फिल्म परिंदा में अनिल कपूर को खाने पड़े थे 17 थप्पड़

विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी फिल्म ‘खामोश’ (1985) के फ्लॉप होने के बाद ‘परिंदा’ बनाई। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था, हमने पूरी फिल्म सिर्फ 12 लाख रुपये के बजट में बनाई, जो उस स्केल की मूवी के लिए बहुत कम था लेकिन इसी कमी ने फिल्म को रियलिस्टिक बनाया। बिना किसी आर्टिफिशियल सेट के लोकेशन, क्राउड और शूटिंग सब असली मुंबई में हुई। फिल्म की कहानी दो भाइयों की है। एक अपराध की दुनिया में फंस जाता है, दूसरा सही रास्ते पर रहने की कोशिश करता है। जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, नाना पाटेकर और माधुरी दीक्षित की स्टार कास्ट ने इसे अमर बना दिया। ‘परिंदा’ सुपरहिट रही और इसके बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस ने रिकॉर्ड तोड़े। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में रियलिज्म लाने का टर्निंग पॉइंट बनी। फिल्म का एक सीन था जहां जैकी के किरदार को अनिल को थप्पड़ मारना था लेकिन डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा को परफेक्शन चाहिए था। एक इंटरव्यू में जैकी ने खुलासा किया था, ‘पहला शॉट ओके हो गया, अनिल का एक्सप्रेशन भी सही था लेकिन डायरेक्टर ने कहा, ‘नहीं, एक और चाहिए।’ मैंने फिर थप्पड़ मारा फिर कहा, ‘एक और’। इस तरह 17 बार थप्पड़ मारना पड़े।’ जैकी ने जोर देकर कहा, ‘हवा में थप्पड़ मारने से रिएक्शन नहीं आता। असली थप्पड़ ही सीन को रियल बनाता।’ खास बात तो ये है कि विधु विनोद चोपड़ा ने परिंदा में 1-2 नहीं तीन रोल निभाए थे। फिल्म के प्रोडक्शन और डायरेक्शन ही नहीं इसकी स्क्रिप्ट भी इन्होंने ही लिखी थी। विधु विनोद चोपड़ा के निर्देशन में बनी परिंदा को 37वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में 2 अवॉर्ड भी मिले थे। 3 नवंबर 1989 में रिलीज हुई फिल्म में यूं तो बॉलीवुड की हिट जोड़ी माधुरी दीक्षित अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे सितारे लीड रोल में थे, लेकिन नाना पाटेकर ने सर्वश्रेष्ठ को-एक्टर का अवॉर्ड इस फिल्म के लिए अपने नाम किया था। (हिफी)