सम-सामयिक

बस्ती उजाड़ने की आजम को सजा

 

संत कबीर ने कहा था- दुर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय। मुए खाल की सांस सो लौह भसम होइ जाय। रामपुर के डूंगरपुर मंे ऐसे ही लेागों की हाय समाजवादी पार्टी के दबंग नेता मोहम्मद आजम खां को लग गयी। आज से लगभग 8 साल पहले डूंगरपुर मंे जब आसरा कालोनी बनायी गयी थी तो वहां की जमीन खाली कराने के नाम पर लूटपाट, चोरी मारपीट जैसे तमाम अन्याय करने के आरोप लगाये गये थे। उत्तर प्रदेश मंे उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार हुआ करती थी। जमीन खाली कराने के नाम पर जो अत्याचार किया गया था, वो मो. आजम खान के इशारे पर ही किया गया था, ऐसा आरोप लगाया गया। अदालत मंे यह मुकदमा लगभग 8 साल से चल रहा था। अब 30 मई 2024 को कोर्ट ने फैसला सुनाया। मो. आजम खान को दोषी पाते हुए कोर्ट ने 10 साल की सजा और 14 लाख का जुर्माना तथा दूसरे आरोपी ठेकेदार बरकत अली को 7 साल की जेल और 8 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। डूंगरपुर मामले मंे कई मुकदमें दर्ज कराये गये थे। इनमंे अब तक 4 मामलों मंे ही फैसला आया है। आजम खान को दो मामलों मंे बरी भी किया जा चुका है जबकि इसी से जुड़े एक मामले मंे उनको 7 साल की समाज सुनाई जा चुकी है। मोहम्मद आजम खान जेल मंे बंद हैं। उनका राजनीतिक भविष्य भी अंधेरे मंे विलीन हो चुका है। एक समय ऐसा भी था जब आजम खान का दबदबा इतना था कि अफसर उनके क्षेत्र रामपुर में अपनी तैनाती से घबड़ाते थे।

उत्तर प्रदेश मंे सपा सरकार में 2016 में डूंगरपुर बस्ती में रह रहे लोगों के लिए मकान तोड़कर आसरा आवास बनाए गए थे। लेकिन वर्ष 2019 में 12 लोगों ने बेघर होने का गंज कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप था कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस और सपाइयों ने उनके घरों को जबरन खाली कराया था। उनका सामान लूट लिया और मकानों को ध्वस्त कर दिया था। डूंगरपुर प्रकरण के एक मुकदमे में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) ने 30 मई को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां को 10 साल और उनके करीबी ठेकेदार बरकत अली को सात साल की सजा सुनाई है। दोनों को एक दिन पहले दोषी ठहराया गया था। आजम खां सीतापुर और ठेकेदार रामपुर जेल मे हैं। दोनों की जेल से ही वीडियो कान्फ्रेंस से पेशी हुई। इससे पहले आजम खान के खिलाफ आठ मुकदमों में फैसला आ चुका है। पांच में उन्हें सजा हुई है, जबकि तीन में बरी हो चुके हैं। एक मामले में उनको सात साल की सजा हुई थी जिसमें उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है परन्तु अन्य मामलों में सजा होने के कारण उनकी रिहाई नहीं हुई। आजम खाॅ पर लगभग 84 मुकदमे अभी विचाराधीन हैं।

रामपुर के डूंगरपुर मामले में सपा नेता आजम खान को 10 साल की सजा 14 लाख का जुर्माना दूसरे आरोपी ठेकेदार बरकत अली को 7 साल की जेल और 8 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। डूंगरपुर मामला 2016 का है, जब यूपी में सपा की सरकार थी डूंगरपुर में आसरा काॅलोनी बनाई गई थी। काॅलोनी बनने से पहले कुछ लोगों के घर यहां बने हुए थे, जिन्हें सरकार ने अवैध करार देकर 2016 में बुलडोजर चला दिया था। इस दौरान जमकर हुए विवाद मामले में सपा नेता आजम खान के खिलाफ 2019 में डूंगरपुर इलाके में रहने वाले लोगों ने बस्ती खाली कराने के नाम पर लूटपाट, चोरी, मारपीट समेत अन्य धाराओं में 12 मामले दर्ज कराए गए थे। मामले में जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी। एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट के जज ने डूंगरपुर के एक मामले में आजम समेत ठेकेदार बरकत अली दोषी करार दिया। डूंगरपुर बस्ती मामले में अब तक 4 मामलों में फैसला आ चुका है। वहीं 2 मामलों में आजम खान बरी हो चुके हैं। 2 में उनको दोषी ठहराया गया है। इसी से जुड़े एक मामले में उनको 7 साल की सजा पहले ही सुनाई जा चुकी है। आजम खान की सीतापुर जेल में बंद है। जेल से वीसी के जरिए उनकी पेशी हुई। आजम पर इस केस में धारा 392, 504, 506, 452 में धाराएं लगाई गई थीं।
सपा नेता आजम खां समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे हैं। वह 10 बार विधायक, चार बार कैबिनेट मंत्री, एक बाद राज्यसभा और एक बार लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से सपा नेता की मुश्किलें ऐसी बढ़ीं कि उससे वह अभी तक उबर नहीं पाए हैं।

आजम खान का जन्म रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में मुमताज खान के यहाँ हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से 1974 में कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। खान ने 1981 में तंजीन फात्मा से शादी की और उनके दो बेटे हैं। राजनीति में आने से पहले, उन्होंने एक वकील के रूप में काम किया। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान 2017 से 2019 तक स्वार से विधायक थे। आजम खान नौ बार रामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे।

जनवरी 2019 में, उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में खान, उनकी पत्नी तजीन फातमा और उनके बेटे अब्दुल्ला के जन्म प्रमाण पत्र के संबंध में जालसाजी का मामला भी दर्ज किया गया था। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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