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बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के केन्द्र चटगांव में चीन बसा रहा औद्योगिक नगरी

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके बांग्लादेश बसा दिया लेकिन जिस चटगांव से ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम’ का ऐलान हुआ, भारत के जयघोष गूंजे, अब उसी चटगांव में चीन सबसे बड़ा औद्योगिक शहर बसाने जा रहा है।
बांग्लादेश सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले तो जिन 9 बड़े समझौतों पर दस्तखत हुए, उनमें से एक चटगांव में चीन औद्योगिक आर्थिक क्षेत्र बनाने का ऐलान भी शामिल है। यह एक ऐसी जगह होगी, जहां चीन हवाई जहाज बनाएगा। फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, गारमेंट इंडस्ट्री लगाएगा। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन हिंद महासागर क्षेत्र में कई बंदरगाहों पर नियंत्रण बढ़ा रहा है, जैसे पाकिस्तान का ग्वादर, श्रीलंका का हंबनटोटा, और अब बांग्लादेश का मोंगला। इसे “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति कहा जाता है, जिसका मकसद भारत को समुद्री मार्गों से घेरना है। मोंगला बंदरगाह का आधुनिकीकरण और चीन का उस पर प्रभाव भारत के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी में भारत की सुरक्षा और प्रभाव को चुनौती दे सकता है।
जिनपिंग और मोहम्मद यूनुस ने आर्थिक और तकनीकी सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किए लेकिन सबसे बड़ी घोषणा चाइन इंडस्ट्रियल इकोनॉमिक जोन और मोंगला बंदरगाह को आधुनिक बनाने का था। चीन यह इंडस्ट्रियल इकोनॉमिक जोन बांग्लादेश के चटगांव में 750 एकड़ जमीन पर बनाने जा रहा है, जहां चीनी कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश करेंगी।बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित मोंगला बंदरगाह काफी अहम है। चीन बंदरगाह की क्षमता बढ़ाएगा, नए जेटी बनाए जाएंगे, और इसे बड़े कंटेनर जहाजों के लिए उपयुक्त बनाया जाएगा। इससे बांग्लादेश का समुद्री व्यापार बढ़ेगा और चटगांव बंदरगाह पर दबाव कम होगा। चीन की योजना इस बंदरगाह को अपने समुद्री सिल्क रोड का हिस्सा बनाने की है।

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