खनन सुधारों में सीएम धामी ने रचा नया इतिहास

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड में खनन सुधारों की दिशा में निरंतर उल्लेखनीय कदम उठाए जा रहे हैं। पारदर्शिता, तकनीक और सख्त निगरानी के आधार पर पिछले चार सालों में प्रदेश ने खनन क्षेत्र में रिकॉर्ड उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसी का परिणाम है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में उत्तराखंड ने लघु खनिज सुधार में उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है, जिसके आधार पर उत्तराखंड को 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
इससे पहले केंद्र सरकार द्वारा तैयार (स्टेट माइनिंग रेडीरनेस इंडेक्स (एसएमआरआई) में भी उत्तराखंड ने शानदार प्रदर्शन करते हुए श्रेणी दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के आधार पर भी उत्तराखंड को केंद्र सरकार से 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इस प्रकार दोनों श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते राज्य को कुल 200 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन सहायता प्राप्त होगी, जो खनन क्षेत्र में धामी सरकार के सुधारों और कड़े निर्णयों की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
उत्तराखण्ड मुख्य सेवक की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और संवेदनशील प्रशासन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। राज्य में खनन लॉटों के आवंटन की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया गया, अवैध खनन पर प्रभावी रोक लगाई गई, और खनन परिवहन के लिए आधुनिक माइनिंग सर्विलांस सिस्टम विकसित किया गया। डिजिटल मॉनिटरिंग के माध्यम से खनन गतिविधियों की ट्रैकिंग और निरीक्षण को सुदृढ़ किया गया। इन सुधारात्मक प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम है कि पिछले चार वर्षों में उत्तराखंड ने खनन राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की है।
केंद्र सरकार की समीक्षा रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि उत्तराखंड खनन क्षेत्र में लगातार सुधार कर रहा है और नीतिगत बदलावों को प्रभावी ढंग से लागू कर रहा है। इसी प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय ने राज्य को लघु खनिज सुधार के लिए अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि जारी की है। जारी आदेश में शामिल राज्यों नागालैंड, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में उत्तराखंड का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ दर्ज किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, इन राज्यों में खनन सुधारों को व्यवस्थित, सुदृढ़ और अधिक प्रभावी बनाया गया है, लेकिन उत्तराखंड ने जिस गति और पारदर्शिता के साथ सुधार लागू किए, वह अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बना है।
इस उपलब्धि के साथ यह साफ हो गया है कि उत्तराखंड का खनन क्षेत्र राज्य सरकार के लिए राजस्व का एक मुख्य स्रोत साबित हो रहा है। बढ़ती पारदर्शिता, बेहतर नीति निर्माण और समयबद्ध सुधारों की वजह से उत्तराखंड अब देश के खनन परिदृश्य में एक मजबूत और विश्वसनीय पहचान बना रहा है।
उत्तर प्रदेश, हिमाचल ,जम्मू कश्मीर आदि राज्य भी उत्तराखंड की खनन नीतियों का अनुसरण कर रहे हैं। इन उपलब्धियों के साथ उत्तराखंड ने खनन क्षेत्र में एक नई पहचान स्थापित की है और यह स्पष्ट कर दिया है कि पारदर्शिता, तकनीकी नवाचार और मजबूत नेतृत्व के साथ राज्य राष्ट्रीय स्तर पर नए कीर्तिमान स्थापित करने की क्षमता रखता है।
उत्तराखंड स्टोन क्रशर नीति 2024, उत्तराखंड उप-खनिज (परिहार) (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2024 का संक्षिप्त नाम है, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी। इस नीति का उद्देश्य उप-खनिज से संबंधित नियमों में संशोधन करना है। इसके अंतर्गत, उप-मंडल अधिकारी (एसडीएम) की अनुपस्थिति में, प्रशिक्षण प्राप्त तहसीलदार या नायब तहसीलदार समिति की अध्यक्षता करेंगे। उत्तराखंड की 2024 की खनन नीति में मुख्य रूप से ई-निविदा प्रणाली, रियल-टाइम ट्रैकिंग, और अवैध खनन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जैसे सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन नीतियों के कारण राज्य को राजस्व में वृद्धि और केंद्र सरकार से वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में पहचान मिली है। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड उपखनिज रियायत (द्वितीय संशोधन) नियम 2024 और स्टोन क्रशर नीति 2024 जैसे विशिष्ट नियम भी लागू किए गए हैं। दई-निविदा प्रणाली- निविदा प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया गया है। इसके साथ ही खनिजों के परिवहन की रियल-टाइम ट्रैकिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे अवैध परिवहन पर लगाम लगाई जा सके। इन सुधारों के परिणामस्वरूप, राज्य का राजस्व 4 साल में 300 करोड़ रुपये से बढ़कर 1200 करोड़ रुपये हो गया है। खनिजों के अवैध परिवहन और भंडारण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। पूरी खनन व्यवस्था को कानूनी, पारदर्शी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर जोर दिया गया है।
उत्तराखंड उपखनिज रियायत (द्वितीय संशोधन) नियम 2024 नियम 09 अक्टूबर, 2024 को लागू किया गया था। इसी के साथ स्टोन क्रशर नीति 2024 भी 08 अक्टूबर, 2024 को लागू की गई थी। उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, अवैध परिवहन एवं अवैध भंडारण निवारण) नियमावली के तहत संशोधन 2024: यह नियम 18 सितंबर, 2024 को लागू किया गया था।
इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट ने सचिव खनन से कहा है कि गांव-गांव में स्टोन क्रशर खोलने के बजाय इनके लिए आबादी से दूर अलग जोन स्थापित किए जाएं। कोर्ट ने सचिव को छह सप्ताह के भीतर स्टोन क्रशर जोन के लिए स्थान चिह्नित कर शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में उसकी जानकारी देने के निर्देश दिए। साथ ही कहा, अग्रिम आदेशों तक कोई भी नया स्टोन क्रशर स्थापित न हो। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने ये आदेश याचिका पर सुनवाई के बाद दिए। देहरादून के फतेह टांडा गांव निवासी महेंद्र सिंह व अन्य ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनकी खेती की भूमि के पास बालाजी स्टोन क्रशर लगे हैं, जिससे उनकी खेती की उपज प्रभावित हो रही है। याचिका में कहा कि उनकी सिंचाई की गूल भी क्रशर द्वारा कब्जा ली गई है। स्टोन क्रशर से भारी प्रदूषण हो रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट से प्रार्थना की गई कि ग्रामीणों की आजीविका और स्वास्थ्य को देखते हुए क्रशर का संचालन बंद किया जाए। कोर्ट ने पूर्व में जारी हाईकोर्ट के आदेशों और केंद्रीय नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड की गाइडलाइन को देखते हुए सचिव खनन को आदेशित किया कि गांव-गांव में स्टोन क्रशर खोलने के बजाय स्टोन क्रशरों के लिए अलग जोन स्थापित किए जाएं, जिन्हें आबादी से दूर रखा जाए।
(मोहिता-हिफी फीचर)



