अध्यात्म
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आत्मारूपी सागर को तरंगित करता मन
राजा जनक कहते हैं कि समुद्र और उसकी तरंगों का रहस्य समझना ही ज्ञान है। अष्टावक्र गीता-19 मय्यनन्तमहाम्भोधौ चित्तवाते…
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जीवन की इच्छा ही सबसे बड़ी वासना
स्वाभाविक रूप से बिना पाप कर्म किये जीना है जी लो किन्तु जहाँ तुम्हारी जीने की इच्छा बलवती हुई…
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राजा जनक को एकत्व का बोध
महाज्ञानी अष्टावक्र के उपदेश से राजा जनक को एकत्व बोध हो गया। इस प्रकार राजा जनक को एक नई…
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जनक ने समझा ज्ञान ज्ञाता व ज्ञेय का भेद
आत्म तत्व को समझने के बाद राजा जनक को मालूम हो गया कि जो जाना जाता है, उसे ज्ञान…
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आत्मा सभी गुणों-धर्मों से परे है
राजा जनक को आत्मतत्व की, उस ब्रह्म की पूर्ण अनुभूति हो गई, एक साथ समग्र का ज्ञान हो गया।…
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संसार का वास्तविक स्वरूप आत्मा है
राजा जनक को आत्मज्ञान हो जाने से उनका संसार के प्रति भ्रम दूर हो गया। उनको अनुभव हो गया…
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पानी का ही रूप हैं तरंगें
आत्मबोध होने पर राजा जनक को अनुभव होने लगा कि पानी की तरंगें, फेना और बुदबुदा अलग-अलग भले ही…
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राजा जनक को हुआ आत्म बोध
महाज्ञानी अष्टावक्र ने ज्ञान तत्व का राजा जनक को उपदेश दिया और राजा जनक में उपदेश ग्रहण करने की…
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आत्मा में पूर्ण निष्ठा रखें
महाज्ञानी अष्टावक्र कहते हैं कि आत्मतत्व ही मुख्य है, शरीर नहीं। इसलिए आत्मा में ही पूरी तरह से निष्ठा…
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आदमी से भी पूर्व था धर्म
अष्टावक्र गीता के इस प्रसंग में धर्म के महत्व को और धर्म के बारे में बताया गया है। धर्म…
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