चंपई सोरेन भी कराएंगे जातीय सर्वे

झारखंड मंे लोकसभा की 14 सीटों में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को पांच सांसद ही मिले हैं। इनमें चम्पई सोरेन की पार्टी जेएमएम को तो तीन सीटें ही मिल पायी हैं जबकि कांग्रेस को भी 2 सांसदों से ही संतोष करना पड़ा है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन नीतीश कुमार के पदचिह्नों पर चलकर जातीय सर्वेक्षण कराने वाले हैं। चुनाव के नतीजे तो यही बताते हैं कि जनता ने चम्पई सोरेन के नेतृत्व वाले मोर्चे को एक तरह से ठुकरा दिया है। भाजपा को 8 और उसकी सहयोगी पार्टी आजसू को 1 सीट मिली है। पिछले चुनाव को देखते हुए भाजपा को तीन सीटों का नुकसान हुआ है लेकिन विधानसभा चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ मोर्चा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया है। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 2004 और 2014 मंे राज्य की 14 मंे से 12 सीटों पर कब्जा कर चुका है। पिछली बार अर्थात् 2019 मंे भी कांग्रेस और झामुमो को एक-एक सीट मिली थी। चम्पई सोरेन संभवतः इसी गणित से उत्साहित हैं लेकिन उनका गणित उलटा भी पड़ सकता है। इसी तरह पावर प्रोजेक्ट का मामला है। केन्द्र सरकार राज्य में 1500 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट लगा रही है लेकिन राज्य कैबिनेट ने प्रोजेक्ट निर्माण को स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया। चंपई सोरेन सरकार पर विकास विरोधी होने का आरोप लग सकता है।
झारखंड की सोरेन सरकार राज्य में जातीय सर्वेक्षण कराएगी। यह निर्णय सीएम चंपई सोरेन की अध्यक्षता में गत 20 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इसके लिए झारखंड कार्यपालिका नियमावली में संशोधन करते हुए कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग को जातीय सर्वेक्षण का दायित्व सौंपा गया है। यह जानकारी सरकार की कैबिनेट सेक्रेटरी वंदना डाडेल ने दी। बिहार में जातीय सर्वेक्षण पूरा होने के बाद झारखंड दूसरा राज्य है, जिसने इस तरह का सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। इसे अक्टूबर-नवंबर में राज्य में संभावित विधानसभा चुनाव के पहले राज्य की झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।
बता दें कि इससे पहले फरवरी महीने में सीएम चंपई सोरेन की तरफ से अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा गया था कि जिसकी संख्या जितनी उसकी हिस्सेदारी भी उतनी। झारखंड इसके लिए तैयार है। प्रदेश सरकार की तरफ से 2021 में ओबीसी आरक्षण से जुड़ा विधेयक भी पास करवाया गया था। जिसमें ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने का फैसला लिया गया था। इंडिया गठबंधन की तरफ से लगातार इस मुद्दे को लेकर बीजेपी को घेरा भी जाता रहा है। ऐसे में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन सरकार जातीय सर्वेक्षण के फैसले से बड़ा दांव खेल सकती है।
झारखंड कैबिनेट ने जाति आधारित सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी है। इसका समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा, निश्चित रूप से जाति आधारित सर्वेक्षण होनी चाहिए।
चुनाव प्रचार में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का वादा भी किया गया था। बन्ना गुप्ता ने कहा, झारखंड में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था, बीजेपी की बाबूलाल मरांडी सरकार ने 27 प्रतिशत का आरक्षण तोड़ कर उसे 14 प्रतिशत कर दिया। पिछड़ों के साथ अन्याय करने का काम किया है। जब जातिगत सर्वेक्षण होगा तो पता चलेगा किसकी कितनी संख्या है। इसमें क्या खराबी है। ये तो बहुत अच्छी चीज है।
झारखंड में सीएम चंपई सोरेन ने लोकसभा चुनाव से पहले जाति आधारित सर्वेक्षण कराने की घोषणा की थी। चंपई सोरेन ने फरवरी में घोषणा करते हुए ट्वीट किया था, जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी। झारखंड है तैयार। सर्वेक्षण को लेकर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग को ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। सर्वे की जिम्मेदारी कार्मिक विभाग को दी गई है। झारखंड की कैबिनेट सेक्रेटरी वंदना डाडेल ने जाति आधारित सर्वेक्षण को मंजूरी मिलने की जानकारी दी है। कैबिनेट में पारित प्रस्ताव में कहा गया है इसका उद्देश्य एससी-एसटी और ओबीसी को आनुपातिक समानता का अवसर उपलब्ध कराना है। हालांकि सर्वेक्षण के शुरुआत की तारीख नहीं बताई गई है।
उधर, झारखंड कैबिनेट ने राज्य के लुगू बुरू पहाड़ पर केंद्र सरकार के उपक्रम डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) की ओर से हाइडल पावर प्रोजेक्ट के निर्माण को स्थगित रखने का प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव राज्य सरकार केंद्र को भेजेगी और निर्माण कार्य को स्थगित करने का आग्रह करेगी। झारखंड के सीएम चंपई सोरेन की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि लुगू पहाड़ राज्य के बोकारो जिले में स्थित है और इसे संथाल आदिवासी समुदाय के लोग अपना सबसे बड़ा तीर्थ स्थल मानते हैं। इस स्थल पर हाइडल पावर प्रोजेक्ट का निर्माण नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे इस स्थल की पवित्रता और आदिवासी समाज की धार्मिक आस्था आहत होगी। केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीन कार्यरत पीएसयू डीवीसी ने लुगू पहाड़ पर 1,500 मेगावाट की क्षमता वाला हाइडल पावर प्लांट स्थापित करने की परियोजना पर काम शुरू किया है। यह परियोजना पंप स्टोरेज पर आधारित है और इसके तहत पहाड़ के ऊपरी और निचले हिस्से में दो जलाशय स्थापित किए जाने हैं। झारखंड सरकार की ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी ने प्लांट का निर्माण बंद करने का प्रस्ताव पहले ही सर्वसम्मति से पारित किया था। राज्य के कई आदिवासी संगठनों ने भी इस परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि यह आदिवासी तीर्थ स्थल का अतिक्रमण है। इससे लुगू पहाड़ स्थित तीर्थस्थल की अस्मिता और पवित्रता बाधित होगी। यह मामला संवेदनशील है लेकिन मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को राज्य के विकास को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)