राजनीतिलेखक की कलम

झारखण्ड में बागी हुए चंपई सोरेन

 

झारखंड की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने हलचल मचा दी है । हालांकि अभी चुनाव आयोग ने सिर्फ जम्मू कश्मीर  और हरियाणा में  ही विधानसभा चुनाव कराने  की तारीखें घोषित की हैं लेकिन  इसी साल झारखंड  और महाराष्ट्र में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं । इसके चलते झारखंड में चम्पई सोरेन की बगावत को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।   झारखंड में हेमंत सोरेन ने इसी वर्ष 31 जनवरी को जमीन घोटाले में नाम आने के बाद सीएम पद से इस्तीफा दिया था।हेमंत के इस्तीफे के बाद कुछ नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में आए। इनमें हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, चम्पई सोरेन का नाम प्रमुख था। कल्पना के नाम पर पूर्ण सहमति नहीं  थी और चंपई सोरेन वरिष्ठ नेता थे, वह सोरेन परिवार के सबसे ज्यादा विश्वस्त  भी थे। ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम पर अंतिम रूप से मुहर लगी।अपने कार्यकाल में चंपई सोरेन ने कोई ऐसा बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया। सामान्य तरीके से शासन चलाते रहे।

हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के बाद बीती 26 जून को कोर्ट से जमानत मिल गई। हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर आने के बाद चार जुलाई, 2024 को एक बार फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इन घटनाओं के बीच चंपई सोरेन की नाराजगी बीते रोज 18 अगस्त को खुलकर सामने आई। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट के माध्यम से अपनी बातें रखीं।इससे पहले वे हेमंत सोरेन की तारीफ से भाषण आरंभ करते थे और प्रशंसा के पुल बांधते हुए भाषण का समापन करते थे।

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन फिलहाल एकला चलो की राह पर हैं या उनका साथ देने को कोई तैयार नहीं है। कहीं इस मोर्चे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के इस पुराने नेता की रणनीति समय से पहले तो लीक नहीं हो गई या सिर्फ हवा में यह बात उड़ाई गई कि उनके साथ लगभग आधा दर्जन विधायक हैं? ऐसे तमाम सवाल अभी राजनीतिक गलियारे में तैर रहे हैं।अभी तक की जो स्थिति है, उसमें चंपई सोरेन भी स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके साथ कोई और नहीं है जबकि यह बात तेजी से फैली थी कि उनके साथ झामुमो के कई विधायक हैं। घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन, बहरागोड़ा के समीर मोहंती, खरसावां के दशरथ गगराई, पोटका के संजीव सरदार से लेकर हेमंत कैबिनेट में मंत्री दीपक बिरुवा तक का नाम सामने आया, लेकिन एक-एक कर ना सिर्फ सबने इससे इन्कार कर दिया, बल्कि इन तमाम प्रमुख नेताओं ने यह भी सार्वजनिक तौर पर कहा कि उनकी प्रतिबद्धता शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के प्रति है।ऐसे में फिलहाल सत्तारूढ़ झामुमो के विधायकों के पाला बदलने की अटकलों पर विराम लगा है। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि सरकार को कोई खतरा नहीं है। चंपई के पाला बदलने के बावजूद अंकगणित सरकार के पक्ष में है। इसके अलावा, विधायकों का रुख देखते हुए यह भी नहीं लग रहा है कि वे उछल-कूद कर सकते हैं।

हालांकि, भाजपा के कुछ नेता अभी भी यह दावा कर रहे हैं कि छह विधायक पाला बदल सकते है, लेकिन ये भी नाम बताने की स्थिति में नहीं हैं।इसे लेकर भी अभी पूरी तरह स्पष्टता नहीं है कि चंपई सोरेन को दल बदलने के बाद क्या मिलेगा? चर्चा यहीं तक है कि भाजपा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल करेगी। संवैधानिक पद के साथ-साथ पुत्र के लिए पसंदीदा विधानसभा सीट मिलेगी। यानी चंपई सोरेन अपनी राजनीतिक विरासत को इसी बहाने आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। भाजपा ने इसका आश्वासन दिया है।

बहरहाल पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कद्दावर नेता चंपई सोरेन 19 अगस्त को दिल्ली में थे लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं हुई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान दिल्ली से बाहर थे। चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने का मामला झारखंड भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चैहान ही देख रहे हैं। भाजपा के संगठन प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी उस दिन मेरठ में थे। ऐसे में चंपई सोरेन को मुलाकात के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी । जानकारों का यह भी कहना है कि चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की रूपरेखा तय कर ली गई है, लेकिन औपचारिक मुलाकात के बाद ही इसकी घोषणा की जाएगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जरूर दिल्ली में मौजूद थे, लेकिन उनसे मिलने की कोई योजना नहीं थी।चंपई सोरेन को भाजपा में शामिल कराने को लेकर प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत दूसरे नेताओं से भी विमर्श किया गया है। चंपई सोरेन के भाजपा में आने से पड़ने वाले प्रभाव का आकलन कर इसकी सहमति दी गई है।

झारखंड प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल ने चंपई के भाजपा में जाने की संभावना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजद का कहना है कि भाजपा जोड़-तोड़ की राजनीति में विश्वास करती है। यही भाजपा की नीति व नीयत है। जब से राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी है, तब से लेकर आज तक भाजपा लगातार झारखंड सरकार को अपदस्थ करने की कोशिश में है। राजद के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनोज ने कहा कि सत्ता पाने के लिए भाजपा नेताओं का लार टपक रहा है। यह टपकते रहेगा, लेकिन कामयाबी नहीं मिलेगी। भाजपा की नीयत अंग्रेज जैसी है, फूट डालो व राज करो। झारखंड की जनता इनके मंसूबे को समझ चुकी है। विधानसभा चुनाव में जनता इन्हें सबक सिखाएगी।

आखिर ऐसा क्या हुआ जो चंपई सोरेन को झामुमो छोड़ना पड़ रहा है। कब और कैसे मन में वो खटास पैदा हुई, जिसका दर्द स्वयं चंपई सोरेन ने अपने एक्स हैंडल पर की गई एक पोस्ट के माध्यम से साझा किया है। चंपई सोरेन सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह साल 1991 से अब तक विधायक चुने जाते रहे हैं। इस समय हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री हैं। उन्होंने अभी अपना इस्तीफा नहीं दिया है। चंपई को हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता रहा है। चंपई सोरेन का नाम तब सबसे ज्यादा चर्चा में आया, जब इसी साल जनवरी महीने में हेमंत सोरेन के जेल जाने पर झारखंड सरकार पर संकट के बादल छाए हुए थे। हेमंत के इस्तीफा देने पर तमाम सियासी अटकलों के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 31 जनवरी 2024 को गिरफ्तारी होने तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। हेमंत सोरेन के विरुद्ध जांच की शुरूआत वर्ष 2022 में हुई, जब उनके विरुद्ध भाजपा ने पत्थर खनन का लीज लेने का आरोप लगाया। इसमें राज्यपाल ने लाभ का पद का मामला बताते हुए चुनाव आयोग को पत्र भेजा। इसकी सुनवाई चली और आयोग ने अपनी सिफारिश भेजी। अभी तक आयोग की क्या सिफारिश थी, वह स्पष्ट नहीं हो पाया। अब यह मामला ठंडे बस्ते में है।

2022 में ही पहली बार हेमंत सोरेन को ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा था। आरोप था कि उन्होंने जमीन का गलत तरीके से लेनदेन करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग की है। वे ईडी के समक्ष उपस्थित हुए। अलग-अलग तिथि पर समन जारी करने का सिलसिला चलता रहा। कई समन पर उपस्थित नहीं होने के बाद ईडी ने गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाया। हेमंत सोरेन ने इसी वर्ष 31 जनवरी को इस्तीफा दिया था।हेमंत के इस्तीफे के बाद कुछ नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में आए। इनमें हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, चम्पई सोरेन का नाम प्रमुख था।चंपई सोरेन सीनियर थे, वह सोरेन परिवार के सबसे ज्यादा विश्वस्त थे। ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम पर अंतिम रूप से मुहर लगी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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