राजनीतिलेखक की कलम

चम्पई की भाजपा से डील पक्की

 

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ डील पक्की हो गयी है। उन्हांेने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से अपनी नाराजगी खुलकर जतायी थी और तीन विकल्प भी रखे थे। इनमंे एक विकल्प गठबंधन का था। झामुमो ने चम्पई सोरेन को मनाने का कोई विशेष प्रयास भी नहीं किया। पहले यह माना जा रहा था कि उनके साथ झामुको के कई विधायक हैं और वे भी बगावत कर सकते हैं लेकिन एक-एक करके सभी विधायक पल्ला झाड़ने लगे थे। इसीलिए चम्पई सोरेन दिल्ली मंे रहकर कोई रास्ता नहीं तय कर पाए थे। भाजपा के नेताओं से उनकी मुलाकात भी नहीं हुई थी। रांची लौटकर चम्पई ने नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी थी लेकिन शीघ्र ही वह समझ गये कि अलग पार्टी बनाकर उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा। वह न घर के रहेंगे और न घाट के। इसलिए दुबारा कई साथियों को लेकर दिल्ली गये और भाजपा मंे शामिल होने का इरादा जताया। राज्य में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए भाजपा को भी अपने विरोधी दलों को कमजोर करना है ताकि राज्य मंे भाजपा की सरकार बन सके। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चम्पई सोरेन को पार्टी मंे शामिल करने के लिए हरी झंडी दिखा दी। अमित शाह ने स्वयं उनसे मुलाकात की। इस प्रकार 30 अगस्त को चम्पई सोरेन को भाजपा मंे शामिल कर लिया जाएगा। इससे झामुमो कुछ तो कमजोर होगा। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भाजपा पर षडयंत्र का आरोप लगा रहे हैं। उन्हांेने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है।

झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि चम्पई सोरेन ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। गौरतलब है कि चम्पई सोरेन अपनी पिछली दिल्ली यात्रा के दौरान पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही नया विकल्प भी तलाशने की बात कही थी। उन्होंने लिखा कि लगातार अपमानजनक व्यवहार से भावुक हो कर मैंने सियासत में नए विकल्प को अपनाने का फैसला किया है। चंपई ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि लगातार अपमान और तिरस्कार के बाद उनके सामने राजनीति से संन्यास लेने, अपना संगठन खड़ा करने या नए साथी के साथ सफर करने का विकल्प बचा था। मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।

इन दो यात्राओं के बीच पूर्व सीएम विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड के कोल्हन क्षेत्र में अपने समर्थकों से मिले। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से रणनीति पर चर्चा भी की। इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए चंपई सोरेन ने इस ओर इशारा किया था कि वह एक नई पार्टी बनाएंगे। हालांकि, उन्होंने अभी तक झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) या हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। कुछ ऐसी अटकलें भी लगाई गई थीं कि झामुमो से नाराज 68 वर्षीय चम्पई सोरेन अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के बाहर अवसर तलाश रहे हैं। अब इन सबसे पर्दा उठ चुका है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चम्पई सोरेन को झारखंड का सीएम बनाया गया था। उन्होंने फरवरी से जुलाई तक सीएम के पद पर कार्य किया। वह 2005 से प्रत्येक चुनाव में विधानसभा के लिए चुने गए हैं। झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है। चम्पई सोरेन परिवार के सबसे करीबियों में से एक रहे हैं। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने से पहले सीएम हेमंत सोरेन ने सीएम पद की जिम्मेदारी चम्पई को दी। बताते हैं कि हेमंत के जेल से बाहर आने के बाद जिस प्रकार उन्हें आनन फानन सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, उससे वह आहत थे।

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झामुमो के हाथों सभी पांच सुरक्षित सीटें गंवा दी थीं। आदिवासी बिरादरी की नाराजगी का आलम यह था कि केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। चूंकि चंपई सोरेन परिवार के करीबी और आदिवासी वर्ग के दिग्गज नेता हैं, ऐसे में चंपई की बगावत से झामुमो को नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है। पूर्व सीएम चंपई सोरेन सहित झामुमो के कई अन्य विधायकों के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के लोग षड्यंत्रकारी हैं, जो न केवल समाज बल्कि घर, परिवार और पार्टी तोड़ने में लगे रहते हैं।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गोड्डा में कई विकास योजनाओं के उद्घाटन-शिलान्यास के साथ लाभार्थियों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 2019 से ही जबसे हमारी सरकार बनी, तभी से इनके षड्यंत्र चल रहे हैं लेकिन, हमारी ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार लगातार चल रही है। हमारी सरकार के तीन-तीन मंत्री कोरोना काल में जनता के लिए काम करते हुए कुर्बान हो गए। हम डिगने वाले नहीं हैं। इस चुनाव में हम लोग इस राज्य से भाजपा का सफाया कर देंगे। सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि इनका तो काम ही है कि आए दिन कभी इस विधायक को खरीद लो, तो कभी उस विधायक को खरीद लो और पैसा ऐसी चीज है कि उन्हें इसके बल पर नेताओं-विधायकों को इधर-उधर घसीटने में देर नहीं लगती। सोरेन ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह गुजरात, असम, महाराष्ट्र से अपने नेताओं को झारखंड बुलाकर यहां के आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों को लड़ाने की कोशिश कर रही है। हम उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं। इस बार झाड़ू-पोछा लगाकर ऐसे लोगों को गुजरात भेज देंगे। सभा को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी पर चुनाव आयोग के भी दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन्होंने चुनाव आयोग में अपने लोगों को बिठा रखा है, जो उन्हीं के इशारे पर काम करते हैं। झारखंड में चुनाव की घंटी कब बजेगी, यह भाजपा वाले ही तय करेंगे।

बहरहाल, जेएमएम से नाराज चल रहे झारखंड के पूर्व सीएम चम्पई सोरेन को लेकर बीते 2 हफ्ते से जारी सस्पेंस पर से अब पर्दा हट चुका है। दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद चम्पई सोरेन ने आखिरकार अपने राजनीतिक जीवन का बड़ा फैसला ले ही लिया है। दरअसल चम्पई सोरेन जेएमएम का साथ छोड़कर अब बीजेपी का दामन थामने वाले हैं। चम्पई सोरेन 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल होंगे। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपने पोस्ट में लिखा- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हमारे देश के प्रतिष्ठित आदिवासी नेता ने कुछ देर पहले माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। वे 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक रूप से शामिल होंगे। हिमंत बिस्वा सरमा के इस पोस्ट से अब फाइनल हो गया कि चम्पई सोरेन ने मजबूत साथी के रूप में बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया है। चम्पई सोरेन 26 अगस्त को करीब 25 से 30 समर्थकों और नेताओं के साथ दिल्ली पहुंचे थे। इस दौरान चम्पई सोरेन ने दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले, जिसके बाद ही चम्पई सोरेन ने बीजेपी जॉइन करने का फाइनल फैसला लिया। चंपाई सोरेन दसवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान शिबू सोरेन के अलग झारखण्ड राज्य आंदोलन से जुड़े रहते हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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