अध्यात्म
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अहंकारी व धीर में अंतर
(हिफी डेस्क-हिफी फीचर) अष्टावक्र जी राजा जनक को अहंकारी व धीर में अंतर बताते हुए कहते हैं कि अहंकारी कर्म…
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धीर पुरुष के लक्षण
अष्टावक्र जी राजा जनक से कहते हैं कि धीर पुरुष संसार मंे रहते हुए भी संसार से भिन्न रहता…
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जीवन मुक्त योगी के कर्तव्य
अष्टावक्र राजा जनक को बताते हैं कि वस्तुतः जीवन मुक्त योगी के लिए कर्तव्य कर्म कुछ भी नहीं है…
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आत्मा और ब्रह्म की अभेदता
अष्टावक्र इस सूत्र में आत्मा एवं ब्रह्म की अभेदता बताते हुए कहते हैं कि यह आत्मा ही ब्रह्म है।…
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भावना मात्र है संसार
अष्टावक्र जी राजा जनक को समझाते हैं कि यह संसार भावना मात्र है। स्वार्थ के चलते ही कोई किसी…
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बोध अर्थात् ज्ञान का उदय
अष्टावक्र जी राजा जनक को परम शांति का मार्ग बताते हुए कहते हैं कि बोध अर्थात् ज्ञान के उदय…
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शरीर नहीं, आत्मा को देखता आत्मज्ञानी
अष्टावक्र जी राजा जनक को समझाते हैं कि आत्मज्ञानी शरीर नहीं आत्मा को देखता है। इसीलिए उसकी नजर में…
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बिरले हैं भोग-मोक्ष निराकांक्षी
महाज्ञानी अष्टावक्र राजा जनक को समझाते हैं कि इस संसार में भोग और मोक्ष की आकांक्षा न रखने वाले…
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शुद्ध इन्द्रिय वाले को मिलता ज्ञान
अष्टावक्र जी राजा जनक को बताते हैं कि जिसका मोक्ष के प्रति अहंकार है अथवा शरीर के प्रति ममता,…
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समर्पण है भगवान का द्वार
महाज्ञानी अष्टावक्र राजा जनक को बताते हैं कि समर्पण ही प्रभु का द्वार है और संसार का द्वार संघर्ष…
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