लेखक की कलमसम-सामयिक

विश्व पटल पर अयोध्या का प्रकाश पुंज

 

अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण हो चुका है। मथुरा में ब्रज विकास परिषद के माध्यम से व्यापक कार्य सम्पादित हो रहे है। वर्तमान सरकार ने अयोध्या काशी मथुरा को तीर्थाटन की दृष्टि से विश्व स्तरीय बनाने का प्रयास किया है। अयोध्या में दीपोत्सव का विश्व रिकार्ड कायम हुआ। देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग इसमें सहभागी बने।

भारतीय जन मानस उत्साहधर्मी रहा है। यहां के उत्सवों में प्रकृति के अनुरूप विविध रंग व उमंग है। उल्लास के साथ पर्वों की मनाने की सुदीर्घ परंपरा रही है। युगों युगों से यह प्रवाह अविरल है। इनके साथ किसी न किसी रूप में देवों के नाम भी जुड़े हुए है। इनसे आध्यात्मिक चेतना का भी बोध होता है। दीपावली के साथ अयोध्या धाम और प्रभु श्री राम का नाम जुड़ा है। होली की कल्पना मात्र गोकुल और प्रभु श्री कृष्ण का स्मरण हो जाता है। अयोध्या की दीपावली और बरसाने व काशी की होली विश्व प्रसिद्ध है। यह सभी स्थल वर्तमान उत्तर प्रदेश में है। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने इन अवसरों को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित कराया है। इसको देखने व सहभागी होने के लिए विदेशी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

अयोध्या, मथुरा व काशी के विकास की दृष्टि से पिछले कुछ वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहे है।
अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण हो चुका है। मथुरा में ब्रज विकास परिषद के माध्यम से व्यापक कार्य सम्पादित हो रहे है। वर्तमान सरकार ने अयोध्या काशी मथुरा को तीर्थाटन की दृष्टि से विश्व स्तरीय बनाने का प्रयास किया है। अयोध्या में दीपोत्सव का विश्व रिकार्ड कायम हुआ। देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग इसमें सहभागी बने। प्रभु राम के वनगमन के बाद अयोध्या में चैदह वर्षों तक उदासी का माहौल था। प्रभु राम के वापस लौटने पर यहां के लोगों ने दीपोत्सव मनाया था। इसी के साथ उत्साह रूपी प्रकाश का संचार हुआ था,उदासी का अंधकार तिरोहित हो गया था। भारतीय दर्शन में इसकी कामना भी की गई-
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।।
इस स्थान पर बहुत बाद में कभी श्री राम जानकी का मंदिर बना होगा। पूजा अर्चना की गूंज से आध्यात्मिक चेतना का वातावरण रहा होगा लेकिन विदेशी आक्रांता बाबर ने इस मंदिर का विध्वंस कराया। एक तरफ जन्मभूमि को मुक्त कराने के आंदोलन समय-समय पर चलते रहे, दूसरी तरफ जनमानस में मंदिर विध्वंश के कारण उदासी का भाव भी रहा होगा। कुछ वर्ष पहले तक अयोध्या में इसका अनुभव भी किया जाता था। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस ओर ध्यान दिया। ऐसा नहीं कि यहां पहले दीपावली नहीं होती थी, लेकिन उसका स्वरूप त्रेता युग जैसा नहीं था। योगी ने अयोध्या के विकास व त्रेता युग जैसे दीपोत्सव आयोजित करने के निर्णय लिये। यह भव्य दीपोत्सव के विश्व रिकार्ड कायम हुए। पूरी दुनिया के लिए यह आकर्षण के केंद्र बन गया। यह अध्ययन व शोध का विषय हो सकता है। कीन्ह कृपाल खरारी।

इस मनोहारी दृश्य को भी अयोध्या में जीवंत किया गया। अयोध्या में दीपोत्सव जैसा दृश्य था। प्रभु राम सीता की आरती के लिए जो दीप प्रज्वलित किये गए थे, उनसे अयोध्या जगमगा उठी थी। उनके स्वागत में प्रत्येक द्वार पर मंगल रंगोली बनाई गई थी। सर्वत्र मंगल गान हो रहे थे-
करहिं आरती आरतिहर कें। रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।
पुर सोभा संपति कल्याना, निगम सेष सारदा बखाना।
बीथीं सकल सुगंध सिंचाई, गजमनि रचि बहु चैक पुराईं।
नाना भाँति सुमंगल साजे, हरषि नगर निसान बहु बाजे।
प्रभु राम अंतर्यामी है, सब जानते है। वह लीला कर रहे थे। वह तो अवतार थे। इस रूप में वह जनसामान्य हर्ष में सम्मिलित थे-
राजीव लोचन स्रवत जल, तन ललित पुलकावलि बनी।
अति प्रेम हृदयँ लगाइ, अनुजहि मिले प्रभु त्रिभुअन धनी।
प्रभु मिलत अनुजहि सोह, मो पहिं जाति नहिं उपमा कही।
जनु प्रेम अरु सिंगार तनु धरि, मिले बर सुषमा लही।।
अयोध्या विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। योगी सरकार यहां तीर्थाटन की विश्व स्तरीय व्यवस्था बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। दीपावली की भव्यता भी विश्व के लोगों का ध्यान आकृष्ट करने लगी है। प्राचीन भारत में ऐसा रहा भी होगा। प्रभु राम लंका विजय के बाद अयोध्या आये थे। तब यह नगरी दीपों से जगमगा उठी थी। योगी आदित्यनाथ इसकी भव्यता व दिव्यता विश्व के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। उनके कार्यकाल में आयोजित दीपोत्सव में बड़ी संख्या में बाहर के लोग भी आते हैं। राज्य सरकार इन सभी त्योहारों का आयोजन शान्ति और उल्लासपूर्ण वातावरण में सफलतापूर्वक सुनिश्चित करना चाहती है। पर्व और त्योहार केवल आयोजन नहीं,बल्कि यह अपनी क्षमता आकने के अवसर भी हैं। त्रेता युग में जिस प्रकार भगवान श्रीराम रावण का वध करके अयोध्घ्या नगरी लौटे थे। ठीक उसी प्रकार अयोध्या दीपोत्सव आयोजन में भी राम जी का आगमन मंचित किया गया। पावन सरयू नदी के तट पर दीपों की विशाल कतार से प्रकाश करके स्वागत
किया गया। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)

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