भूपेश ने जारी किया रिपोर्ट कार्ड

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हालांकि ऐसी कोई मांग नहीं की थी लेकिन मीडिया के एक कार्यक्रम मंे भूपेश बघेल को अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने का बेहतर अवसर मिल गया। राज्य में गौठान जैसी योजनाओं की आलोचना भी हो रही है लेकिन टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी को एकजुट करने मंे सफलता प्राप्त की है। माना जा रहा था कि टीएस सिंह देव की नाराजगी को मुख्य विरोधी दल भाजपा भुना सकती थी। पिछली बार 2018 मंे राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं। कांग्रेस की इस बम्पर जीत में टीएस सिंह का बड़ा हाथ रहा था। इसीलिए भूपेश बघेल ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए भाजपा को चुनावी मैदान मंे ललकारा है। नक्सलियों का मुद्दा भी वह भाजपा को नहीं देना चाहते हैं।
एम मीडिया समूह के कार्यक्रम छत्तीसगढ़ कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में अपनी सरकार के कामकाज पर बेबाकी से बात की। उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या पर हमने चैतरफा वार किया है। अब हालात ये हैं कि हम नक्सलियों को उनकी मांद में घेरकर मार रहे हैं, जबकि पहले वे हमारे कैम्पों और थानों पर हमला करते थे। मुख्यमंत्री बघेल ने माना कि नक्सली समस्या अब भी है, लेकिन हालात बेहतर हो रहे हैं। हमने आदिवासियों को उनकी जमीन वापस की है।
उन्होंने कहा कि देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि 18 लाख हेक्टेयर जमीन गांव वालों को वापस की गई है। आज हालात ये हैं कि वनांचल में सबसे ज्यादा मिलेट्स का उत्पादन हो रहा है। महुआ, जो पिछली सरकार में 2 रुपया किलो बिकता था, वह अब 40 रुपये में बिक रहा है। इंग्लैंड से कारोबारी आए थे, वे 116 रुपये प्रति किलो की कीमत देकर गए हैं।
शिक्षा के मसले पर मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम किया है। उन्होंने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि अब छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए करने वालों को भी सरकार नौकरी दे रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हमने हिन्दी और अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई पर जोर दिया है। दिलचस्प तथ्य है कि जगरगुंदा, जो नक्सलियों का कथित तौर पर हेडक्वार्टर कहा जाता है, में भी भूपेश सरकार ने स्कूल शुरू किया है। 13 साल बाद ऐसा हुआ है और अब इस स्कूल में 350 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। सीएम ने दावा किया कि उनकी सरकार ने हर ब्लॉक में कम से कम 4 से 5 स्कूल खोले हैं।
राज्य सरकार ने गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2019 को सुराजी योजना के तहत नरवा गरुवा घुरुवा बाड़ी योजना को लांच किया था। इसी के तहत प्रदेश भर में गौठान निर्माण किए गए। प्रदेश में 30 अप्रैल 2023 तक 10206 गौठान संचालित है। सरकार की मंशा है कि गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बने जिस पर काम शुरू हुआ है। इसके तहत गौठान में स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के मकसद से पापड़ बनाने , साबुन निर्माण जैसे कई कार्य किये जाने हैं। वैसे यहां यह भी गौरतलब है कि गौठान योजना पूरी तरह से सरकारी नहीं है। सरकार केवल उसे बनवाने में सहयोग कर रही है। गौठान दरअसल गांव का, गांव के लिए है। गौठान की समिति बनाने से लेकर उसके संचालन तक सारी जिम्मेदारी ग्रामसभा को ही संभालनी है।
गौठान यानी गांव की जगह, यानी किसी एक शख्स का मालिकाना हक इस पर नहीं होता। छत्तीसगढ़ ने इसी जमीन के नाम पर एक अनूठी योजना शुरू की, जिसका नाम है- गौठान। भूपेश सरकार की यह योजना अनूठी थी लिहाजा इसने देशभर में सुर्खिया बटोरीं। तीन साल पहले बड़े तामझाम से ये योजना शुरू हुई गौठान योजना को भूपेश सरकार गांवों की तकदीर बदलने की नेक नीयत से लाई थी लेकिन उसका पूरा लाभ नहीं मिला। भाजपा का आरोप है कि प्रदेश में गौठान के नाम पर 1300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। भाजपा महामंत्री ओ पी चैधरी का कहना है गौठान सरकार की फ्लॉप योजना है, सरकार के डाटा में एक स्टैण्डर्ड गौठान में 19 लाख रूपये का खर्च आया है। इसके अलावा गौठान में एक विभाग से खर्च नहीं हुआ है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा बदलाव किया गया। यह बदलाव कांग्रेस पार्टी के लिए साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। कांग्रेस आलाकमान ने भूपेश बघेल सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय समेत कई मंत्रालय संभाल रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बना दिया। इस फैसले से जितनी राहत कांग्रेस को मिली होगी, उतनी ही बेचैनी भारतीय जनता पार्टी की बढ़ी होगी। माना जा रहा था कि चुनाव के दौरान बीजेपी टीएस सिंहदेव का मुद्दा जनता के बीच लेकर जा सकती थी। कांग्रेस को भी इस बात की पूरी आशंका थी। यह मुद्दा उसके लिए घातक होता, उससे पहले ही पार्टी ने बीजेपी के प्लान पर पानी फेर दिया। टीएस सिंहदेव का जन्म साल 1952 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था और उनका पूरा नाम त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव है। उन्होंने भोपाल के हमीदिया कॉलेज से इतिहास में डा. किया है। उनकी राजनीतिक शुरुआत सन 1983 से अंबिकापुर नगरपालिका से मानी जाती है। वह यहां परिषद के पहले अध्यक्ष चुने गए थे। टीएस सिंह के परिवार की सरगुजा राजघराने के दौर में खूब तूती बोलती थी। यह राजघराना शुरुआत से कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ था। सिंहदेव इसी राजघराने के 118वें महाराज हैं। उनके समर्थक उन्हें महाराज कहकर संबोधित करते हैं, लेकिन वह कई मौकों पर खुद को महाराज न बुलाने की अपील कर चुके हैं। इसके अलावा राज्य की राजनीति में उन्हें ‘बाबा’ भी कहा जाता है। नवंबर 2000 में जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हुआ तब राज्य की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिला। राज्य के गठन के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाई और अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। यहां की राजनीति में बीजेपी का दबदबा रहा है। अजीत जोगी के बाद बीजेपी के डॉ. रमन सिंह 2003 से 2018 तक सीएम बने रहे। 2018 के विधानसभा चुनावों में बड़ा बदलाव हुआ और प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार आई। प्रदेश में कांग्रेस ने 90 सीटों में से 68 सीटों पर पताका फहराया। इस बड़ी सफलता के पीछे टीएस सिंहदेव का बड़ा हाथ रहा। उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि आलाकमान महाराज को सीएम का पद सौपेंगा, लेकिन हुआ इसके उलट। कांग्रेस ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को कमान सौंप दी और टीएस सिंहदेव को बघेल सरकार की कैबिनेट में जगह दी गई। इस फैसले के बाद से बाबा के आलाकमान से नाराज होने की खबरें लगातार आती रहीं। कई बार उनके बगावत की भी बात चली लेकिन यह बात केवल अफवाह ही साबित हुई। कांग्रेस ने साल 2018 में सरकार बनाई थी। उसके बाद से लगातार टीएन सिंह को सीएम बनाने की मांग की जाती रही। बार-बार कहा गया कि आलाकमान ने ढाई-ढाई साल के फार्मूले के तहत भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन ढाई साल बाद भी उन्हें नहीं हटाया गया। इसके बाद महाराज के समर्थकों ने उन्हें सीएम बनाने की मांग और भी तेज कर दी, लेकिन आलाकमान इस बात को नजरअंदाज करता रहा लेकिन अब टीएन सिंह को नंबर दो की कुर्सी सौंप दी गयी है। इस प्रकार भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस मजबूती से खड़ी है। (हिफी)