लेखक की कलम

अजय राय ने बचायी कांग्रेस की फजीहत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
कांग्रेस की ढुलमुल नीति से उसका बहुत नुकसान हो चुका है यूपी मंे अब उसके नेतृत्व की समझ में आया। गठबंधन में विश्वास बहुत जरूरी होता है। उत्तर प्रदेश के 9 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा उम्मीदवारों के बीच होने जा रहा था लेकिन फूलपुर से कांग्रेस के गंगापार जिलाध्यक्ष सुरेश यादव ने नामांकन दाखिल किया है। तय हुआ था कि समाजवादी पार्टी सभी 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। कांग्रेस को मनमुताबिक सीट नहीं मिलने के चलते पार्टी ने उपचुनाव न लड़ने का फैसला लिया। कांग्रेस पार्टी उपचुनाव में न ही उम्मीदवार उतारेगी और न ही कांग्रेस का कोई कैंडिडेट किसी दूसरी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा। दरअसल 23 अक्तूबर को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के सभी 9 सीटों पर सपा के सिंबल साइकिल पर उम्मीदवार उतारने के बाद अगले दिन दिल्ली में यूपी कांग्रेस के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय मौजूद थे । अब सुरेश यादव के नामाकंन से कांग्रेस की फजीहत हो रही थी। अजय राय ने उसे बचा लिया। उधर, एनडीए में बेहतर सामंजस्य दिख रहा है। उपचुनाव में निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने पर संजय निषाद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हम एनडीए प्रत्याशियों को जिताने के लिए काम करेंगे। हालांकि मुद्दा अभी भी आरक्षण ही है। हमारा लक्ष्य आरक्षण है जिसे लेकर भाजपा गंभीर है। निषाद पार्टी ने कटेहरी और मझवां सीट को लेकर दावेदारी पेश की थी। एनडीए और इंडिया में यही अंतर है।
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस की ढुलमुल नीति से इंडिया गठबंधन में दरार पड़ गई है। सपा से सहमति होने के बावजूद प्रयागराज की फूलपुर सीट से कांग्रेस के गंगापार जिलाध्यक्ष सुरेश यादव ने नामाकंन दाखिल किया है। उन्होंने गोपनीय तरीके से कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ कोई भी बड़ा नेता मौजूद नहीं था। उन्हांेने कुछ प्रस्तावकों के साथ कलेक्ट्रेट में पहुंचकर एक सेट में नामांकन पत्र दाखिल किया।सुरेश यादव का कहना था कि वह 25 अक्टूबर को फिर से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल करेंगे। इस दौरान उनके साथ पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता भी रहेंगे। सुरेश यादव का दावा है कि पार्टी के बड़े नेताओं के कहने पर उन्होंने नामांकन किया है। उनका दावा है कि समाजवादी पार्टी अपने घोषित प्रत्याशी मुजतबा सिद्दीकी का नामांकन वापस कराएगी और उन्हें अपना समर्थन देगी। समाजवादी पार्टी या तो उन्हें अपना सिंबल देगी या फिर कांग्रेस पार्टी को इस सीट पर समर्थन देगी। कांग्रेस की इससे फजीहत हो रही थी और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने उन्हें पत्र लिखकर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी 23 अक्तूबर को ही नामांकन कर चुके हैं। इसके बावजूद कांग्रेस जिलाध्यक्ष की ओर से नामांकन चर्चाओं में था। जिलाध्यक्ष सुरेश यादव पिछले कई दिनों से फूलपुर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कलेक्ट्रेट जाकर नामांकन फार्म लिया था। ऐसी चर्चा थी कि फूलपुर की सीट कांग्रेस की झोली में आएगी, लेकिन सपा ने यहां पर अपना कैंडिडेट उतार दिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच बातचीत के बाद इन चर्चाओं पर विराम लग चुका था। अखिलेश यादव ने भी कह दिया है कि सभी 9 सीटों पर सपा प्रत्याशी ही चुनाव लड़ेंगे। राहुल गांधी और प्रदेश कांग्रेस नेताओं को सुरेश यादव के इस कदम का कड़ा विरोध करना चाहिए।
पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) फार्मूले के साथ लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन करने वाली सपा नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल मान रही है। यही कारण है कि सपा ने कांग्रेस के दबाव में आए बिना हर सीट पर अपने प्रत्याशियों को पहले ही उतारने की घोषणा कर दी। शिवपाल सिंह यादव सहित कई बड़े नेताओं को चुनाव प्रभारी बनाया गया। अब सपा के सामने जहां वर्ष 2022 की जीती हुई सीटों पर अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, वहीं, भाजपा के हिस्से वाली सीटों पर सपा को अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारने की चिंता भी।
सपा की चिंता इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि पश्चिमी यूपी में पिछली बार उसको रालोद का साथ मिला था। इस बार रालोद भाजपा के साथ है। वहीं, सपा आईएनडीआई गठबंधन में जिस कांग्रेस के साथ लड़ रही है, उसका पिछले विधानसभा का प्रदर्शन निराशाजनक था।
यूपी उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। इसको लेकर यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय ने बड़ा ऐलान कर दिया था। अविनाश पांडेय ने कहा कि न ही कांग्रेस चुनाव में उम्मीदवार उतारेगी और कोई भी कैंडिडेट किसी दूसरे दल के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेगा। सीट बंटवारे का भी जिक्र आया। कांग्रेस के नेताओं कहा कि यूपी उपचुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को चुनाव जीतने और बीजेपी को हराने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा । इसको लेकर यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय ने साफ कहा कि कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी के उम्मीदवार किसी दूसरी पार्टी के सिंबल पर चुनाव भी नहीं लड़ेंगे।
उत्तर प्रदेश में जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है उसमें भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद, खैर और फूलपुर जीती थी। मझवां सीट एनडीए गठबंधन की निषाद पार्टी ने जीती थी। वहीं, सपा गठबंधन में रहते हुए मीरापुर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी। इस बार राष्ट्रीय लोकदल भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। बहरहाल अब उत्तर प्रदेश में उपचुनाव को लेकर बिगुल बज चुका है। भाजपा ने 24 अक्टूबर को अपने सभी प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर दी है। इस लिस्ट में एनडीए सरकार की सहयोगी निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है। इससे पहले यह कहा जा रहा था कि निषाद पार्टी दो सीट के लिए अड़ी हुई है। अब उत्तर प्रदेश सरकार में संजय निषाद ने समझदारी भरा बयान दिया है। उन्होंने मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि उनका पहला मुद्दा अभी भी आरक्षण ही है। संजय निषाद ने लखनऊ में कहा कि हम एनडीए प्रत्याशियों को जिताने के लिए काम करेंगे। दिल्ली में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष से जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, उसे हमारी कोर कमेटी को बताया गया। कोर कमेटी को बताया गया कि आरक्षण के मुद्दे पर (बैठक में) तय हुआ कि हम आगे बैठकर इसपर बात करेंगे कि इसे कैसे करना है। हमारे मंडल कमेटी के लोग, मंडल कॉर्डिनेटर सभी को सही बात बताई गई क्योंकि विपक्ष के लोग गलत नैरेटिव बनाते हैं। हमारी शुरू से यही मांग है, हमारे मुद्दें वहीं हैं जिनके लिए हमने बलिदान दिया है, हमारे लिए आरक्षण प्रथम मुद्दा है। जाहिर है कि एनडीए में इंडिया गठबंधन की अपेक्षा बेहतर तालमेल है। कांग्रेस ने बिगड़ी बात भले ही संभाल ली लेकिन लोकसभा मंे सपा ने जिस निष्ठा से कांग्रेस का साथ दिया था, उस निष्ठा का अभाव दिख रहा है। (हिफी)

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