लेखक की कलम

अखिलेश ने बढ़ाई राहुल की बेचैनी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
समाजवादी पार्टी (सपा) कांग्रेस का साथ तो चाहती है लेकिन अपनी पार्टी की विस्तार-गति को भी रुकने नहीं देगी। सपा को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल कराने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कमर कस ली है। इसी के तहत जम्मू-कश्मीर मंे अकेले दम पर मैदान मंे उतरने के बाद अब हरियाणा मंे अखिलेश यादव 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस से गठबंधन किया है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कड़े रुख के चलते महबूबा मुफ्ती की पार्टी को भी गठबंधन मंे शामिल नहीं किया गया है। अब समाजवादी पार्टी ने कहा है कि यदि हरियाणा में कांग्रेस 17 सीटें नहंी देती तो उससे ज्यादा पर भी चुनाव लड़ा जा सकता है। उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हरियाणा में प्लान यह है कि भाजपा को पटखनी देने के लिए दुश्मन से भी दोस्ती की जाए। अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी हरियाणा मंे काफी सीटें मांग रही हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को बराबर की टक्कर दी है। राज्य की 10 लोकसभा सीटों मंे दोनों ने पांच-पांच सांसद पाये हैं। इसलिए राहुल को लगता है कि अखिलेश यादव उनकी रणनीति को बिगाड़ सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर में अकेले दम पर मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी अब हरियाणा के चुनावी दंगल में दो-दो हाथ करने को तैयार है। इसके लिए हरियाणा प्रदेश इकाई ने 17 सीटों पर दावेदारी ठोंक कर कांग्रेस खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र भाटी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इन सीटों का ब्यौरा भेज दिया है। इसको लेकर कांग्रेस खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। हरियाणा की 90 सीटों पर चुनाव होने हैं और 5 सितंबर से इसके लिए नामांकन होगा। यहां सपा ने भी चुनाव लड़ने का एलान किया है। इसके लिए कांग्रेस से गठबंधन की बात चल रही है। वहीं सपा के हरियाणा अध्यक्ष सुरेंद्र भाटी ने 17 सीटों पर दावेदारी ठोक दी है। इन सीटों का ब्यौरा सपा मुखिया अखिलेश यादव को भेज दिया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष की कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से बात चल रही है। कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना है यह पार्टी मुखिया तय करेंगे। यदि गठबंधन नहीं होता है तो 17 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। इसके लिए प्रत्याशियों का पैनल तय हो चुका है। लखनऊ में सपा मुखिया ने बैठक की है। गौरतलब है कि हरियाणा के लिए मतदान के दिन को 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर को संशोधित किया गया है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना का दिन 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तय किया गया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की अहम बैठक हुई। इस बैठक में शामिल राहुल गांधी ने पुराने ‘दुश्मन’ से गठबंधन की संभावनाओं पर हरियाणा कांग्रेस के नेताओं का मन टटोलने की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने पूछा कि क्या हरियाणा में इंडिया गठबंधन के दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं? राहुल गांधी ने सीईसी की बैठक में सवाल किया, ‘क्या हरियाणा चुनाव अकेले लड़ने से कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा? क्या कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की कोई संभावना बन सकती है?’ इस पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आम आदमी पार्टी बहुत ज्यादा सीटें मांग रही है। तीन से चार सीट दी जा सकती हैं, लेकिन उनकी ख्वाहिश बड़ी है, इसलिए गठबंधन कर पाना मुश्किल है। हालांकि राहुल गांधी ने फिर भी कहा कि इंडिया गठबंधन के वोट न बटे ऐसी कोशिश हम सबको मिलकर करनी चाहिए। आप लोग देखिए कि क्या संभव है।’ वहीं हरियाणा चुनाव में क्या कांग्रेस पहलवान विनेश फोगट को मैदान में उतारने जा रही है? इस सवाल पर अभी तस्वीर साफ नहीं है। कांग्रेस महासचिव दीपक बाबरिया के मुताबिक, सीईसी की बैठक में चर्चा किए गए 49 नामों में से 34 को मंजूरी दे दी गई है। खबर है कि कांग्रेस के 28 सिटिंग विधायकों में से 22 के टिकट क्लियर हो गए हैं। वहीं 5 सिटिंग विधायकों के टिकट रिव्यु में डाले गए हैं, जबकि छठे विधायक वरुण मुलाना लोकसभा सांसद बन गए हैं। वहीं, विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छुक बताई जा रहीं लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के बारे में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे अंतिम फैसला करेंगे।
गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस और आप ने हरियाणा, गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने पिछले महीने विधानसभा चुनावों के लिए आप के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में एक मजबूत प्लेयर है और चुनाव अकेले लड़ेगी। वहीं इस साल की शुरुआत में, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उनकी पार्टी अपने दम पर हरियाणा विधानसभा चुनाव सभी 90 सीटों पर लड़ेगी।
हरियाणा में सियासी जंग जारी है। यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। पिछले दो विधानसभा चुनावों का वोटिंग प्रतिशत यह दर्शाता है कि किस पार्टी ने बढ़त हासिल की है। तो किसकी साख कमजोर पड़ रही है। साल 2014 के चुनाव परिणामों की बात की जाए, तो बीजेपी ने 33.2 फीसदी हासिल कर सरकार बनाई थी। वहीं, साल 2019 में 36.49 वोटिंग प्रतिशत रहा था।
वोट प्रतिशत के मामले में भी साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर फायदा हुआ था। बीजेपी राज्य की नंबर वन पार्टी बनी थी। इंडियन नेशनल लोकदल 24.1 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे और कांग्रेस 20.6 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे पायदान पर रही थी। 2014 में बीएसपी को करीब 5 फीसदी और हंजका को करीब 4 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि, साल 2019 के चुनावी परिणाम के आंकड़ों पर नजर डालें तो, कांग्रेस ने वोटिंग प्रतिशत में बढ़त बनाई थी। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी को 36.49 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे तो दूसरे नंबर पर कांग्रेस को 28.08 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके अलावा तीसरे पायदान पर 14.80 जननायक जनता पार्टी रही थी। इस चुनाव में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी और सात निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बाजी मारी है। यहां जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) से पूर्व मंत्री रहे देवेंद्र बबली ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। उन्होंने पूर्व जेल अधीक्षक सुनील सांगवान के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली। वहीं, जजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष संजय कबलाना भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली के शुरुआत में कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा था कि देवेंद्र बबली ने उनसे मुलाकात की थी, उन्हें टिकट के लिए मना कर दिया गया है। इसके बाद देवेंद्र बबली ने भाजपा ज्वाइन कर ली। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button