लेखक की कलम

सेना प्रमुख का सामयिक संदेश

लाल किले के पास आतंकी विस्फोट और सफेद कोट्र मंे छिपे आतंकी चेहरे गिरफ्त मंे आने के बाद आतंकवादियों और उनको संरक्षण देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना बेहद जरूरी हो गया है। हमारे देश के सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने सामयिक संदेश दिया है कि आतंकवादी और आतंकवाद के आका समान रूप से खतरनाक हैं। इसलिए किसी प्रकार से जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। अफसोस यह कि इस पर भी कुछ लोग राजनीति करने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर मंे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने संदिग्धों पर कार्रवाई का विरोध किया है। कश्मीर मंे हालांकि जब से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया गया है तब से वहां शिक्षा के क्षेत्र मंे काफी तरक्की हुई है। राज्य मंे कालेज, आईआईटी और आईआईएम जैसी शैक्षिक संस्थाएं खुल रही हैं और बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। राज्य मंे पिछले दिनों 31 मिलिटेंट और आतंकवादी मारे गये जिनमंे 21 की पहचान पाकिस्तानी के रूप में हुई है लेकिन अब भी कुछ लोग आतंकवादियों को प्रश्रय दे रहे हैं। इनकी तलाश और इन पर शिकंजा कसना बहुत जरूरी है।
देश के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आतंकवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, हमारे लिए आतंकवादी और आतंकवाद के आका एक बराबर हैं। जो भी आतंकवाद को बढ़ावा देगा, हम उसको जवाब देंगे।उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान को लेकर भी बयान दिया। चाणक्य डिफेंस डायलॉग में उन्होंने कहा, सिंदूर 2 नई चेतावनी है। पानी और खून एक साथ नहीं चल सकता। अगर आप ब्लैकमेल करेंगे तो हम शांत नहीं बैठेंगे। अभी मूवी शुरु भी नहीं हुई थी, 88 घंटों में समझा दिया गया।
उन्होंने कहा, पाकिस्तान के लिए यह बड़ा चैलेंज बन कर रहेगा। हम कह रहे हैं कि आप शांति की प्रक्रिया अपनाइए। आप हमें अगर ब्लैकमेल करना चाहते है तो भारत किसी ब्लैकमेल से नहीं डरेगा। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि पिछले एक साल में काफी बदलाव और सुधार आया है। दोनों देशों के नेताओं में बात हुई है। पिछले साल 1 अक्टूबर से लेकर अब तक कई सुधार आए हैं। हमारे रक्षा मंत्री जब वहां गए, तब उन्होंने कहा कि हमें निर्णय लेना चाहिए कि बर्फ पिघलनी चाहिए या नहीं। दोनों ने माना है कि बॉर्डर पर ज्यादा डायलॉग होने का मुनाफा होगा।सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर का आदमी, भारत के कोने-कोने में जाना चाहता है। वहां काम करना चाहता है। देश के लोग जम्मू कश्मीर से जुड़ना चाहते हैं। जो लोग वहां के हालत देखकर बाहर आ गए थे, वह भी वापस जाना चाहते हैं और अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से लेकर अब तक सबसे बड़ा बदलाव आया है कि पॉलिटिकल क्लैरिटी मिली है। कॉलेजेस, आईआईटी और आईआईएम खुल रहे हैं। वहां 21 प्रतिशत स्कूल बढ़ रहे हैं।
आतंकवाद में बहुत ज्यादा गिरावट आई है, 31 मिलिटेंट और आतंकवादी मारे गए हैं, जिसमें से 21 पाकिस्तानी थे। अब पत्थरबाजी नहीं होती। पहलगाम हुआ, उसके बाद भी अमरनाथ यात्रा में लोग आए। जम्मू कश्मीर में अच्छे के लिए बदलाव आ रहा है। भारत के प्रति सम्मोह बढ़ता जा रहा है, पाकिस्तान के प्रति मोह खत्म होता जा रहा है।सेना प्रमुख ने कहा कि पड़ोसी देश में किसी तरह की दिक्कत है तो हम पर असर पड़ता है। म्यांमार में परेशानी हुई तो वहां के लोग शरणार्थी के तौर पर आए और हम इसलिए सहयोग कर रहे हैं कि वह स्वेच्छा से वापस लौटें।
सेना प्रमुख का अकालन तभी कारगर होगा जब आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर राजनीति नहीं होगी। कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती द्वारा लाल किला विस्फोट को कश्मीर में अशांति से जोड़ने के बाद एक नया राजनीतिक विवाद छिड़ गया। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के इस बयान की आलोचना की है। गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि राजधानी में लाल किले के पास विस्फोट का मामला देश भर में बढ़ती असुरक्षा की भावना और जम्मू-कश्मीर में केंद्र की नीतियों की विफलता को दर्शाता है। हालांकि, भाजपा ने मुफ्ती के बयानों की कड़ी निंदा की और उन पर हमले के पीछे के लोगों के लिए बहाने बनाने का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने दावा किया कि वह चरमपंथियों को सही ठहराने की कोशिश कर रही हैं। महबूबा मुफ्ती ने कहा, आपने (केंद्र सरकार) दुनिया को बताया कि कश्मीर में सब कुछ ठीक है, लेकिन कश्मीर की परेशानियां लाल किले के सामने गूंज रही हैं। आपने जम्मू-कश्मीर को सुरक्षित बनाने का वादा किया था, लेकिन उस वादे को पूरा करने के बजाय, आपकी नीतियों ने दिल्ली को असुरक्षित बना दिया है। मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार में कितने लोग सच्चे राष्ट्रवादी हैं। अगर एक पढ़ा-लिखा युवा, एक डॉक्टर, अपने शरीर पर आरडीएक्स बांधकर खुद को और दूसरों को मार डालता है, तो इसका मतलब है कि देश में कोई सुरक्षा नहीं है। आप हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करके वोट तो पा सकते हैं, लेकिन देश किस दिशा में जा रहा है?
महबूबा मुफ्ती ने यह भी आरोप लगाया कि विभाजनकारी राजनीति राष्ट्रीय सुरक्षा पर हावी हो गई है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि दिल्ली के लोग इसे समझते हैं या नहीं, या वे सोचते हैं कि जितना ज्यादा हिंदू-मुस्लिम विभाजन होगा, उतना ही ज्यादा खून-खराबा होगा, देश में जितना ज्यादा ध्रुवीकरण होगा, उतने ही ज्यादा वोट उन्हें मिलेंगे? मुझे लगता है कि उन्हें दोबारा सोचना चाहिए। देश कुर्सी से कहीं बड़ा है। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं, जहरीला माहौल भी कश्मीर के युवाओं को खतरनाक रास्ते पर जाने के लिए जिम्मेदार है।
दिल्ली में लाल किले के पास हुए बम धमाके की साजिश रचने के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में धमाका हुआ था। इस धमाके में कई लोगों की मौत हो गई और कुछ लोग घायल भी हुए थे। इस मामले में जांच कर रही एनआईए ने कश्मीर के रहने वाले आमिर राशिद अली को गिरफ्तार किया गया। उसकी तलाश में जांच एजेंसी कई राज्यों में छापेमारी कर रही थी। एनआईए ने आत्मघाती हमलावर उमर का एक और वाहन जब्त कर लिया है, जिसकी अतिरिक्त सबूतों के लिए जांच की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जांच के दौरान आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। आरोप है कि कई डॉक्टर और ऊंचे पदों पर बैठे लोग यह गिरोह चला रहे थे। अधिकारियों का कहना है कि यह मॉड्यूल पिछले साल से एक आत्मघाती हमलावर की तलाश में था, जिसकी साजिश के केंद्र में डॉ. उमर नबी था। पुलिस को संदेह है कि 6 दिसंबर और 10 नवंबर को लाल किले पर हुए बम विस्फोट का मास्टरमाइंड वही था। आरोपी डॉ आदिल राथर और डॉ मुजफ्फर गनई से पूछताछ के बाद पुलिस काजीगुंड पहुंची, जहां उन्होंने जसीर उर्फ दानिश को हिरासत में लिया। उसकी गिरफ्तारी से जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े व्यापक नेटवर्क का खुलासा हुआ। दानिश ने खुलासा किया कि पिछले साल अक्टूबर में कुलगाम की एक मस्जिद में उसकी मुलाकात डॉक्टर मॉड्यूल से हुई थी और बाद में उसे अल-फलाह विश्वविद्यालय के एक किराए के कमरे में ले जाया गया, जहां उसे कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर बनने के लिए तैयार किया गया।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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