पूर्वजों को श्रद्धा के साथ करें विदा

(पं. मनोज शुक्ल शास्त्री-हिफी फीचर)
पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज 16 दिनों के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इस अवधि में हम उनका श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध और तर्पण करते हैं। पितृ विसर्जनी अमावस्या पर पूर्वज विदा होकर अपने-अपने लोक में चले जाते हैं। हम यही प्रयास करें कि हमारे पूर्वज खुश होकर विदा हों।
ऊँ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महा योगिभ्य एव च
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्य मेव नमो नमः
अनादि निधनो देवः शंखचक्र गदाधरः
अक्षयः पुंडरीकाक्षः प्रेतमोक्ष प्रदोभव
सर्व पितृ अमावस्या पर मिलेगी आपके पूर्वजों की आत्मा को शांति और तृप्ति श्रद्धा पूर्वक करें उनका श्राद्ध और तर्पण।
अमावस्या सनातन धर्म में मनाया जाने वाला बेहद पुण्यकारी त्यौहार है। यह दिन हर माह में एक बार आता है, इस दिन लोगों को चंद्रदेव के दर्शन नहीं होते हैं। पितृ पक्ष में आने वाली अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज इस पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से उन्हें तृप्ति की कामना करते हैं। सर्व पितृ अमावस्या पितरों का इस मृत्यु लोक से विदाई लेने का दिन है। इस दिन सभी के पूर्वज इस लोक से तृप्त होकर पितृलोक की ओर चले जाते हैं।
वर्ष 2024 की सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करता है। इसलिए इस दिन सभी पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध करना चाहिए। इस दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के श्राद्ध का विधान है। इसलिए जिन भी लोगों को अपने परिजनों की वैकुंठवास की तिथि ज्ञात नहीं होती वो सर्व पितृ अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं। इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सभी लोगों को अपना आशीर्वाद देते हैं।
यदि परिवार के किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो उनके निमित्त भी सर्व पितृ अमावस्या के दिन तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से पितरों को इस सांसारिक मायाजाल से इतर मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि इस दिन पितरों का तर्पण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती हैय साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। सर्व पितृ अमावस्या के शुभ अवसर पर पूर्वजों और पितरों का आशीर्वाद मिलने से लोगों को जीवन के समस्त कष्टों से छुटकारा मिलता है।
सनातन धर्म में दान बेहद पुण्यकारी माना जाता है, जिसकी परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान करना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ अवधि पर दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और साधक तथा उनके परिवार के सदस्यों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान दान पुण्य करने से दोगुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष के आखिरी दिन पड़ने वाली सर्व पितृ अमावस्या के दिन गौ दान और घी के दान का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन ब्राह्मणों तथा दीन-दुःखी लोगों को भोजन कराने तथा गुड़, चावल गेहूं का
दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
सनातन परंपरा में दान का विशेष महत्व है इसलिए दान का उल्लेख करते हुए धर्म ग्रंथों में कहा गया है-
दानेन भूतानि वशी भवन्ति दानेन वैराण्यपि यान्ति नाशम् परोऽपि बन्धुत्वभुपैति दार्नै दानं हि सर्वेव्यसनानि हन्ति
दान से सभी प्राणी वश में होते हैं, दान से बैर का नाश होता है, दान से शत्रु भी भाई बन जाता है और दान से ही सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या पर अन्न और भोजन का दान सर्वोत्तम है। इसलिए इस पुण्यकारी अवसर पर निराश्रित गौशालाओं अनाथालयों वृद्धाश्रमों में तथा वेद विद्यालय संस्कृत विद्यालयों के आवासीय परिसर में रहने वाले बटुक ब्रह्मचारियों के जीवन यापन संबन्धी आवश्यक वस्तुओं का दान करें अपना महत्वपूर्ण श्रमदान अन्न वस्त्र धन दान देकर दीन-हीन, निर्धन, दिव्यांग बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
इस अमावस्या पर बनने वाले ग्रह गोचर में कंकडाकृति सूर्य ग्रहण दिनांक 2 अक्टूबर 2024 को लगेगा परन्तु यह कंकणाकृत सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है यह ग्रहण अधिकांश दक्षिण व उत्तरी अमेरिका पैसफिक क्षेत्र अटलांटिका क्षेत्र आरक्टिक क्षेत्र अन्टार्टिका में दृश्य होगा।
कंकडाकृत सूर्यग्रहण का प्रारंभ
घं.16 मि. 50 पर होगा तथा इसका मोक्ष घं. 20 मि.39 पर होगा यह चिली व अर्जेन्टीना के क्षेत्र में दृश्य होगा इसका ग्रासमान 0.9326 होगा। (हिफी)