पुत्र मोह में आजम भी गये जेल

महाभारत में कुरुवंश के राजा धृृतराष्ट्र ने अपने पुत्र दुर्योधन के मोह में महाविनाश लीला करवा दी थी। इसके बाद भी लोगों को सीख नहीं मिली और आज भी यही मोह दारुण दुख दे रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में दबंग नेता माने जा रहे मोहम्मद आजम खान भी पुत्र मोह के चलते ही जेल पहुंच गये। बताया जाता है कि सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान अपने बेटेे को सबसे कम उम्र का विधायक बनाना चाहते थे। इसी के चलते जब 2012 मंे अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनी, तब मोहम्मद आजम खान उनकी सरकार मंे नगर विकास मंत्री हुआ करते थे। प्रदेश मंे विधानसभा के चुनाव होने थे और 2017 मंे सपा की फिर से सरकार बन जाती तो सारा मामला रफा-दफा भी हो जाता लेकिन सरकार भाजपा की बन गयी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनाए गये। आजम खान ने 2017 मंे अपने रसूख के दम पर लखनऊ नगर निगम से बेटे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और पैन कार्ड बनवाया था। इन्हीं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर बेटा अब्दुल्ला आजम को विधानसभा का चुनाव लडवाया। अब्दुल्ला चुनाव जीत भी गये लेकिन बाद मंे रामपुर के एमपीएमएलए कोर्ट मंे इन्हीं फर्जी दस्तावेजों को लेकर मुकदमा चला। फर्जी पैन कार्ड मामले मंे अदालत ने दोषी पाते हुए दोनो- मोहम्मद आजम खान और अब्दुल्ला आजम खान को सात-सात साल की सजा सुनाई है। मोहम्मद आजम खान अभी 55 दिन पहले ही 23 सितम्बर को सीतापुर जेल से बाहर आए थे।
समाजवादी पार्टी नेता आजम खान और उनके बेटा अब्दुल्ला आजम खान एक बार फिर सलाखों के पीछे हो गये। बीते 17 नवम्बर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पैन कार्ड मामले में दोषी मानते हुए दोनों को 7-7 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आजम खान 55 दिन पहले 23 सितंबर को सीतापुर जेल से बाहर आए थे। जेल से आने के बाद वह लगातार सुर्खियों में रहे। आजम खान 2017 में अखिलेश यादव सरकार में नगर विकास मंत्री थे। उन्होंने अपने रसूख के दम पर लखनऊ नगर निगम से बेटे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) बनवाया। उसी के आधार पर फर्जी पैन कार्ड बनवाकर अब्दुल्ला को चुनाव लड़वाया था। रामपुर कोर्ट का यह फैसला आजम के खिलाफ दर्ज 104 मुकदमों में से एक है। अब तक अदालत 11 मामलों में फैसला सुना चुकी है। इनमें से 6 मामलों में आजम को सजा हो चुकी है। वहीं, 5 मामलों में उन्हें बरी किया गया। 2 महीने पहले ही सभी केस में जमानत मिलने के बाद आजम सीतापुर जेल से बाहर आए थे। अब फिर से जेल पहुंच गए। कोर्ट ने फैसला सुनाया तो पुलिस ने मौके पर ही बाप-बेटे को हिरासत में ले लिया। दोनों को कड़ी सुरक्षा में कोर्ट से एक किमी दूर गाड़ी से रामपुर जेल लेकर गई। आजम के साथ उनका बड़ा बेटा अदीब भी पीछे-पीछे गाड़ी से जेल के गेट तक पहुंचा। उसने पिता आजम के कान में कुछ कहा, लेकिन क्या कहा, यह क्लियर नहीं है। अदीब ने भाई अब्दुल्ला को गले लगाया तो दोनों भावुक हो गए। आजम खान और अब्दुल्ला को रामपुर जिला कारागार के बैरक नंबर एक में रखा गया। इसी में दोनों ने करवटें बदलते हुए रात काटी। दोनों ही नेताओं को किसी भी तरह की कोई खास सुविधा नहीं दी गई। सामान्य कैदियों की तरह रखा गया। वहीं रात में खाना भी जेल में ही बना हुआ खाया। मसूर की दाल और आलू पालक की सब्जी के साथ रोटी खाई। इधर, आजम को सजा मिलने पर उनके समर्थक दुखी नजर आए। उनके घर की गलियां सुनसान थीं। कोई भी नजर नहीं आ रहा था।
2017 का विधानसभा चुनाव यूपी के इतिहास में क्रन्तिकारी बदलाव लाने वाला साबित हुआ था। इसी चुनाव में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान की मुश्किलों की नींव भी रखी गई थी। आजम खान ने अपने बेटे अब्दुल्लाह आजम को सबसे कम उम्र का विधायक बनाने के लिए जो गलती की आज उसकी सजा वे भुगत रहे हैं। उन्होंने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर रामपुर जिले की स्वार सीट से मैदान में उतारा। मोदी लहर में भी अब्दुल्लाह सीट जीतने में कामयाब रहे। अब यहीं से उनके पतन की कहानी भी शुरू हुई।
सन् 2019 में बीजेपी के नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र का मामला उठाकर कोर्ट का रुख किया। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा और अब्दुल्लाह आजम की विधायकी रद्द हो गई। तब से यह मामला रामपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा था। अब इसी मामले में दोनों को 7-7 साल की सजा हुई है। कोर्ट ने दोनों को धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं (आईपीसी 420, 467, 468, 471 और 120ठ) के तहत दोषी ठहराया। साथ ही दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। विशेष लोक अभियोजक राकेश कुमार मौर्या ने बताया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी, यानी कुल सात वर्ष की ही सजा भुगतनी होगी।
कोर्ट ने पाया कि आजम खान ने अपने बेटे के लिए जानबूझकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे। आजम खान 23 सितंबर को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 23 महीने की लंबी जेल अवधि के बाद रिहा हुए थे लेकिन उन्हें फिर से सलाखों के पीछे जाना पड़ा। इसके अलावा पासपोर्ट बनाने में फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का एक अन्य मामला भी उन पर लंबित है, जिसमें सुनवाई जारी है। सजा के फैसले के बाद आजम खान के समर्थक कोर्ट परिसर में इकट्ठा हुए और नारेबाजी की। वहीं राजनीतिक हलकों में इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। समाजवादी पार्टी ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है, जबकि सत्ताधारी दल ने इसे कानून की जीत बताया है। फिलहाल आजम खान को सजा के खिलाफ अपील दाखिल करने का विकल्प उपलब्ध है।
मोहम्मद आजम खान के साथ विवादों का रिश्ता पुराना है। सीतापुर जेल से छूट कर आए रामपुर के सपा नेता आजम खान ने पिछली दिवाली पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा जो लोग दीये जलाते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं। सपा नेता ने कहा कि दीये जलाये नहीं, रोशन किए जाते हैं। आजम खान ने कहा कि जो लोग दीये रोशन करते हैं, उनका मकसद उजाला करना, ठंडक देना और नफरतों के अंधेरे को मिटाना होता है। सपा नेता ने कहा कि उन्हीं लोगों का वो सम्मान करते हैं और उन्हीं लोगों से वो मोहब्बत भी
करते हैं। इसी तरह रामपुर से
चुनाव लड़ रही जय प्रदा को लेकर भी आजम खान ने अमर्यादित बयन
दिया था। सपा नेता और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ आजम खान की तल्खियों
की भी खबरें सामने आई थीं। जब आजम खान जेल से बाहर आए तो
8 अक्टूबर को सपा चीफ उनसे
मिलने रामपुर पहुंचे। आजम खान के घर पर दोनों की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात से राजनीतिक
गलियारों में फैली सभी अफवाहों पर फिलहाल विराम लग गया। अब
फर्जी पैन कार्ड की नयी कहानी शुरू हुई है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



