लेखक की कलम

कांग्रेस पर अंदर व बाहर से हमले

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
अभी पिछले दिनों विधानसभा की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने केरल की एक सीट जीतकर अपनी उम्मीदें बरकरार रखीं लेकिन उसे अंदर और बाहर से परेशानियों का लगातार सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक मंे कांग्रेस की सरकार को उसके अपने ही विधायक अस्थिर कर रहे हैं। कई विधायकों ने सिद्धरमैया सरकार के कामकाज पर असंतोष जताया है। यहां तक कि नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें जोर पकड़ने लगी थीं। अब पार्टी के ही एक दिग्गज नेता आरवी देशपांडे ने घोषणा की है कि नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। इसका मतलब है कि कांग्रेस आलाकमान ने वहां पार्टी के अंदर असंतोष को मैनेज कर लिया है। उधर, भाजपा के नेता निशिकांत दुबे ने कांग्रेस की पूर्व सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्हांेंने अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान रूस के लोग यहां जासूसी कराते थे। सांसद दुबे का कहना है कि कांग्रेस के तत्काल बड़े नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व मंे 150 से ज्यादा कांग्रेस के सांसद सोवियत संघ के पैसे पर पलते थे। इसमंे कोई दो राय नहीं कि भाजपा कांग्रेस की जड़ों मंे मट्ठा डालने को तैयार हैं। आपातकाल की याद भी इस क्रम में दिलाई जाती है। अब रूस के लिए जासूसी करने का गंभीर आरोप लगाया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है। निशिकांत दुबे का कहना है कि कांग्रेस राज में रूसी एजेंसी का भारत में दखल था, कांग्रेस के नेता भ्रष्टाचार में शामिल थे। भारत की नीतियां बाहरी लोग तय करते थे। निशिकांत दुबे का कहना है कि सीआईए के सीक्रेट दस्तावेज के आधार पर वह यह दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस गुलामों-बिचैलियों की कठपुतली है।
सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर रूस के एजेंट के तौर पर काम करने का आरोप लगाया है। निशिकांत दुबे का कहना है कि कांग्रेस को इसके लिए रूस से फंडिंग भी होती थी। भाजपा सांसद ने अपने दावे की पुष्टि के लिए सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर सीआईए की रिपोर्ट भी साझा की है। उन्होंने दावा किया है कि यह रिपोर्ट यूएस की इंटेलिजेंस एजेंसी ने 2011 में जारी की थी। निशिकांत दुबे के मुताबिक, कांग्रेस के बड़े नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से ज्यादा कांग्रेस के सांसद सोवियत रूस के पैसे पर पलते थे। रूस के एजेंट के तौर पर काम करते थे?
इसके साथ ही, भाजपा सांसद ने तब की मीडिया की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं। दावा किया कि तब करीब 16 हजार से ज्यादा आर्टिकल ऐसे थे, जो रूस की तरफ से छपवाए गए थे। उस जमाने में रूसी जासूसी संस्थानों के 1100 लोग हिंदुस्तान में थे। ये नौकरशाही, व्यापारी संगठनों, कम्युनिस्ट पार्टियों और ओपिनियन मेकर को अपने पॉकेट में रखते थे और भारत की नीति बनाते थे? उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि कांग्रेस की उम्मीदवार सुभद्रा जोशी ने लोकसभा चुनाव में उस वक्त जर्मन सरकार से पांच लाख रुपए लिये थे। हारने के बाद वो इंडो-जर्मन फोरम की अध्यक्ष बनीं। निशिकांत दुबे ने सवाल किया, यह देश था या गुलामों, दलालों या बिचैलियों की कठपुतली। कांग्रेस इसका जवाब दे। आज इस पर जांच हो या नहीं? भाजपा सांसद की तरफ से साझा की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सोवियत संघ भारतीय राजनीति में गुप्त रूप से धन देता था, खासकर कांग्रेस को। मास्को ने सीपीआई और सीपीआईएम जैसे दलों को भी फंड दिया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, सोवियत संघ भारत में राजनयिक, व्यापार, पत्रकारिता और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सक्रिय था। बहरहाल ये सभी तथ्य अमेरिका से मिले हैं।
उधर, कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच रामनगर के कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया है कि उप मुख्यमंत्री डी।के। शिवकुमार अगले अगले दो से तीन महीने में राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हुसैन शिवकुमार के करीबी समझे जाने वाले विधायकों में से एक हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के करीबी सहकारिता मंत्री के.एन. राजण्णा ने भी सत्तारूढ़ कांग्रेस में बदलाव का संकेत दिया था। रामनगर में संवाददाताओं से बात करते हुए इकबाल ने कहा कि सभी जानते हैं कि सत्ता में आने से पहले राज्य में कांग्रेस की क्या ताकत थी। हर कोई जानता है कि कांग्रेस की जीत के लिए किसने संघर्ष किया, पसीना बहाया, प्रयास किया और रुचि दिखाई। शिवकुमार की रणनीति और उनके कार्यक्रम अब इतिहास में दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अटकलों में विश्वास नहीं करते। उन्हें पूरा भरोसा है कि पार्टी हाईकमान स्थिति से अवगत हैं और सही समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या शिवकुमार जो राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, इस साल सीएम बनेंगे? हुसैन ने कहा कि हां। उन्हें मालूम है कि वह सीएम बनेंगे। दो से तीन महीने के भीतर ही निर्णय ले लिया जाएगा। वह घुमा-फिराकर बात नहीं कर रहे हैं। सीधी बात कह रहे हैं। जो नेता सितंबर तक की तारीख दे रहे हैं, वह बेबुनियाद बातें कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के बेटे व विधान पार्षद यतींद्र सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री बदलने की बात को सिर्फ अटकलबाजी करार दिया है, हुसैन ने कहा कि जब पार्टी हाईकमान ने 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद सरकार बनाने का फैसला किया था, तब वह भी दिल्ली में थे। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने तब भी फैसला किया और अब भी वही लोग फैसला करेंगे। बस देखें और इंतजार करें।
मत्री के.एन. राजण्णा के क्रांतिकारी राजनीतिक बदलावों की टिप्पणियों पर हुसैन ने कहा कि योग्य व्यक्ति को पद पर बैठाना क्रांति नहीं कहा जा सकता। राजनीति में बदलाव आम बात है। जब समय आएगा, तो पार्टी प्रमुख तय करेगा कि किसे जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में अनुशासन और प्रतिबद्धता है और हर कोई इसका पालन करता है। अलग-अलग समुदायों के लोगों ने पार्टी के लिए काम किया है और उन्होंने इसके लिए बलिदान दिया है। अगर आज की स्थिति में सिर्फ बदलाव की उम्मीद है और यह बदलाव होगा तो उसे क्रांति नहीं कहा जा सकता।नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री के बेटे व विधान पार्षद यतींद्र सिद्धरामय्या ने कहा कि उनके पिता व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को कांग्रेस आलाकमान के साथ-साथ पार्टी विधायकों का पूरा समर्थन प्राप्त है। सरकार बहुत सुचारू रूप से काम कर रही है और इसमें कोई बाधा नहीं है। कांग्रेस आलाकमान ने न तो नेतृत्व परिवर्तन की बात कही है और न ही ऐसा कोई संकेत दिया है। इसलिए सिद्धरामय्या पूरे पांच साल तक पद पर बने रहेंगे। अब देशपांडे ने इस पर मुहर लगा दी है। (हिफी)

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