लेखक की कलम

बसपा का एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) का राजनीतिक उभार शक्ति प्रदर्शन से ही हुआ है। एक समय था जब इन दोनों दलों मंे बड़ी रैली करने की प्रतिस्पद्र्धा हुआ करती थी। रैली के जवाब मंे रैला निकाला जाता था लेकिन कुछ दशकों से यह सिलसिला बंद हो गया था। अब भाजपा के सत्ता मंे आने के बाद से उत्तर प्रदेश मंे बसपा तो अपने अस्तित्व को ही बचाने की चिंता में लगी है। इसके लिए कई तरह की रणनीतियां बनायी जा रही है। बसपा ने उपचुनाव न लड़ने का सिद्धांत बना रखा था लेकिन उसे भी तोड़ दिया। परिवारवाद से परहेज रखा जा रहा था लेकिन अब अपने भतीजे आकाश आनंद को सर्वेसर्वा बनाकर यह मिथ भी टूट गया है। इतना ही नहीं बसपा के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस 9 अक्टूबर पर बसपा एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन करने वाली है। इसमंे कोई दो राय नहीं कि बसपा प्रमुख मायावती की नजर यूपी के 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है लेकिन पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा बहाल रखने के लिए बसपा बिहार मंे भी जोर-आजमाइश कर रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि बसपा का लक्ष्य अब दलित वोट बैंक को एकजुट करने पर केन्द्रित होगा, जिसमंे दूसरे दलों ने सेंध लगा ली है। लखनऊ में रैली के माध्यम से बसपा का राजनीतिक पुनर्जन्म किया जाएगा।
9 अक्टूबर को बसपा के संस्थापक कांशीराम का परिनिर्वाण दिवस है। इस अवसर पर मायावती लखनऊ में आयोजित होने वाली मेगा रैली में पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और जनता के बीच मजबूत संदेश देने की तैयारी में हैं। बसपा नेताओं का कहना है कि यह रैली वर्षों बाद होने वाली सबसे बड़ी सभाओं में से एक होगी। इस मंच से मायावती न केवल दलित समुदाय को एकजुट करने पर जोर देंगी, बल्कि सर्वसमाज, विशेषकर अतिपिछड़े वर्गों को भी अपने पाले में लाने का प्रयास करेंगी। उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी सुप्रीमो मायावती स्वयं यूपी में रणनीति को धार देने में जुटी हैं, जबकि उनके भतीजे आकाश आनंद ने बिहार में मोर्चा संभाल लिया है। बसपा ने 9 अक्टूबर को लखनऊ में एक विशाल रैली की योजना बनाई है, जिसके जरिए मायावती न केवल चुनावी शंखनाद करेंगी, बल्कि अपनी सियासी ताकत का भी अहसास कराएंगी। इस रैली में आकाश आनंद की औपचारिक री-लॉन्चिंग के साथ मिशन-2027 का बिगुल भी बजाया जाएगा।
रैली में पार्टी के युवा चेहरे आकाश आनंद की री-लॉन्चिंग भी एक बड़ा आकर्षण होगा। आकाश की सियासी वापसी के साथ ही बसपा युवा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को जोड़ने की दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा, आकाश के ससुर और वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ की भी पार्टी में वापसी हो चुकी है। उन्हें चार राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुछ अन्य पुराने दिग्गजों को वापस लाने पर भी चर्चा चल रही है, हालांकि इस पर सहमति-असहमति का दौर जारी है। बसपा नेताओं का कहना है कि यह रैली केवल एक शुरुआत है। मायावती की नजर 2027 के विधानसभा चुनावों पर है, और इस रैली के जरिए वह कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ-साथ विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास कराएंगी। पार्टी का फोकस दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़े और सर्वसमाज को एकजुट कर एक व्यापक जनाधार तैयार करने पर है। लखनऊ में होने वाली इस रैली को बसपा के सियासी पुनर्जन्म का प्रतीक माना जा रहा है। मायावती की इस रणनीति से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि बिहार और अन्य राज्यों में भी बसपा की सक्रियता बढ़ने की उम्मीद है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि दलित वोटरों को संविधान और बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश में करीब 22 प्रतिशत दलित आबादी है, जो सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम है। बसपा इस रैली के जरिए अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन कर विरोधियों को जवाब देगी। रैली में भारी भीड़ जुटाकर मायावती यह साबित करना चाहती हैं कि उनकी पार्टी अब भी दलितों और अन्य वर्गों के बीच मजबूत पकड़ रखती है।
राजधानी लखनऊ स्थित बसपा के प्रदेश कार्यालय में 14 सितम्बर को बहुजन समाज पार्टी की राज्य स्तरीय बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों, मंडल कोऑर्डिनेटर, विधायक, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों, पूर्व एमएलसी को बुलाया गया था। बैठक की अध्यक्षता खुद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय
अध्यक्ष मायावती ने की। बैठक करीब 1 घंटा 15 मिनट तक चली। इस दौरान मायावती ने अपने सभी पदाधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किए।
बहुजन समाज पार्टी की बैठक में मायावती ने 9 अक्टूबर 2025 को होने वाली कांशीराम की पुण्यतिथि पर ज्यादा फोकस किया। 9 अक्टूबर वही दिन है जिस दिन बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम का निधन हुआ था। बैठक में फैसला लिया गया है कि मान्यवर काशीराम की इस पुण्यतिथि को बड़े स्तर पर मनाया जाएगा। ऐसा नहीं है कि मान्यवर काशीराम की पुण्यतिथि बहुजन समाज पार्टी नहीं मनाती रही है, लेकिन इससे पहले यह कार्यक्रम जिला स्तर और मंडल स्तर पर होता था, लेकिन इस बार के कार्यक्रम में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती खुद मौजूद रहेंगी। यह कार्यक्रम राजधानी लखनऊ में ही होगा। यूपी में बसपा के एकलौते विधायक उमाशंकर सिंह ने बताया कि मायावती ने कांशीराम की पुण्यतिथि पर कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने का लक्ष्य दिया है। इसके लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है। बता दें कि मायावती पंचायत चुनाव पर फोकस करते हुए 2027 को लेकर बड़ा सन्देश देना चाहती है। इसके लिए वे कांशीराम पुण्यतिथि से लखनऊ में अपना शक्ति प्रदर्शन करेंगी। राजधानी लखनऊ के मान्यवर कांशीराम स्मारक में इस कार्यक्रम को होना है । इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं को लक्ष्य दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा भीड़ को बुलाए। ऐसा माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के बहाने से मायावती अपनी राजनीतिक साख को दिखाने की कोशिश करेंगी। साथ ही उस दिन 2027 की विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनाव को लेकर संदेश भी दिया जाएगा। बैठक में आकाश आनंद नजर नहीं आए जबकि माना जा रहा था कि उनके ससुर भी मौजूद रहेंगे। कहा जा रहा है कि मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि के मौके पर पूरा परिवार मौजूद रहेगा और इस सियासी संदेश देने की कोशिश करेगा
आकाश आनंद के ससुर डॉ अशोक सिद्धार्थ की वापसी के बाद बहुजन समाज पार्टी निकाले गए लोगों को वापस बुलाने पर फोकस करती हुई नजर आ रही है। इसका साफ मतलब है कि बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर से 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए खुद को न सिर्फ मजबूत कर लेना चाहती है बल्कि मिशन से जुड़े हुए लोगों की घर वापसी भी करवा रही है। इससे उसकी सियासी साख और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए उनके कार्यकर्ताओं में जोश पैदा
होगा।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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