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फर्श से अर्श तक पहुंचने वाली सिल्क स्मिता पर बन रही बायोपिक

सिल्क स्मिता साउथ इंडियन मूवीज की वो एक्ट्रेस थीं जिनका नाम ही सेंसेशन का पर्याय बन चुका था। एक गरीब तेलुगू परिवार में उनका जन्म हुआ था। परिवार इतना गरीब था कि रोजाना भरपेट खाना मिलना भी मुश्किल था। इस गरीबी में भी माता पिता ने अपनी बिटिया को स्कूल में दाखिला दिलवाया लेकिन कुछ ही साल में हालात ऐसे बने कि उसकी पढ़ाई रोकनी पड़ गई। छोटी ही उम्र में सिल्क के पेरेंट्स ने उनकी शादी एक मजदूर से कर दी लेकिन शादी के बाद भी गरीबी की गुलामी करना सिल्क स्मिता को रास नहीं आया। घर वालों का बर्ताव भी ठीक नहीं था ऊपर से पति शराबी भी था। परेशान होकर सिल्क स्मिता ने घर छोड़ दिया वो भाग कर चेन्नई पहुंच गईं। चेन्नई पहुंचना सिल्क स्मिता की लाइफ के लिए बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस बड़े शहर में आकर सिल्क स्मिता ने एक हीरोइन के घर का काम पकड़ लिया। सिल्क स्मिता फिल्में देखने की भी बहुत शौकीन थीं। लेकिन सिल्क स्मिता सिर्फ काम करने के लिए वहां नहीं रुकी थीं। उस एक्ट्रेस की टचअप आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हुए वो निर्माता-निर्देशकों से भी मिलने लगीं और पहचान बढ़ाने लगीं। इसके साथ ही सिल्क स्मिता को रईसी की जिंदगी जीने का भी शौक चढ़ने लगा था। सिल्क स्मिता को एक दिन एक्ट्रेस ने कहा कि बड़ी गाड़ियों को देखते देखते उनमें बैठने के सपने मत पाल लेना। बस यही बात सिल्क स्मिता को नागवार गुजरी। उसने तय कर लिया कि एक दिन ऐसी बड़ी गाड़ी में सिर्फ बैठेगी नहीं बल्कि उसे खरीदेगी भी। इसके बाद सिल्क स्मिता ने ऑडिशन देने शुरू किए। एक ऑडिशन के दौरान सिल्क स्मिता ने इतने सिजलिंग पोज दिखाए कि उन्हें आइटम सॉन्ग में ले लिया गया। धीरे धीरे ऐसे गानों के ऑफर्स बढ़ने लगे और सिल्क स्मिता फेमस होती चली गईं। उस दौर में सिल्क स्मिता एक एक गाने के पचास हजार रु. तक लेने लगीं थीं। सिल्क स्मिता की डिमांड इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने चार साल में दो सौ फिल्में तक कर डाली थीं। अच्छा वक्त बहुत ज्यादा लंबा नहीं टिका। फेम सिल्क स्मिता की किस्मत पर भारी पड़ा। वो शराब के नशे में बुरी तरह डूब चुकी थीं और 23 सितंबर 1996 में सिल्क स्मिता की लाश उनके ही घर के पंखे से लटकी मिली जिसे आत्महत्या मान लिया गया और एक मेग्नेटिक लेडी की जिंदगी का दुखद अंत हो गया। (हिफी)

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