लेखक की कलम

भारत-माॅरीशस की निकटता

हमारी भारतीय संस्कृति समूचे विश्व को एक परिवार मानती है और पड़ोसी तो उस परिवार का विशेष हिस्सा होता है। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी बाजपेयी कहा करते थे कि हम अपना घर तो बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते। उनका संकेत कुछ ऐसे पड़ोसियों की तरफ था जो हमारे देश की प्रगति से खुश नहीं हैं। उनको भारत की सुख-समृद्धि अच्छी नहीं लगती। इसलिए कभी आतंकवादी भेजते हैं तो कभी अलगाववाद को बढ़ावा देने का कुप्रयास करते हैं। हम यह कहते हुए दुख का अनुभव करते हैं कि हमने पड़ोसियों की जी-जान से मदद की लेकिन समय-समय पर वे विरोध के स्वर उठाते रहे हैं। माॅरीशस एक ऐसा पड़ोसी है जिसकी सरकार और जनता ने कभी भारत के विरोध में एक शब्द नहीं कहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 11 सितम्बर को माॅरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ वाराणसी में तीन किमी तक रोड शो करने के बाद द्विपक्षीय बैठक कर माॅरीशस के लिए विशेष पैकेज की घोषणा कर उचित कदम उठाया है। मोदी ने कहा कि भारत और माॅरीशस भले ही दो देश हैं लेकिन उनकी आत्मा एक ही है। माॅरीशस में और भारत में अब लोकल करेंसी में व्यापार होगा। भारत से माॅरीशस का ऐतिहासिक संबंध है। भारत में 18वीं शताब्दी में अकाल पड़ा था। ब्रिटिश हुकूमत ने द ग्रेट एक्सपेरिमेंट नाम से खास योजना शुरू की। भारतीय मजदूरों को कर्ज और काम करने का लालच देकर विदेश भेजा। इसी के तहत 10 सितंबर 1834 को कोलकाता से एटलस नामक जहाज से 36 मजदूर माॅरीशस भेजे गये। इन्हीं गिरगिटिया मजदूरों ने माॅरीशस को बसाया है।
वाराणसी में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम से द्विपक्षीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारत और मॉरीशस भले ही अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे सपने एक हैं। भारत और मॉरीशस सिर्फ भागीदार नहीं बल्कि एक परिवार हैं। उन्होंने मॉरीशस को भारत की पड़ोसी प्रथम नीति और विजन महासागर का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। मॉरीशस के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी ने काशी को भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि सदियों पहले भारतीय संस्कृति मॉरीशस पहुंची और वहां की जीवन धारा में रच-बस गई। गंगा के अविरल प्रवाह की तरह भारतीय संस्कृति का सतत प्रवाह मॉरीशस को समृद्ध करता रहा है। मैं गर्व से कहता हूं कि भारत और मॉरीशस केवल पार्टनर नहीं, बल्कि एक परिवार हैं। उन्होंने कहा कि मॉरीशस भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और विजन महासागर का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। पीएम मोदी ने मॉरीशस की प्राथमिकताओं को देखते हुए एक विशेष आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह पैकेज इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करेगा। इस पैकेज में भारत के बाहर पहले जन औषधि केंद्र की स्थापना, आयुष सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण, और विभिन्न अस्पतालों व स्कूलों में सहयोग शामिल है। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। पिछले साल मॉरीशस में यूपीआई और रुपै कार्ड की शुरुआत हो चुकी है। अब दोनों देश लोकल करेंसी में व्यापार को सक्षम बनाने की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत अब मॉरीशस के एनर्जी ट्रांजिशन में भी मदद कर रहा है, जिसके तहत 100 इलेक्ट्रिक बसें दी जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही भारत और मॉरीशस दो अलग-अलग राष्ट्र हों, लेकिन उनके सपने और नियति एक हैं। उन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रपिता सर शिवसागर रामगुलाम की 125वीं जयंती का भी जिक्र करते हुए उन्हें भारत-मॉरीशस के बीच संबंधों के अटूट सेतु का संस्थापक बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी जयंती दोनों देशों को अपने संबधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रेरित करती रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मार्च में मॉरीशस गए थे। वहां प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन से सम्मानित किया था। प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय थे। मोदी ने वहां बेल का पौधा भी लगाया था। वर्ष 2020 में भारत की ओर से मॉरीशस की सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग बनाकर उन्हें दी गई थी। स्वास्थ्य और सामुदायिक केंद्र जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट में भारत ने निवेश किया। सिविल सर्विस कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य सामाजिक प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने शिलान्यास किया था। मॉरीशस में चल रहे मेट्रो एक्सप्रेस प्रोजेक्ट पर भी भारत की ओर से काम किया जा रहा है। रक्षा और सुरक्षा मामलों की बात करें तो मॉरीशस के पास कोई स्थायी सेना नहीं है, ऐसे में भारत उसकी सुरक्षा का अहम साझेदार है। भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड वहां के समुद्री क्षेत्र की निगरानी, हाइड्रो ग्राफिक सर्वे और प्रशिक्षण में मदद करते हैं। भारत ने अगेलेगा द्वीप पर एयरस्ट्रिप और जेट्टी भी तैयार करवाई है। अगस्त 2025 में भारत ने मॉरीशस को 10 इलेक्ट्रिक बसें सौंपीं थीं ताकि शहरी परिवहन को बढ़ावा मिल सके। यहां तक कि कोविड-19 वैक्सीन भी ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के तहत उपलब्ध कराई थी।
मॉरीशस एक धार्मिक रूप से विविध राष्ट्र है, जहाँ हिंदू धर्म सबसे व्यापक रूप से माना जाने वाला धर्म है। सांख्यिकी मॉरीशस द्वारा आयोजित 2022 की जनगणना के अनुसार, मॉरीशस की 47.87 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म का पालन करती है। ईसाई , इस्लाम और अन्य धर्मों के अनुयायियों की भी अच्छी-खासी आबादी यहाँ मौजूद है। मॉरीशस को हिंद महासागर का एक सच्चा रत्न क्यों कहा जा सकता है, इसके कई कारण हैं खूबसूरत रेतीले समुद्र तट, फिरोजा पानी, अनगिनत ताड़ के पेड़ और शानदार तापमान – इस द्वीप का शानदार नजारा दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। गिरमिटिया मजदूर मूलरूप से भारत के ही मूल निवासी हैं, जो अंग्रेजों के राज के समय में गुयाना, ट्रिनिडाड टोबैको, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम जैसे तमाम देशों में एक अनुबंध के तहत गए। बाद में वह कभी भारत नहीं लौट सके। मगर जिन देशों में मजदूर बनकर गए वहीं अब अपनी मेहनत के दम पर राज करने लगे। गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के पूर्वज भी भारतीय मूल के गिरमिटिया मजदूर ही थे।गिरमिट शब्द अंग्रेजी के एग्रीमेंट शब्द से रूपांतरित होकर बना है। ऐतिहासिक साक्ष्यों में यह जिक्र मिलता है कि 10 सितंबर, 1834 को कोलकाता से एटलस नामक जहाज पर 36 मजदूरों को मॉरीशस भेजा गया। यहीं से गिरमिटिया मजदूरों के इतिहास की शुरुआत मानी जाती है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम उन्हीं गिरमिटिया परिवार से संबंध रखते हैं, जिनके पूर्वजों को कई वर्षों पहले एग्रीमेंट कराकर अंग्रेज भारत से मॉरिशस ले गए थे। गिरमिटिया कनेक्शन की वजह से भारत और मॉरिशस का रिश्ता काफी ऐतिहासिक रहा है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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