अजित पवार की उलझनंे

महाराष्ट्र मंे ओपीनियन पोल ने हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को ही लेाकसभा चुनाव मंे ज्यादा सीटें मिलने की संभावना जतायी है लेकिन एनडीए का हिस्सा होते हुए भी शरद पवार के भतीजे अजित पवार परेशान नजर आते हैं। दरअसल, उनकी कई उलझनें हैं। एक तो अदालत ने उनको सख्त हिदायत दे रखी है कि वे विरोध की राजनीति करते हुए अपने चाचा शरद पवार का फोटो नहीं लगा सकते। दूसरी उलझन यह है कि उनके परिजन और शुभचिंतक भी नाराज हैं। तीसरी सबसे बड़ी उलझन यह है कि जिस भाजपा के लिए उन्हांेने सब कुछ दांव पर लगाया उसने उनकी पार्टी को सिर्फ 4 लोकसभा सीटें दी हैं। इससे अजीत के कई साथी निराश होकर पुराने अभिभावक शरद पवार के खेमे में लौटने लगे हैं।
बीते साल अपनी पार्टी एनसीपी में दोफाड़ करने के बाद अजित पवार लोकसभा चुनाव से पहले परेशानी में घिरते दिख रहे हैं। उनके कई अपने उनका साथ छोड़ रहे हैं। दरअसल, एनसीपी को दोफाड़ कर अजित पवार एनडीए से मिल गए थे। वह राज्य में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री हैं। उनके गुट के कई विधायकों को भी मंत्री बनाया गया है लेकिन, लोकसभा चुनाव में एनडीए के खाते से उनकी पार्टी को केवल चार सीटें मिली हैं। इससे पार्टी के भीतर लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की आश लगाए बैठे नेता निराश हैं। उनमें से कई अपने ‘अभिभावक’ शरद पवार के पास लौटने लगे हैं। बीते कुछ ही दिनों के भीतर अजित पवार को कई झटके लगे हैं। एक दिन पहले की सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को फटकार लगाई थी। मुद्दा यह था कि अजित गुट के नेता प्रचार अभियान में पार्टी के दो फाड़ हो जाने के बावजूद शरद पवार की तस्वीर और पार्टी का चुनाव चिन्ह इस्तेमाल कर रहे थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रोक लगा दी। इसके बाद अजित पवार के कई करीबी एक बार फिर शरद पवार की ओर रुख कर रहे हैं। कुछ ही दिन पहले विधायक नीलेश लंका ने उनका साथ छोड़ा है। वह अहमदनगर से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन एनडीए में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। नीलेश लंबे समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में उन्होंने एनसीपी (अजित गुट) छोड़ दिया है। उनके अब शरद गुट में शामिल होने की संभावना है। इस सीट से नीलेश को महाविकास अघाड़ी से टिकट मिलने की संभावना है। कुछ ऐसी ही खबर बीड से आ रही है। बीड में एनसीपी अजित गुट के नेता बजरंग सोनवणे भी बगावत की राह पर है। दरअसल, बीड लोकसभा सीट भी भाजपा के खाते में चली गई है, जबकि यहां एनसीपी का अच्छा प्रभाव रहा है। यह भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे का क्षेत्र है। भाजपा ने गोपीनाथ की बड़ी बेटी पंकजा मुंडे को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीते चुनाव में यहां से पंकजा की बहन प्रीतम ने चुनाव जीता था। बीड की एक विधानसभा सीट से एनसीपी नेता और पंकजा के चचेरे भाई धनंजय मुंडे विधायक हैं।
बीते चुनाव में बजरंग सोनवणे यहां से एनसीपी उम्मीदवार थे। सूत्रों ने जानकारी दी है कि बजरंग सोनवणे पिछले आठ दिनों से शरद पवार के संपर्क में हैं। इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले अजित पवार को बड़ा झटका लगने की संभावना है। सोनवणे का बीड में अच्छा प्रभाव है। वह मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी माने जाते हैं। लेकिन, अब लोकसभा चुनाव से पहले सोनवणे के बगावत का झंडा बुलंद करने की आशंका है। इस बीच, पंकजा मुंडे की उम्मीदवारी की घोषणा के तुरंत बाद बीड के केज में सोनवणे ने कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक की। कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि उन्हें राष्ट्रवादी शरद गुट से चुनाव लड़ना चाहिए।
लोकसभा चुनाव में चाचा से उनकी बगावत की बात उनके परिवार के सदस्यों को भी हजम नहीं हो रही है। उनके कई करीबी इस चुनाव में उनसे दूर होते जा रहे हैं। एक ऐसे ही बेहद करीबी ने कहा है कि वह हमेशा से अजित दादा के साथ रहे। बुरे और अच्छे दोनों दिनों में उन्होंने उनका साथ दिया, लेकिन अब बहुत हो चुका। अब वह बड़े साहब (शरद पवार) का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते। बारामती लोकसभा क्षेत्र बड़े साहब का परिवार है। हम सभी पर बड़े साहब का अनंत उपकार है। वह 83 वर्ष के हैं और हम सभी को उनका सम्मान करना चाहिए। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए उनके परिवार के करीबी का यह बयान एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बारामती लोकसभा क्षेत्र एनसीपी का गढ़ रहा है लेकिन पिछले दिनों एनसीपी दोफाड़ हो गई। उसके एक धड़े का नेतृत्व अजित पवार कर रहे हैं वहीं दूसरा धड़ा शरद पवार के साथ हैं। चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को मूल एनसीपी माना है और पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उनके साथ है। ऐसे में शरद पवार के नेतृत्व वाले
धड़े को एनसीपी शरद गुट कहा जा रहा है।
बारामती लोकसभा क्षेत्र से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले सांसद हैं और वह अपने पिता के साथ हैं। दूसरी तरफ मौजूदा लोकसभा चुनाव में अजित गुट को एनडीए के खाते से केवल चार सीटें मिलने की संभावना है। उसमें एक सीट बारामती है। वह बारामती से अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को उम्मीदवार बनाने वाले हैं। इस तरह बारामती में अजित की पत्नी और उनकी चचेरी बहन के बीच मुकाबला होने जा रहा है। इस कारण पूरा बारामती भी दो धड़ों में बंट गया है। खुद शरद पवार का कुनबा भी बंट गया है। परिवार के कई अहम सदस्य शरद पवार के साथ खुलकर आ गए हैं। एक ऐसे ही बेहद प्रभावी सदस्य हैं श्रीनिवास पवार। वह अजित पवार के सगे बड़े भाई हैं। उन्होंने इस पारिवारिक लड़ाई में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। काटेवाड़ी गांव में सुप्रिया के लिए प्रचार करते हुए कहा कि वह हमेशा अजित दादा के साथ रहे। अच्छा और बुरा उसने जो भी निर्णय लिया, उन्होंने हमेशा उसका समर्थन किया। क्योंकि उन्होंने कभी नहीं पूछा कि उन्हें ऐसा क्यों करना चाहिए? बहुत सारे लोग उन्हें जानते हैं। वह यहां की मिट्टी से जुड़े हैं। जब हमारी चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि एमएलए अजित दादा के साथ होना चाहिए, एमपी साहब के साथ होना चाहिए।
उल्लेखनीय है ओपिनियन पोल में महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन को भारी जीत मिलने की संभावना है। राजनीतिक रूप से उत्तर प्रदेश के बाद देश के इस सबसे बड़े सूबे में एनडीए के लिए यह जीत बहुत बड़ी हो सकती है।
इस पोल में राज्य की 48 में से 41 सीटों पर एनडीए उम्मीदवार की जीत की बात कही गई है। वहीं केवल सात सीटों पर एमवीए उम्मीदवार जीतते दिख रहे हैं। बीते चुनाव में शिवसेना और एनसीपी एकजुट थी। शिवसेना का भाजपा के साथ गठबंधन था और उसे राज्य की 48 में से 41 सीटें मिली थीं। दूसरी तरफ कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को केवल पांच और एआईएमआईएम को एक सीट मिली थी। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। लेकिन, इस बार महाराष्ट्र का पूरा दलीय समीकरण बदल चुका है। शिवसेना और एनसीपी दो फाड़ हो चुकी है। कांग्रेस के भी कई बड़े नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं।
ओपिनियन पोल में दोनों प्रमुख गठबंधनों के वोट प्रतिशत में भी भारी अंतर दिख रहा है। एनडीए को जहां 48 फीसदी वोट मिलने की संभावना है वहीं एमवीए को केवल 34 फीसदी वोट मिल पाएगा। अन्य का वोट प्रतिशत करीब 13 रह सकता है। इसके बावजूद अजित पवार का भविष्य धुंधला नजर आ रहा है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)