विश्व-लोक

चीन ने किया था राफेल के खिलाफ दुष्प्रचार

भारत ने बीते मई महीने में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इसके बाद पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत पर हमले की कोशिश की थी जिसे भारत ने बुरी तरह से नाकाम कर दिया था। इस दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारत के राफेल लड़ाकू विमान को मार गिराया है। हालांकि, उसका ये दावा पूरी तरह से झूठा निकला। अब एक अमेरिकी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि चीन ने जानबूझकर राफेल विमान के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था।
अमेरिकी-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की ओर से कांग्रेस को दिए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर विवाद के दौरान चीन ने फ्रांस द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था। चीन का ऐसा करने का मकसद खुद के एफ-35 विमानको बढ़ावा देना था। इस दौरान चीन ने एआई की मदद से अपने हथियारों द्वारा नष्ट किए गए विमानों के कथित मलबे की तस्वीरों को प्रचारित किया। ऐसे करने के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग किया गया था।
अमेरिकी-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में, चीन समर्थक ऑनलाइन अभिनेताओं ने नशीली दवाओं के उपयोग, आप्रवासन और गर्भपात जैसे मुद्दों पर अमेरिका में विभाजन पैदा करने के लिए एआई जनरेटेड न्यूज एंकर और एआई-जनरेटेड प्रोफाइल फोटो के साथ नकली सोशल मीडिया खातों का उपयोग किया था।
2024 में, ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो ने बताया कि ताइवान के सरकारी सेवा नेटवर्क को प्रतिदिन औसतन 2.4 मिलियन साइबर हमले प्राप्त हुए। हमलों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार चीन की साइबर ताकतें हैं। 2024 में चीन ने पलाऊ की सरकार पर साइबर हमला किया था। चीन ने रणनीतिक रूप से ताइवान के चुनावों के दौरान व्यापार जांच और टैरिफ को निर्धारित किया।

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