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शरद पवार से चैकन्नी ‘इंडिया’

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

भाजपा के विरोध मंे विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में सबसे पहले ममता बनर्जी सक्रिय हुई थीं, फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका बीड़ा उठाया। इसमंे कोई दो राय नहीं कि नीतीश कुमार ने शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अरविन्द केजरीवाल, सीताराम येचुरी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर गठबंधन का आधार तैयार किया था। इसीलिए बिहार के पटना मंे विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई थी। यहां तक तो सब ठीक चला लेकिन जब 26 विपक्षी दलों की कर्नाटक के बेंगलुरु मंे बैठक हुई तो लगा कि कांग्रेस ने कमान अपने हाथ में ले ली है। सोनिया गांधी और ममता बनर्जी की अलग कमरे मंे गुफ्तगू भी इसी से जोड़ी जा रही है। इसी से नीतीश कुमार बेंगलुरु में संयुक्त प्रेसवार्ता से पहले ही बिहार वापस आ गये थे। हालांकि बाद मंे उन्होंने इसके लिए सफाई भी दी थी लेकिन नाराजगी की हवा पूरी तरह थमी नही थी। ऐसे ही हालात शरद पवार के बताये जाते हैं। वे भी खामोश नजर आ रहे थे लेकिन यह खामोशी तूफान के आने से पहले जैसी थी। पहला तूफान तब आया जब एनसीपी से बगावत करने वाले उनके भतीजे अजीत पवार, जो एकनाथ शिंदे की सरकार मंे डिप्टी सीएम हैं, ने अपने बगावत करने वाले साथियों के साथ अचानक शरद पवार के आवास पर पहुंचकर उनसे आशीर्वाद लिया। उस समय सबसे बड़ा सवाल यही उठा था कि शरद पवार ने उनको मिलने से मना क्यों नहीं किया? अब उससे भी बड़ा सवाल विपक्षी दलों के महागठबंधन ‘इंडिया’ को व्यथित किये हैं। एक तरफ शरद पवार महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन से कहते हैं कि उनकी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना अगर ठान लेें तो महाराष्ट्र में बदलाव लाया जा सकता है। दूसरी तरफ शरद पवार और पीएम नरेन्द्र मोदी 1 अगस्त को एक ही मंच पर मौजूद थे। तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मोदी के आने से पहले पवार मंच पर मौजूद थे। मोदी ने उनसे कुछ कहा तो शरद पवार हंसे और मोदी की पीठ थपथपाई। यह दृश्य इंडिया बनाने वाले विपक्षी दलों को निश्चित रूप से चुभा होगा। हालांकि शरद पवार ने भी भाजपा पर तंज किया।
यहां पर ध्यान देने की बात है कि 25 और 26 अगस्त को विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की तीसरी महत्वपूर्ण बैठक मुंबई मंे ही होने वाली है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे भी कहते थे कि शरद पवार को उस समारोह मंे नहीें जाना चाहिए। शरद पवार की एनसीपी की राज्यसभा सदस्य वंदना चह्वाण की भी ऐसी ही प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा ‘व्यक्तिगत रूप से मैं अपनी पार्टी के प्रमुख के पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने के खिलाफ हूं, जिन्हांेने हमारी पार्टी को तोड़ा है और हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा मैंने पवार साहब से इस कार्यक्रम से दूर रहने का आग्रह किया। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि जब प्रधानमंत्री हमारे गठबंधन ‘इंडिया’ को तरह-तरह के नाम दे रहे हैं और जब उन्होंने उनकी पार्टी एनसीपी को बर्बाद कर दिया है, तब एनसीपी प्रमुख का इस कार्यक्रम मंे शामिल होना उचित नहीं लगता। इससे यही संदेश जाएगा कि शरद पवार का अजीत पवार को समर्थन प्राप्त है। वीबीए प्रमुख प्रकाश आम्बेडकर ने कहा कि शरद पवार का निर्णय इस बात का साफ संकेत है कि अजीत पवार के तथाकथित विद्रोह में उनका (शरद पवार का) समर्थन प्राप्त है।
बहरहाल, एक बार फिर वैसा ही असमंजसपूर्ण अवसर उपस्थित हुआ जैसा पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में जाने से पैदा हुआ था। प्रणव मुखर्जी ने अपनी वाक्कुशलता से संघ के नेताओं को शिक्षा दी थी।
महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अब आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। दो फाड़ हो चुकी शिवसेना और एनसीपी अपना वजूद बचाए रखने के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे। इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने बड़े बदलाव की बात कही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) में शामिल उनकी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) अगर ठान लें तो महाराष्ट्र में बदलाव लाया जा सकता है। इस दौरान एमवीए के कई और नेता भी वहां मौजूद थे। इससे पूर्व तय हो चुका था कि एनसीपी चीफ शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
1 अगस्त को एक ही मंच शेयर करेंगे।
इतना ही नहीं शरद पवार ने यह स्वीकार किया कि ट्रस्ट की तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सम्मानित करने के लिए स्वयं आमंत्रित किया था। लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि के अवसर पर हर साल ये पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिनके नेतृत्व मंे भारत प्रगति की सीढ़ियां चढ़ता माना जाता है। शरद पवार के लिए यह एक तरह की मोदी को स्वीकारोक्ति भी थी। पीएम मोदी यह पुरस्कार पाने वाले 41वें व्यक्ति हैं। इससे पूर्व यह अवार्ड श्रीमती इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेई, शरद पवार, राहुल बजाज, साइरस पूनावाला और डा. मनमोहन सिंह समेत 40 हस्तियों को मिल चुका है।
इस कार्यक्रम मंे पीएम मोदी ने सड़कों को लेकर स्वदेशी और विदेशी अस्मिता का जिक्र किया लेकिन शरद पवार ने कुछ ज्यादा ही तंज कसा। पवार ने महाराष्ट्र में सत्ता के बदलाव का अप्रत्यक्ष जिक्र करते हुए कहा ‘शिवाजी महाराज ने अपना साम्राज्य बनाया लेकिन उन्हांेने किसी की जमीन नहीं छीनी। एनसीपी नेता ने कहा अब सर्जिकल स्ट्राइक पर चर्चा हो रही है लेकिन लाल महल में पहली सर्जिकल स्ट्राइक शिवाजी महाराज के समय मंे हुई थी। इस प्रकार पवार ने महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी को तोड़े जाने पर अप्रत्यक्ष रूप से व्यंग्य कसा है।
इस महीने की दो जुलाई को अजित पवार के बगावत करने और इसकी वजह से एनसीपी में ‘टूट’ होने के बाद एमवीए के तीनों नेताओं ने पहली बार मंच साझा किया। दो जुलाई को अजित पवार एनसीपी के आठ विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। अब उनके धड़े में 30 से ज्यादा विधायक शामिल हैं जिसके बाद अब पार्टी पर भी अजित पवार गुट ने दावा किया है, ये मामला चुनाव आयोग के पास है।
एनसीपी में बगावत और अजित पवार के एनडीए में शामिल होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनसीपी चीफ शरद पवार एक साथ दिखे। पीएम मोदी और शरद पवार के मंच साझा करने को लेकर अलग-अलग नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आयीं। इसी कड़ी में एनसीपी सांसद वंदना चैहान ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस देश के पीएम हैं, उनका सम्मान करना पड़ेगा इसलिए प्रोग्राम में शरद पवार जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दल पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने को लेकर नाराज हैं। विपक्षी दलों की बैठक में भी इस बात का जिक्र किया गया। इस बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि शरद पवार को एक अगस्त वाले कार्यक्रम की बजाय राज्यसभा में वोटिंग को प्राथमिकता देनी चाहिए। (हिफी)

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