लेखक की कलम

अमित शाह का संकल्प

हमारे देश में नक्सलवाद की समस्या बहुत जटिल है। नक्सलवादी भटके हुए और गुमराह लोग हैं जिनको देश की व्यवस्था पर विश्वास नहीं है। केन्द्र और राज्य की नीतियों से असहमत तो कई लोग होंगे लेकिन उनके विरोध का तरीका लोकतांत्रिक रहता है। नक्सलवादियों ने हिंसा का रास्ता अपनाया। हालांकि आतंकवादियों और नक्सलवादियों मंे काफी अंतर है। आतंकवादी दूसरे देश के हैं अथवा अपने ही देश के युवकों को ब्रेनवाश करके उन्हंे विदेशी बना दिया गया है लेकिन नक्सलवादी हमारे अपने देश के हैं। वे जब मरते है अथवा दूसरों को मारते हैं, तब बहुत कष्ट होता है। अपना ही खून बहता है लेकिन समझाने-बुझाने का कोई असर ही नहीं पड़ रहा है। नक्सलवादियों ने भी दहशत का माहौल बना रखा है और उनकी समानांतर व्यवस्था चलती है। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इनको रास्ते पर लाने के लिए कई अभियान चलाए गये लेकिन नक्सलवाद का पूरी तरह से खात्मा नहीं हो सका। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संकल्प लिया है कि जब तक सभी नक्सली पकड़े या मारे नहीं जाते, तब तक मोदी सरकार चैन नहीं लेगी। बेहतर तो यह होगा कि नक्सलवादियों को समझा बुझाकर विकास की धारा मंे शामिल किया जाए। उनकी हत्या करने की जरूरत न पड़े। बड़ी संख्या मंे राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार भी कर पायी हैं और उनको जीविकोपार्जन के बेहतर संसाधन दिये गये है। इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार होना चाहिए। हमारे देश मंे डकैतों का आत्मसमर्पण करवाया जा चुका है तो नक्सलवादी तो सिर्फ गुमराह किये गये हैं। इसमें पड़ोसी दुश्मन देशों की भी साजिश हो सकती है, इसे खत्म किया जाए। बहरहाल, नक्सलवाद की समस्या का समाधान तो निकालना ही पड़ेगा। सबसे ज्यादा प्रभावित छत्तीसगढ़ राज्य है। इस समस्या को राजनीतिक रूप भी दिया जा रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति के विपक्षी उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी ने नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों के कार्यक्रम सलवाजुडूम को खत्म कर दिया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गत 3 सितम्बर को कहा कि मोदी सरकार तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक सभी नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर देते, पकड़े नहीं जाते या उनका सफाया नहीं हो जाता। छत्तीसगढ़ के कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले सीआरपीएफ, छत्तीसगढ़ पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और ‘कोबरा’ बल के जवानों को बधाई देते हुए शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार भारत को नक्सल मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने कहा कि ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ के दौरान जवानों द्वारा दिखाई गई बहादुरी और पराक्रम को नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। शाह ने कहा कि नक्सलियों ने देश के कुछ सबसे कम विकसित क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुंचाया है, स्कूलों, अस्पतालों को बाधित किया है और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में बाधा डाली है। उन्होंने कहा कि निरंतर नक्सल विरोधी अभियानों के कारण, पशुपतिनाथ से तिरुपति तक फैले पूरे क्षेत्र में 6.5 करोड़ लोगों के जीवन में एक ‘नया सूर्योदय’ हुआ है। शाह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए सुरक्षाकर्मियों की सहायता के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है और उनका जीवन आसान बना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक बार फिर नक्सलियों की बर्बरता का मामला सामने आया है। नक्सलियों ने सिरकेटी गांव में दो ग्रामीणों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी है। सुकमा सहित सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में लगातार सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के मामले सामने आते रहते हैं। इस साल अब तक माओवादी हिंसा में लगभग 35 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य के बीजापुर में नक्सलियों ने 29 अगस्त को एक शिक्षादूत (सरकारी स्कूलों में अस्थायी अतिथि शिक्षक) का अपहरण कर हत्या कर दी थी। इससे पहले 27 अगस्त को सुकमा जिले में इसी तरह की घटना में एक और शिक्षादूत की हत्या कर दी गई थी। दूसरी तरफ सुकमा जिले में सुरक्षाबलों ने तीन नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से लगभग तीन किलोग्राम का एक टिफिन बम, पांच इलेक्ट्रिक डेटोनेटर, पांच मीटर कोर्डेक्स वायर, पांच जिलेटिन रॉड और अन्य सामान बरामद किया गया है। पूछताछ के दौरान नक्सलियों ने बताया कि वह सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए बम लगाने की कोशिश में थे। नक्सलियों की इस भावना को बदलना है।
नक्सल हिंसा के शिकार लोगों ने शुक्रवार को संसद के सभी सांसदों से भावुक अपील की है कि वे विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी का समर्थन न करें। बस्तर शांति समिति के बैनर तले इन लोगों ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आरोप लगाया कि रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए सलवा जुडूम को खत्म करने का आदेश देकर नक्सलियों के खिलाफ उनकी जंग को कमजोर कर दिया, जिससे उनकी जिंदगियां तबाह हो गईं।बस्तर शांति समिति के संयोजक जयराम ने कहा, जब सलवा जुडूम को ताकत मिली थी, तब नक्सली इतने कमजोर हो गए थे कि उनका खात्मा होने वाला था लेकिन रेड्डी साहब के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने नक्सलियों को फिर से हिम्मत दी। इससे नक्सलवाद एक नासूर बन गया।
सलवा जुडूम के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी नौजवानों को स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाकर नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोला था लेकिन 2011 में सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस रेड्डी भी शामिल थे, ने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक बताकर सलवा जुडूम को तुरंत बंद करने और हथियार छीनने का आदेश दिया था।
सलवा जुडूम को लेकर अब भी विरोधाभास है। हालांकि अब इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास बताया जा रहा है। बस्तर शांति समिति ने साफ किया कि उनका किसी राजनीतिक दल या विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है, और वे सिर्फ इंसाफ चाहते हैं। बता दें कि उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा। बी. सुदर्शन रेड्डी विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार हैं, जबकि सत्तारूढ़ एनडीए ने सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है।
असली समाधान है नक्सली क्षेत्र का विकास। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित और दूरस्थ इलाकों में डिजिटल संचार को सशक्त बनाने हेतु 400 नए बीएसएनएल टावर लगाने की योजना पर कार्य कर रही है। यह जानकारी ग्रामीण विकास और दूरसंचार राज्यमंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने रायपुर में दी थी। डॉ. शेखर ने कहा कि इन टावरों की स्थापना के लिए सुरक्षा बलों और वन विभाग से आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद चरणबद्ध कार्यवाही की जाएगी।
मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी योजनाओं के तेज और प्रभावशाली क्रियान्वयन पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं ग्रामीण आधारभूत संरचना और आवास क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन ला रही हैं। राज्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ‘पिंक ऑटो’ जैसे नवोन्मेषी प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके तहत महिलाओं को स्वामित्व वाले पिंक ऑटो प्रदान किए जा रहे हैं। यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकती है। उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को “मिशन मोड” में लागू किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में सेवाएं घर-घर तक पहुंचाने की रणनीति अपनाई जा रही है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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