लेखक की कलम

भाजपा करेगी शशि थरूर को भी हाईजेक

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने प्रमुख विरोधी दलों को पहले कमजोर करती है, फिर लड़ती है। उसकी यह रणनीति मोदी ब्रांड का एक हिस्सा है। गुजरात में भाजपा ने इसी तरह पैर जमाए थे। इसके बाद 2014 से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहले डा भीम राव अम्बेडकर को महत्वपूर्ण स्थान दिया। कांग्रेस उस समय भी गफलत में थी लेकिन जब लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को भाजपा ने हाईजेक कर लिया और उनके जन्म दिन के बहाने इन्दिरा गांधी की शहादत को बौना साबित कर दिया तब कांग्रेस का माथा ठनका। कांग्रेस नेतृत्व की नासमझी कहें अथवा नियति का खेल कि गुलाम नवी आजाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रणव मुखर्जी और अब शशि थरूर को भी भाजपा कांग्रेस से दूर करने में सफल हो गयी है। मोदी की सरकार जानबूझकर ऐसे घटनाक्रमों को सामने लाती है जिससे कांग्रेस बिखर जाए। आपरेशन सिंदूर को लेकर विदेशों में भारत का पक्ष रखने के लिए इसीलिए शशि थरूर का नाम शामिल किया गया था और अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में डिनर में भी नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को आमंत्रण न देकर शशि थरूर को मोदी सरकार ने बुलाया।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए 5 दिसम्बर रात आयोजित किए गए राष्ट्रपति भवन में डिनर कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल हुए। थरूर का इस कार्यक्रम में शामिल होना काफी चर्चा वाला रहा, क्योंकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इसमें न्योता नहीं मिला था। डिनर में शामिल होने के बाद शशि थरूर ने सोशल मीडिया में पोस्ट करके बताया है कि वहां का माहौल बहुत अच्छा व दिलचस्प था और उन्हें मजा आया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर आए थे जहां दोनों देशों के बीच कई अहम समझौतों पर मुहर लगी। पुतिन को पीएम मोदी ने रूसी भाषा में लिखी गीता समेत कई अन्य चीजें गिफ्ट कीं। भगवद गीता गिफ्ट करने पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि इसे देकर पुतिन को हिंदू बनाने की कोशिश नहीं हुई है, बस यह इसलिए दिया गया ताकि वह इसे अपनी भाषा में समझ सकें।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पार्टी में सब कुछ ठीक चलता हुआ नहीं दिख रहा है। हफ्तेभर में पार्टी की दो अहम बैठकों से दूर रहने वाले थरूर इन दिनों केंद्र सरकार के गुणगान करते नजर आ रहे। कई मसलों पर थरूर ने मोदी सरकार के कामों की तारीफ की है, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि क्या थरूर आने वाले समय में कांग्रेस में ही रहेंगे या फिर भाजपा में शामिल होंगे। वहीं, क्या उनका कोई अन्य कदम होगा, इस पर भी चर्चा चल रही है। कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर थरूर ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी का सांसद हूं और चुने जाने के लिए बहुत मेहनत की है। उनसे जब पूछा गया कि क्या शशि थरूर कांग्रेस पार्टी छोड़ेंगे या नहीं, तो इस पर उन्होंने जवाब दिया कि मुझे नहीं पता कि यह क्यों पूछना पड़ रहा है। मेरा मतलब है कि मैं कांग्रेस पार्टी का सांसद हूं। मैंने चुने जाने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं यहां कुछ समय बाद आया हूं। कुछ सालों से मुझे लगता है कि उनका नजरिया अलग था। इस बार ऐसा लगा कि उन्होंने दूसरी आवाजों के लिए थोड़ा और खुलने का फैसला किया। शशि थरूर ने कहा, सच कहूं तो क्योंकि दूसरे देशों के साथ रिश्ते ही पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी देखती है, इसलिए बातचीत, माहौल वगैरह में क्या चल रहा है, इसकी कुछ जानकारी होना मददगार होता है। इसलिए मैं इसी वजह से यहां आकर बहुत खुश हूं। न ज्यादा, न कम। थरूर ने बताया कि डिनर में राष्ट्रपति भवन में उनकी मौजूदगी की वजह पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन के तौर पर उनके काम से ज्यादा जुड़ी हुई थी। शशि थरूर कांग्रेस से अपनी सम्बद्धता को लेकर इशारों में बात करते हैं। वह कहते हैं कांग्रेस सांसद बनने के लिए बहुत मेहनत की। कुछ और बनने के लिए काफी सोच-विचार और कई दूसरी बातों पर ध्यान देना होगा। थरूर ने बताया कि उन्हें वोटर्स के लिए काम करना है और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कन्फर्म किया था कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्ष के नेताओं , राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में रखे गए ऑफिशियल डिनर में नहीं बुलाया गया था। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पार्टी सांसद शशि थरूर को राष्ट्रपति की दावत में बुलाने के फैसले पर भी सवाल उठाया। पवन खेड़ा ने कहा कि वह काफी हैरान हैं, खासकर इसलिए क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेताओं को गेस्ट लिस्ट में शामिल नहीं किया गया था। भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए खेड़ा ने कहा, हर किसी की अंतरात्मा की आवाज होती है। जब मेरे नेताओं को नहीं बुलाया जाता, लेकिन मुझे बुलाया जाता है, तो हमें समझना चाहिए कि यह खेल क्यों खेला जा रहा है, कौन खेल रहा है और हमें इसका हिस्सा क्यों नहीं बनना चाहिए। थरूर ने पार्लियामेंट के बाहर रिपोर्टर्स से कहा था कि हां, मुझे न्योता मिला है और वह जरूर जाएंगे।
पीएम मोदी के पुतिन को भगवद गीता गिफ्ट करने और केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी के स्कूल एजुकेशन में भगवद गीता को शामिल करने के ट्वीट पर, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, जब मैंने 1989 में द ग्रेट इंडियन? नॉवेल पब्लिश किया था, जो महाभारत का एक सटायरिकल रीटेलिंग था, तो मैंने पहले ही यह बात कही थी कि क्योंकि हम इंग्लिश मीडियम में पढ़ रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपने एपिक्स नहीं जानने चाहिए। मुझे लगता है कि स्कूल के दिनों में महाभारत, रामायण वगैरह पढ़ने में कोई प्रॉब्लम नहीं है और गीता हमारी पुरानी सिविलाइजेशन और हिस्ट्री का बहुत बड़ा हिस्सा है। यह पुतिन को हिंदू बनाने की कोशिश नहीं है। शशि थरूर ने पुतिन को भगवद गीता दिये जाने पर कहा कि इसे रूसी भाषा में देने का मतलब सिविलाइजेशनल और स्पिरिचुअल हेरिटेज से सीखे गए कुछ जरूरी सबक दूसरे कल्चर को बताना है। मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। यह पुतिन को हिंदू बनाने की कोशिश नहीं है।बस यह इसलिए दिया गया ताकि वह इसे अपनी भाषा में समझ सकें। मुझे लगता है कि स्कूल के दिनों में महाभारत, रामायण वगैरह पढ़ने में कोई प्रॉब्लम नहीं है और गीता हमारी पुरानी सिविलाइजेशन और हिस्ट्री का बहुत बड़ा हिस्सा है। यह एक अच्छा जेस्चर है क्योंकि यह दिखाता है कि हम क्या हैं। उधर कांग्रेस ने थरूर के न्योता स्वीकार करने पर उन पर तंज कसा। पार्टी के मीडिया और पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के हेड पवन खेड़ा ने सरकार पर रोजाना प्रोटोकॉल तोड़ने और डेमोक्रेटिक सिद्धांतों में विश्वास न करने का आरोप लगाया। इस प्रकार कांगे्रस नेतृत्व भी शशि थरूर को अपने पाले मंे रखने की इच्छा नहीं रखता।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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