बीएमसी चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दूसरे राजनीतिक दलों से इसीलिए अलग दिखती है क्योंकि उसकी रणनीति समयबद्ध तरीके से बनायी जाती है। बिहार विधानसभा के लिए जैसे ही दूसरे और अंतिम दौर का मतदान समाप्त हुआ, भाजपा ने महाराष्ट्र के नगर निकाय चुनाव की रणनीति तैयार कर ली। नगर निकाय में भी वृहन्न मुम्बई कारपोरेशन (बीएमसी) का चुनाव विधानसभा के चुनाव से कम महत्वपूर्ण नहीं माना जाता। भाजपा इस पर पूरी तरह से कब्जा करना चाहती है। इसी के चलते देवेन्द्र फडणवीस ने पार्टी के संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने का फैसला किया। भाजपा की महाराष्ट्र इकाई मंे चार नए महासचिव नियुक्त किये गये हैं। बीएमसी के चुनाव अगले साल के प्रारभ अर्थात् जनवरी 2026 मंे होने हैं। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दे रखा है। उधर, विपक्षी गठबधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) मंे मतभेद स्पष्ट दिखने लगा है। उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राजठाकरे के साथ मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ेंगे, जबकि कांगेस राजठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ किसी प्रकार का चुनावी तालमेल नहीं रखना चाहती है। सत्तारूढ़ महायुति का अब तक इरादा एक साथ चुनाव मैदान मंे उतरने का है। महायुति मंे एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है। शिंदे को लेकर मनमुटाव की चर्चा हो रही थी लेकिन देवेन्द्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे दोनों ने इसका सार्वजनिक रूप से खंडन किया है। इतना जरूर है कि एकनाथ शिंदे अपने गुट को एकजुट रखने का प्रयास लगातार कर रहे हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो गए हैं और इसी के साथ अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए तैयारी तेज कर दी है। बीएमसी चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया है, जिसके तहत मुंबई में चार नए महासचिव नियुक्त किए गए हैं। बीजेपी द्वारा नियुक्त महासचिवों में राजेश शिरवाडकर, गणेश खापरकर, आचार्य पवन त्रिपाठी और श्वेता पारुलेकर शामिल हैं। ये नई नियुक्तियां बीजेपी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष और विधायक अमित साटम ने की हैं।
बीएमसी के चुनाव संभावित रूप से जनवरी 2026 में होने वाले हैं। इसको लेकर सत्तारूढ़ दलों के साथ-साथ विपक्षी दल भी जोरदार तैयारियों में लगे हैं। महायुति एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कह रही है तो महाविका अघाड़ी के सहयोगी दल अलग-अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। कांग्रेस एमवीए से अलग अकेले अपने दम पर बीएमसी चुनाव में उतर सकती है। वहीं, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। शरद पवार की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने घोषणा की थी कि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने का प्लान बना रही है। कांग्रेस आलाकमान से चर्चा के बाद स्थानीय स्तर पर यह फैसला लिया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा था कि बीएमसी चुनाव में कांग्रेस को 30-35 सीटें मिलती हैं।
हालांकि, कांग्रेस नेता ने स्पष्ट किया कि अगर समान विचारधारा वाले राजनीतिक दल प्रस्ताव रखते हैं, तो पार्टी उनके साथ चुनाव लड़ने को तैयार है। समान विचारधारा वाली बात से साफ है कि कांग्रेस राज ठाकरे के साथ नहीं जाना चाहती और इसी नाराजगी के चलते उद्धव ठाकरे के साथ भी गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ना चाहती। वहीं, महायुति की स्थिति स्पष्ट है कि बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, अजित पवार की एनसीपी, तीनों साथ मिलकर ही बीएमसी चुनाव के मैदान में उतरेंगे।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने दल को एकजुट रखने का प्रयास जरूरी कर रहे है। इसी संदर्भ में कहा कि शिवसेना हमेशा अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी।
राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और समुदायों से जुड़े कई नेता और सदस्य गत दिनों मुंबई में उनके आधिकारिक मुक्तागिरी निवास पर पार्टी में शामिल हुए। पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं का स्वागत करते हुए शिंदे ने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ताओं की पार्टी है जहां काम करने वालों का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा, पार्टी हमेशा आम लोगों, पिछड़े वर्गों और जमीनी स्तर पर काम करने वालों के कल्याण के लिए प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य भर में हर दिन हजारों कार्यकर्ता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, जो शिवसेना के नेतृत्व और विचारधारा में लोगों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। शिंदे ने कहा, राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए भी मैंने एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम किया और अब भी करता हूं। यह पार्टी कार्यकर्ताओं की है, किसी एक व्यक्ति की नहीं।
लातूर जिले की राजनीति में नया मोड़ तब आया जब भालेराव अपने समर्थकों के साथ शिवसेना में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि उनका यह कदम आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले एनसीपी (एसपी) के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। भालेराव 2009 से 2019 तक उदगीर सीट से भाजपा विधायक रह चुके हैं।
हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला था। बाद में उन्होंने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) का दामन थामा और 2024 में उसी क्षेत्र से उम्मीदवार बने, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जनआधार मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष और मातंग शक्ति आंदोलन के प्रवर्तक के रूप में भालेराव ने राज्यभर में कार्यकर्ताओं का मजबूत नेटवर्क खड़ा किया है, जो अब शिवसेना के लिए एक नई ताकत के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी की ओर से किए गए नए संगठनात्मक बदलाव का मकसद मुंबई में स्थानीय स्तर पर संगठन को धार देना है। पार्टी चाहती है कि 2026 के चुनाव में न सिर्फ शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के साथ तालमेल मजबूत रहे, बल्कि बीजेपी का अपना वोट बैंक भी पूरी तरह सक्रिय हो।
इसका कारण है कि मुंबई में बीएमसी पर कब्जा पाना भाजपा के लिए “राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल” बन गया है। सन् 2022 में निकाय चुनाव स्थगित होने के बाद अब 2026 के चुनाव में भाजपा पूरी ताकत झोंकने के मूड में है। उधर कांग्रेस के वडेट्टीवार ने स्पष्ट किया कि सीटों के बंटवारे पर किसी तरह की बातचीत नहीं होगी। उन्होंने कहा, “नासिक में कांग्रेस इकाई ने मनसे के साथ गठबंधन का जो फैसला लिया है, वह केवल स्थानीय परिस्थिति के आधार पर लिया गया है। मुंबई में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि वंचित बहुजन आघाड़ी या बसपा जैसी गैर-एमवीए पार्टियों के साथ संभावित गठबंधन पर बाद में विचार किया जा सकता है। इस प्रकार बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों की घोषणा से पहले कांग्रेस ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों को बड़ा झटका दिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह मुंबई नगर निगम का चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
वडेट्टीवार ने पत्रकारों से कहा, “हमारे स्थानीय नेताओं ने आग्रह किया है कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े। इस मुद्दे पर हाईकमान से चर्चा हुई और उन्होंने भी स्थानीय परिस्थितियों को देखते द्यहुए फैसला लेने की छूट दी है। मुंबई
इकाई ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि कांग्रेस बीएमसी चुनाव अकेले
लड़ेगी। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



