अखिलेश के फार्मूले में मदद करेंगे आजम

समाजवादी पार्टी ने मिशन 2027 के लिए अभी से रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है, जिसमें पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को साधने की कोशिश की जाएगी। यह लोकसभा चुनाव 2024 का फॉर्मूला दोहराने जैसा है। इस फार्मूले को सफल करने में मोहम्मद आजम खान मदद कर सकते हैं जिनको 23 महीने के बाद सीतापुर जेल से रिहा किया गया है। इसके साथ ही सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में साइकिल से यात्रा निकालेंगे और जनता के बीच पार्टी का संदेश पहुंचाएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग को साधना और जनता के बीच समाजवादी पार्टी की नीतियों को पहुंचाना है। साइकिल यात्रा के दौरान सपा नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव और कस्बों में जाकर जनता से संवाद करेंगे। वे न केवल समाजवादी पार्टी के विजन और नीतियों के बारे में बताएंगे, बल्कि जनता की समस्याओं को भी सुनेंगे और उनके समाधान के लिए पार्टी का रुख स्पष्ट करेंगे। यह यात्रा पार्टी के जनसंपर्क अभियान का एक अहम हिस्सा होगी, जिससे
जनता से सीधा जुड़ाव बढ़ाया जा सके। पार्टी इस साइकिल यात्रा को अखिलेश यादव के नेतृत्व को मजबूत करने और पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने के लक्ष्य से देख रही है। समाजवादी पार्टी के नेता अमीक जामई ने बताया कि साइकिल यात्रा के जरिए पीडीए वर्ग को जोड़ना पार्टी की प्राथमिकता है। सपा का मानना है कि यही वर्ग अगले चुनाव में पार्टी की जीत की नींव रखेगा।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खां 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा हो गए। वह अपने बेटे के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में जेल में बंद थे। उनकी रिहाई से पहले उनके बेटे अदीब आजम और कई पदाधिकारी जेल पहुंचे। मुरादाबाद की सांसद रुचिवीरा उनसे मिलने पहुंची लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।सीतापुर जेल से बाहर आते ही सपा समर्थकों और बेटे अदीब ने उनका स्वागत किया। आजम खान इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 23 महीनों बाद जेल से बाहर आए हैं। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम सियासत के चेहरा माने जाने वाले आजम खान 23 महीने के बाद जेल से बाहर आ गए हैं, लेकिन उनकी यह रिहाई कितने दिनों तक रहेगी, इस पर भी सवाल उठाए जाते हैं। आजम खान पर अभी भी 81 पेडिंग केस हैं, जिसके चलते उनके बहुत ज्यादा दिनों तक अच्छे दिन नहीं रहने वाले? फिलहाल सपा के मुस्लिम वोटों का बिखराव रुक सकता है।
यूपी में चुनाव के लिए साइकिल यात्रा के अलावा, समाजवादी पार्टी आने वाले दिनों में कई और अभियान भी शुरू कर सकती है, जिससे जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत की जा सके। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में पार्टी की सक्रियता बढ़ाने और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ माहौल बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। फिलहाल पार्टी अभियान में जुट चुकी है। साइकिल यात्रा के दौरान सपा नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव और कस्बों में जाकर जनता से संवाद करेंगे। वे न केवल समाजवादी पार्टी के विजन और नीतियों के बारे में बताएंगे, बल्कि जनता की समस्याओं को भी सुनेंगे और उनके समाधान के लिए प्रयास भी करेंगे।
सपा ने 2024 लोकसभा चुनाव में पहली बार ‘ओपन हाउस’ सहमति प्रक्रिया यानी खुली रायशुमारी की प्रक्रिया अपनाई थी। इसके तहत
जिलाध्यक्ष, स्थानीय प्रभारी और टिकट चाहने वाले उम्मीदवारों को पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के सामने बैठाकर चर्चा की गई थी। सभी ने खुलकर अपनी राय रखी और फिर सर्वसम्मति से प्रत्याशी चुना गया। इस मॉडल ने पार्टी में मनमुटाव और बगावत को काफी हद तक रोक दिया। इस बार भी पार्टी नेतृत्व 403 विधानसभा सीटों पर इसी प्रक्रिया को दोहराने की तैयारी में है। वरिष्ठ पदाधिकारी मानते हैं कि इसमें समय अधिक लगेगा लेकिन यह संगठनात्मक मजबूती और उम्मीदवारों की स्वीकार्यता दोनों सुनिश्चित करेगा।
सपा ने 2027 की रणनीति में विस्तृत निर्वाचन क्षेत्रवार सर्वेक्षण को अहम स्थान दिया है। प्रत्येक सीट पर यह आकलन किया जाएगा कि सपा की पकड़ कितनी मजबूत है और किन मुद्दों पर मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। खासकर वे 100 से ज्यादा सीटें जहां सपा पिछले तीन लगातार चुनावों में हार चुकी है, उन्हें विशेष रणनीति के तहत कवर किया जाएगा। इन सीटों पर पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया गया है जो इलाके-वार रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इसका मकसद जमीनी समीकरण को भांपना और सही प्रत्याशी का चयन करना है।
अखिलेश यादव ने हाल ही में मथुरा-वृंदावन, हाथरस और आगरा जिलों के लिए स्थानीय घोषणापत्र जारी करने की घोषणा की है। इस लोकल मैनिफेस्टो मॉडल को सपा पूरे प्रदेश में लागू करना चाहती है। इसमें जिलेवार समस्याओं को शामिल किया जाएगा जैसे सड़क, बिजली, जलभराव, ट्रैफिक जाम, पक्की गलियां और ढांचागत विकास। पार्टी का दावा है कि यह पहल पूरे प्रदेश के लिए आदर्श बनेगी। स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर सपा वोटरों को अपने पाले में लाना चाहती है। वरिष्ठ नेता बताते हैं कि
इसके लिए जिलों में जाकर सर्वे भी किया जाएगा और सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा प्रबुद्धजनों की राय ली जाएगी।
यह भी माना जा रहा है कि यादव-मुस्लिम वोट बैंक के अलावा अन्य पिछड़ी और छोटी जातियों पर भी सपा पूरा जोर लगाएगी। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि प्रत्याशियों के नाम जल्दी घोषित करने से उन्हें बूथ स्तर तक पहुंच बनाने का पर्याप्त समय मिलेगा। प्रत्याशी अपने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) तय कर सकेंगे और मतदाता सूची को समय पर संभाल पाएंगे। सपा की 2024 में यह रणनीति काफी कारगर साबित हुई थी। इस बार भी पार्टी उम्मीदवारों को जल्दी मैदान में उतारकर बीजेपी की जमीनी रणनीति को चुनौती देना चाहती है। ब्रज क्षेत्र विशेषकर मथुरा की राजनीति हमेशा सपा के लिए चुनौती भरी रही है। यहां पार्टी अब तक खाली हाथ रही है लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने मथुरा को लेकर विशेष रणनीति बनाई है। हाल ही में लखनऊ में हुई बैठक में जिलाध्यक्ष और स्थानीय नेताओं को साफ निर्देश दिए गए कि बूथ कमेटियों का सत्यापन जल्द पूरा किया जाए और कमजोर पदाधिकारियों की सूची दी जाए। माना जा रहा है कि पार्टी ने पहले ही कुछ सीटों पर उम्मीदवारों को हरी झंडी भी दे दी है। गोवर्धन से ठाकुर किशोर सिंह, मथुरा से अनिल अग्रवाल, छाता से लोकमणि जादौन और मांट से संजय लाठर को अभी से तैयारी में जुटने को कहा गया है। बलदेव सीट को सुरक्षित रखा गया है। इसी प्रकार की रणनीति प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में भी बनायी जा रही है। आजम खां के रिहा होने के बाद मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकने का प्रयास होगा। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)