लेखक की कलम

असीम अरुण का प्रेरक संदेश

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनेताओं और पुलिस के बारे में लोगों की बहुत अच्छी धारणाएं नहीं हैं। इसलिए पुलिस अधिकारी से राजनीति में आए असीम अरुण ने गत 31 जुलाई को जिस तरह से अपने निजी सचिव को पुलिस के हाथों सौंपा, उसका संदेश बहुत दूर-दूर तक जाएगा। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने विभागीय महिला कर्मचारी की शिकायत पर निजी सचिव जयकिशन को अपने आफिस मंे ही पुलिस बुलाकर गिरफ्तार कराया। योगी की सरकार मंे महिलाओं को कार्यस्थल पर और कार्यस्थल के बाहर भी बेहतर सुरक्षा देने का प्रयास किया गया है लेकिन कार्यान्वयन करने वालों की इच्छा शक्ति पर इसकी सफलता निर्भर करती है। प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने उसी इच्छाशक्ति का परिचय दिया और राजनेताओं की बेहतर छवि बनाने का प्रयास भी किया है। असीम अरुण आईपीएस कैडर के पुलिस अधिकारी रह चुके हैं और अनुशासन उनकी रग-रग में समाया है। इसीलिए अपने विभाग की महिला कर्मचारी की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की है। इससे पूर्व इसी वर्ष मई मंे समाज कल्याण विभाग के एक छात्रावास के कायाकल्प मंे 5 लाख का घोटाला पकड़ा गया था। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने समाज कल्याण अधिकारी व निरीक्षक को निलंबित कर डिप्टी डायरेक्टर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी।
इसी साल मई की बात है। समाज कल्याण अधिकारी असीम अरुण बाराबंकी के रामनगर पीजी कालेज पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कालेज परिसर मंे स्थित समाज कल्याण विभाग के छात्रावास का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि छात्रावास के रख रखाव व रंग-रोगन पर पांच लाख रुपये का घोटाला किया गया है। मंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए समाज कल्याण अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही मामले की जांच डिप्टी डायरेक्टर समाज कल्याण विभाग अयोध्या को सौंपी थी। अब अपने निजी सचिव को अपने कार्यालय मंे ही पुलिस बुलाकर गिरफ्तार कराया है। इससे सिर्फ उनके आफिस की महिला कर्मचारी ही नहीं बल्कि अन्य संस्थानों में कार्यरत महिलाओं को भी राहत महसूस हुई होगी।
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार छात्रावासों के कायाकल्प के लिए भरपूर धनराशि दे रही है ताकि छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें लेकिन यदि कोई अधिकारी इस सरकारी धन का दुरुपयोग करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसी तरह महिला कर्मियों को यह विश्वास होना चाहिए कि उनके साथ कार्यस्थल पर
कोई भी अभद्रता नहीं कर सकेगा। असीम अरुण उत्तर प्रदेश के कन्नौज विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह 1994 बैच के पुलिस अधिकारी (आईपीएस) हैं।
गोमतीनगर स्थित भागीदारी भवन के एक सरकारी दफ्तर में महिला आउट सोर्सिंग पर काम करती है। गत 31 जुलाई को मंत्री अपने दफ्तर में मौजूद थे। इसी बीच महिला फरियाद लेकर पहुंची। महिला ने रोते हुए बताया कि निजी सचिव अक्सर उसे अपने कमरे में बुलाते हैं। इसके बाद आए दिन छेड़छाड़ करते हैं। विरोध पर नौकरी से निकालने की धमकी देते हैं। मंत्री के पूछने पर महिला ने विस्तार से पूरी बात बताई। आरोप है कि 28 जुलाई को महिला दफ्तर में अकेली थी। इस दौरान आरोपी ने उनके साथ अश्लील हरकत की। पीड़िता ने जब शिकायत करने की बात कही तो वह गाली गलौज करने लगा। आरोपी अक्सर महिला के कपड़ों के बारे में भी टिप्पणी करता था और ऊंची पहुंच बताता था। परेशान होकर पीड़िता घर चली गई थी। गत 31 जुलाई को मंत्री के दफ्तर पहुंचने की जानकारी होने पर महिला वहां पहुंची और शिकायत की। निजी सचिव की हरकतों की जानकारी पाकर मंत्री सिर्फ नाराज ही नहीं हुए बल्कि उन्होंने उसी समय पुलिस बुलाकर दफ्तर से ही आरोपी को सीधे थाने भिजवा दिया। आरोपी को साथ लेकर जाते हुए पुलिस का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। डीसीपी शशांक सिंह का कहना था कि तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर आरोपी से पूछताछ की जा रही है। आरोपी जय किशन विक्रांत खंड का रहने वाला है। आरोपी को जेल भेजा जाना तय है।
इससे पूर्व समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने छात्रावास के कायाकल्प में सामने आए घोटाले पर समाज कल्याण अधिकारी व निरीक्षक को निलंबित कर दिया साथ ही डिप्टी डायरेक्टर को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी थी। असीम अरुण का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश में हुआ, जहाँ उनके दिवंगत पिता श्री श्रीराम अरुण ने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कार्य किया। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली में शिक्षा प्राप्त की और 1994 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए। बाद में, उन्होंने ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, कनाडा से सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की उपाधि भी प्राप्त की। उनकी माँ श्रीमती शशि अरुण एक प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनकी पत्नी ज्योत्सना एक प्रख्यात स्तंभकार और रेडियो होस्ट हैं और उनके दो बेटे हैं। उनकी जड़ें खैरनगर, तिर्वा, कन्नौज (उत्तर प्रदेश) गाँव में हैं और एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। असीम का आईपीएस अधिकारी के रूप में तीन दशकों का बहुआयामी और सफल करियर रहा। उन्होंने टिहरी गढ़वाल, बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, गोरखपुर और आगरा के जिला पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यकाल पूरा किया। उनकी अंतिम पोस्टिंग कानपुर नगर में पुलिस आयुक्त के रूप में थी। सिविल सेवा परीक्षा में 2004 में, असीम राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) से ब्लैक कैट कमांडो प्रशिक्षण पूरा करने वाले पहले आईपीएस अधिकारी बने। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की क्लोज प्रोटेक्शन टीम के सदस्य होने के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सेवा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में अमूल्य अनुभव प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख के रूप में, उन्होंने मार्च 2017 में लखनऊ में आईएसआईएस आतंकवादी सैफुल्लाह को बेअसर करने के अभियान का नेतृत्व किया, उत्तर प्रदेश में पुलिस नियंत्रण कक्ष के आधुनिकीकरण हेतु, उन्होंने अलीगढ़ में सेवा 100 विकसित की, जिसका बाद में गोरखपुर और आगरा में विस्तार किया गया। इस व्यवस्था का विस्तार करते हुए, लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज और गाजियाबाद में आधुनिक पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए। उन्होंने यूपी-112 आपातकालीन सेवा की स्थापना में योगदान दिया और 2019 से 2021 तक यूपी-112 का नेतृत्व किया। इस अवधि के दौरान, यूपी-112 ने कोविड-19 के नियंत्रण और मानवीय सहायता प्रदान करने में प्रमुख योगदान दिया।
इत्र और इतिहास के लिए मशहूर कन्नौज शहर को सपा का गढ़ कहा जाता था परंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने पुराने सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए एक नए चेहरे आईपीएस अधिकारी से राजनीतिक में कदम रखने वाले असीम अरुण को चुनाव मैदान में उतारा । असीम अरुण ने अर्जुन की भूमिका निभाते हुए सपा के अवैध किला कन्नौज सदर की सीट पर विजय परचम लहरा कर भाजपा को पिछले तीन चुनावों से मिली हार का सूखा खत्म करते हुए भगवा परचम लहराया। (हिफी)

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