सम-सामयिक

बंगलादेश में हिन्दुओं से हैवानियत

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में वहां की बड़ी अल्पसंख्यक हिन्दू आबादी पर बहुसंख्यक कट्टरपंथी तत्वों द्वारा अमानवीयता भरी बर्बरता हैवानियत भरे अत्याचार का सिलसिला बेहद शर्मनाक है और बदस्तूर जारी है। सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स द्वारा बांग्लादेश में हाल ही में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और राजनीतिक उथल-पुथल पर आधारित एक रिपोर्ट पेश की है। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब
ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में हाल ही
में यह रिपोर्ट रखी गई, जहां पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री स्वपन दासगुप्ता और जाने माने चिंतक दीप हलदर (लेखक, “बीइंग हिंदू इन बांग्लादेश”) श्री अभिजीत मजूमदार (प्रख्यात पत्रकार) ने रिपोर्ट पर गहरी चिंता जताई है।
इस रिपोर्ट में बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों में घटित घटनाओं पर प्रकाश डाला गया, जिसमें 5 जून 2024 को छात्र विरोध प्रदर्शनों से शुरू हुए राजनीतिक संकट का विवरण है। इन विरोधों ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से, धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय, पर सुनियोजित हमले हुए। रिपोर्ट में बताया गया कि 5 अगस्त 2024 तक 27 जिलों में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यवसायों पर हमला हुआ, और 8 अगस्त तक यह संख्या 52 जिलों तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेश के विभिन्न जिलों में हिंदू समुदाय पर हमले बढ़े। 205 से अधिक हिंदू-विरोधी घटनाओं की पुष्टि हुई, जिनमें लूटपाट, आगजनी, और हिंसा शामिल थी। इन घटनाओं को लेकर सीडीपीएचआर ने बांग्लादेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इन हिंसात्मक घटनाओं की जांच करें और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता ने बांग्लादेश में हो रही इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटनाएं बांग्लादेश के धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रही हैं। उन्होंने वैश्विक समुदाय से इन घटनाओं का संज्ञान लेने और इस संकट का समाधान निकालने की अपील की। वहीं दीप हलदर ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों की निंदा की और कहा कि शेख हसीना के शासनकाल में भी अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले हुए, लेकिन वर्तमान स्थिति बेहद गंभीर है। उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे धर्मांतरण और लव जिहाद जैसी समस्याओं पर भी चिंता जताई।प्रख्यात पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय का भविष्य अनिश्चित है और यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसका गंभीर परिणाम होगा।
आपको बता दें कि हाल ही में बंगलादेश में कट्टरपंथी तत्वों ने दमन का नया तरीका अपनाया। उन्होंने वहां अल्पसंख्यक हिन्दू बौद्ध ईसाई समुदायों के 49 शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन ओइक्या परिषद की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र ओइक्या परिषद ने शनिवार को जातीय प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर के जबरन इस्तीफे का मामला सोशल मीडिया पर बवाल मचा रहा है। लोग जमकर इसकी निंदा कर रहे हैं।
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्र संगठन के संयोजक साजिब सरकार ने कहा कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से देश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को हिंसा का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इसमें लूटपाट, महिलाओं पर हमले, मंदिरों में तोड़फोड़, घरों और कार्यस्थलों पर आगजनी यहां तक कि हत्याएं भी शामिल हैं। सरकार ने आगे खुलासा किया कि देश भर में अल्पसंख्यक शिक्षकों को शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण 30 अगस्त तक कम से कम 49 शिक्षकों को जबरन इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, उनमें से 19 शिक्षकों को दोबारा बहाल कर दिया गया है।
दरअसल, बांग्लादेश में कोटा के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हो गया था, जिसके बाद शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा था। इस हिंसक आंदोलन के दौरान 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शपथ लेने के बाद कहा था कि वह संविधान की मर्यादा बनाए रखेंगे, लोगों का समर्थन और उनकी रक्षा करेंगे और ईमानदारी से कर्तव्यों का पालन करेंगे। इसके बावजूद बांग्लादेश की हालात में सुधार होते नजर नहीं आ रहे हैं।
शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद देश में असामाजिक तत्वों ने अशांति फैलाई और हिंदुओं के घरों और पूजा स्थलों को निशाना बनाया। देश के 23 धार्मिक संगठनों के एक राष्ट्रीय गठबंधन, बांग्लादेश जातीय हिंदू मोहजोत (बीजेएचएम) ने कहा कि 5 अगस्त के बाद से देश के 48 जिलों में 278 स्थानों पर हिंदू परिवारों को हिंसा और बर्बरता का सामना करना पड़ा है।
भारी हिंसा के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं को धमकाया गया । उनसे लाखों रुपये की फिरौती मांगी गई । इसका खुलासा एक बांग्लादेशी हिंदू छात्र ने किया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की घरों की पहचान की गई और इसके बाद उन्हें धमकाया जा रहा है। कई लोगों के पास धमकी भरे कॉल आए हैं।बांग्लादेशी हिंदू छात्र ने बताया कि उसके माता-पिता बुजर्ग हैं और वह चटगांव में रहते हैं। उनके पास धमकी भरी कॉल आई। आरोपित शख्स ने लाखों रुपये की मांग की। राशि न
देने पर आरोपित ने बांग्लादेश छोड़ने की धमकी दी। बता दें कि इस बांग्लादेशी हिंदू छात्र ने महाराष्ट्र के एक
कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अभी ढाका में कार्यरत है। कॉल करने वाले ने अपने आपको एक इस्लामी समूह का सदस्य बताया। फिरौती के रूप में पांच लाख टका की मांग की। आरोपित ने कहा कि अगर रकम नहीं दे सकते हो तो बांग्लादेश छोड़ दें या फिर मौत का सामना करो। छात्र के अनुसार अन्य लोगों के पास भी ऐसे ही कॉल आई हैं। हिंदुओं से कहा जा रहा है कि बांग्लादेश अल्पसंख्यकों का
नहीं है।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की स्थिरता और विकास के लिए भारत के समर्थन को भी दोहराया उन्होंने कहा आने वाले दिनों में हम हमेशा बांग्लादेश की ‘विकास यात्रा’ के लिए शुभकामनाएं देंगे क्योंकि हम मानव जाति के शुभचिंतक हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार फिलहाल, शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। हाल ही में बांग्लादेश के पूर्व कपड़ा एवं उद्योग मंत्री को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा शेख हसीना और आवामी लीग के नेताओं पर लगातार हत्या और तमाम तरह के मुकदमें दर्ज हो रहे हैं। ऐसे में शेख हसीना का बांग्लादेश वापस जाना भी कठिन हो गया है, क्योंकि बांग्लादेश में उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में बांग्लादेश के भविष्य और अल्पसंख्यकों के जीवन पर संकट की ओर इशारा किया गया। अंतरिम सरकार और इस्लामिक पार्टियों के गठबंधन से स्थिति और भी बिगड़ने की आशंका है, और हिंदू समुदाय के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति अत्यंत संकटग्रस्त बनी हुई है। (हिफी)

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