावा इसका इस्तेमाल, भारी वजन वाली चीजों को लाने-ले जाने, वीवीआईपी मूवमेंट और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए होता है। इसमें दो इंजन लगे हैं और इसे ऐसे तैयार किया गया है कि खराब मौसम और अधिक ऊंचाई पर भी बेहतर काम कर सके। यह 36 हजार किलो तक का वजन उठा सकता है। एक बार में 36 सैनिकों को ले सकता है। भारत के अलावा दुनिया के 60 देशों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। यह कई तरह के हथियारों से लैस है। एमआई-35एम के कई वैरिएंट रहे हैं, सभी में पैसेंजर कंपार्टमेंट भी दिया गया है। इसका इस्तेमाल जंग के दौरान सैनिकों को बाहर निकालने, गोला-बारूद, ईंधन और खाने-पीने की चीजों की सप्लाई करने में इस्तेमाल किया जाता है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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