पराली-प्रदूषण से मुक्ति के आसार

पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में पराली जलाने से प्रदूषण की गंभीर समस्या पैदा हो गयी थी। राजधानी दिल्ली के आसमान पर काली धुंध पंजाब और हरियाणा से आती थी। हालांकि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर उलझाने का भरपूर प्रयास हुआ लेकिन अब पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही हैं। बठिंडा की एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि इस बार यहां पराली जलाने की सिर्फ एक घटना सामने आयी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया है, इसमंे कोई दो राय नहीं लेकिन अभी इस दिशा मंे बहुत काम करना है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के अनुसार इस वर्ष भी कई किसानों के खिलाफ पराली जलाने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी और जुर्माना किया गया है। इसके बावजूद पराली जलाने की समस्या कम हो रही है तो इसे अच्छा संकेत माना जाएगा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गत दिनों आरोप लगाया कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए बीजेपी पंजाब को जिम्मेदार बता रही है। इसके साथ ही मान ने कहा कि उसने राज्य के किसानों को बदनाम करने के लिए इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। मान ने कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मीडिया से कहा कि दिल्ली की धुंध के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पराली का धुआं पंजाब से दिल्ली जाएगा, तो हवा उत्तर से दक्षिण की ओर चलनी चाहिए, जो अभी नहीं हो रहा है। पंजाब में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी देखी गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, 15 सितंबर से 21 अक्टूबर 2025 तक राज्य में 415 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले साल इसी अवधि में हुई 1,510 घटनाओं की तुलना में काफी कम हैं। साल 2023 में इस दौरान 1,764 मामले सामने आए थे। इस कमी को सख्त निगरानी और किसानों में जागरूकता फैलाने की मुहिम का नतीजा माना जा रहा है।इस साल पंजाब में अक्टूबर के पहले हफ्ते तक हुई बारिश और कुछ इलाकों में बाढ़ के कारण धान की कटाई में देरी हुई। च्च्ब्ठ के मुताबिक, इस साल पंजाब में 31.72 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई, जिसमें से 21 अक्टूबर तक 32.84 फीसद हिस्से की कटाई हो चुकी है। तरनतारन में 67.95 फीसद और अमृतसर में 70 फीसद धान की फसल काटी जा चुकी है, लेकिन ये दोनों जिले पराली जलाने की घटनाओं में सबसे आगे हैं। इसके अलावा बरनाला में 8.10 फीसद, मोगा में 8 फीसद, और संगरूर में 17 फीसद फसल की कटाई हुई है। आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाने की तरनतारन में 136, अमृतसर में 120, फिरोजपुर में 41, पटियाला में 27, गुरदासपुर में 16, और संगरूर में 14 घटनाएं दर्ज की गईं हैं। बहरहाल जैसे-जैसे फसल कटाई का काम तेज हो रहा है और किसान गेहूं की बुआई के लिए खेत तैयार कर रहे हैं, यह देखना बाकी है कि क्या ये आंकड़े और बढ़ेंगे। पीपीसीबी ने पराली जलाने के 189 मामलों में 9.40 लाख रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना भी लगाया है, जिसमें से 6.25 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं। इसके अलावा, 170 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें से 61 तरनतारन और 50 अमृतसर में हैं।
अधिकारियों का कहना है कि पराली जलाने के नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाने और खेतों की सख्त निगरानी ने इन घटनाओं को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। साल 2024 में पंजाब में 10,909 पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जो 2023 के 36,663 मामलों से 70 फीसद कम हैं। पिछले कुछ सालों के आंकड़े देखें तो 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210, और 2018 में 50,590 मामले दर्ज हुए थे। पंजाब में पराली जलाने
की घटनाओं में कमी एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभी भी चुनौतियां बाकी हैं।
पंजाब में पिछले एक हफ्ते में पराली जलाने के मामलों में दोगुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है। पिछले 7 दिन में ही पंजाब में पराली जलाने के 580 मामले सामने आए हैं। पंजाब में एक दिन में सबसे अधिक 147 पराली जलाने के मामले भी सामने आए थे। ये आंकड़ा मात्र 43 भी रहा।
पंजाब में अब तक पराली जलाने के मामलों में किसानों के खिलाफ 302 एफआईआर दर्ज की गई है जबकि 337 किसानों के जमीन के रिकॉर्ड पर रेड एंट्री डाली गई है जिसकी वजह से अब उन्हें आगे जमीन-खरीदने बेचने और बैंक से लोन लेने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा 386 मामलों में किसानों पर 19 लाख 80 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। पंजाब के बठिंडा में इस साल पराली जलाने की केवल एक घटना सामने आई है। बठिंडा एडीसी ने बताया कि अगले दो वर्षों में यह समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रशासन के प्रयासों और हितधारकों के साथ समन्वय पर जोर डाला। बठिंडा की अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) पूनम सिंह ने बताया कि अधिकारी किसानों के साथ बैठक कर उन्हें पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक कर रहे हैं। एडीसी सिंह ने कहा, अब तक बठिंडा में पराली जलाने की केवल एक घटना हुई है। हमारी पूरी टीम बठिंडा में बहुत सक्रिय है। हमारे कृषि अधिकारी हर जगह यात्रा कर रहे हैं और किसानों को पराली प्रबंधन के लाभों के बारे में शिक्षित कर रहे हैं।
पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में पराली जलाना एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता का विषय रहा है, क्योंकि इससे वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि होती है और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा होते हैं, खासकर सर्दियों के महीनों में जब धुआं कोहरे के साथ मिलकर स्मॉग बनाता है। सरकार ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के स्थायी तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु इस पर सख्त प्रतिबंध लगाया है, जैसे कि अवशेष प्रबंधन के लिए बायो-डीकंपोजर या मशीनी उपकरणों का उपयोग करना। अमृतसर की उपायुक्त साक्षी साहनी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि पंजाब के अमृतसर में पराली जलाने के मामलों में पिछले साल की तुलना में 80 प्रतिशत की कमी आई है। साक्षी साहनी ने बताया था, अमृतसर में 60 प्रतिशत कटाई हो चुकी है, यह एक सब्जी बेल्ट है, इसलिए कटाई जल्दी शुरू हो जाती है। पिछले साल, हमारे पास पराली जलाने की लगभग 378 घटनाएं हुई थीं और इस साल हमारे पास 73 घटनाएं हैं, जो पिछले साल की तुलना में 80 प्रतिशत कम है इससे पहले, पर्यावरण अभियंता सुखदेव सिंह ने बताया कि पंजाब में 15 सितंबर से 27 सितंबर तक पराली जलाने के 45 मामले सामने आए, जिनमें से 22 जगहों पर आग लगने का पता चला। पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया है और नुकसान की भरपाई भी कर ली गई है।
स्मॉग का ये जहर हवा में नहीं सीधा सांसों में घुल रहा है। दिल्ली-एनसीआर के लोग ऐसे माहौल में जीने को बेबस हैं। उनके पास इस जहर की कोई काट नहीं है। दिवाली के बाद तो पॉल्यूशन का लेवल और भी खतरनाक हो गया है और ऐसा हर साल होता है। पिछले 10 साल की तो यही कहानी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कह रहा है कि आने वाले दिनों में हवा और जहरीली होती जाएगी। दिल्ली में प्रदूषण के कई कारण हैं। वाहनों का धुंआ विशेष रूप से हवा मंे जहर घोल रहा है।
(मोहिता-हिफी फीचर)



