लेखक की कलम

राधाकृष्णन व सुदर्शन में मुकाबला

उपराष्ट्रपति के चुनाव मंे संयुक्त विपक्ष ने भी अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। गत 19 अगस्त को विपक्षी दलों के मोर्चा इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि विपक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाया गया है। इससे पहले केन्द्र में सत्तारूढ़ एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को प्रत्याशी घोषित किया था। भाजपा समर्थित प्रत्याशी की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी दलों से अपील की और कहा कि राधाकृष्णन को समर्थन दें। विपक्ष की तरफ से उपराष्ट्रपति के चुनाव मंे प्रत्याशी घोषित होने से पहले ही वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए प्रत्याशी का समर्थन किया। राधाकृष्णन ओबीसी नेता हैं और तमिलनाडु से आते हैं। इस प्रकार एनडीए ने विपक्ष को असमंजस में तो डाल ही दिया है। संख्या बल के हिसाब से भी एनडीए का पलड़ा भारी दिखता है। इसके बावजूद उपराष्ट्रपति के लिए सीपी राधाकृष्णन और बी सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा। इससे विपक्षी दलों की एकता की भी परीक्षा होगी। कुल 782 सांसद चुनाव करेंगे। इनमें 542 लोकसभा के और 240 राज्यसभा के हैं। बहुमत के लिए 392 सांसदों का समर्थन चाहिए। मतदान 9 सितम्बर को होगा।
उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। घोषणा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई बैठक में उनके नाम का ऐलान कर दिया गया। इस तरह से अब एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के सामने बी सुदर्शन रेड्डी होंगे। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों उम्मीदवारों के बीच उपराष्ट्रपति के पद के लिए मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। हालांकि नंबर गेम के मुताबिक एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार का पलड़ा भारी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, बी. सुदर्शन रेड्डी भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक हैं। उनका एक लंबा और प्रतिष्ठित कानूनी करियर रहा है, जिसमें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य शामिल है। खरगे ने कहा, रेड्डी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के एक निरंतर और साहसी चैंपियन रहे हैं। वह एक गरीब आदमी हैं और यदि आप कई फैसले पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि उन्होंने कैसे गरीब लोगों का पक्ष लिया और संविधान और मौलिक अधिकारों की भी रक्षा की। जाति जनगणना के बाद तेलंगाना सरकार द्वारा नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञ कार्य समूह का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी ने ही किया था। इस समिति ने राज्य सरकार को अपनी 300 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी। समूह ने कांग्रेस सरकार द्वारा कराए गए सामाजिक-आर्थिक, शिक्षा, रोजगार, राजनीतिक और जातिगत सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली को वैज्ञानिक, प्रामाणिक और विश्वसनीय बताते हुए कहा कि यह देश के लिए एक आदर्श बनेगा।
8 जुलाई, 1946 को जन्मे बी. सुदर्शन रेड्डी ने दिसंबर 1971 में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन कराया और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में रिट और सिविल मामलों में वकालत की। उन्होंने 1988 से 1990 के बीच आंध्र्र प्रदेश हाई कोर्ट में सरकारी वकील के रूप में और 1990 में कुछ समय के लिए केंद्र के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में कार्य किया। बी. सुदर्शन रेड्डी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के रूप में भी काम किया। मई 1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया और बाद में दिसंबर 2005 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
12 जनवरी, 2007 को वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 8 जुलाई, 2011 को अपनी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर कार्यरत रहे। बी. सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला एनडीए गठबंधन के सीपी राधाकृष्णन से होगा, जो महाराष्ट्र के राज्यपाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। एनडीए संसदीय दल की बैठक के बाद, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष समेत सभी सांसदों से उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन का समर्थन करने की अपील की है।
देश के उपराष्ट्रपति पद के एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का नाम सुनकर आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन याद आते हैं। वही डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो पहले देश के उपराष्ट्रपति रहे और फिर राष्ट्रपति रहे, जो कि सर्वोच्च संवैधानिक पद है। संयोग ये भी है कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, तमिलनाडु से ही थे। तमिलनाडु के दंपति जानकी अम्माल और सीके पोन्नुसामी भी राधाकृष्णन से प्रभावित थे। अक्सर ये देखा गया है कि माता-पिता अपने बच्चे का नाम किसी महान व्यक्ति के नाम पर रखते हैं और इस दंपति ने भी वही किया। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से प्रभावित होकर उन्हीं के नाम पर अपने बेटे के नाम में राधाकृष्णन जोड़ा और इस तरह रखा गया नाम- सीपी राधाकृष्णन। तमिलनाडु के तिरुपुर में सीपीआर के घर पर जश्न का माहौल है। उनकी मां जानकी अम्माल ने घर पर केक काटकर जश्न मनाया। ये बेहद व्यक्तिगत क्षण था, जो अब राजनीतिक हो चुका है। जानकी अम्माल ने बड़े प्यार से उनके नाम के पीछे की कहानी सुनाई।
68 वर्षीय सीपीआर की ये पदोन्नति (राज्यपाल पद से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी) ऐसे समय में हो रही है, जब राज्य में राजनीतिक माहौल काफी गरमाया हुआ है। 2026 में तमिलनाडु में चुनाव होने वाले हैं। चुनावी दृष्टि से भी सीपीआर की जड़ें मायने रखती हैं। वो कोयंबटूर से हैं, जो एआईएडीएमके का गढ़ रहा है और यह कुछ पश्चिमी क्षेत्रों में से एक है जहां भाजपा की थोड़ी उपस्थिति है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यह नामांकन वहां भाजपा की बढ़त को मजबूत कर सकता है, साथ ही पूरे राज्य में उसकी छवि को भी बेहतर बना सकता है।
11 सांसदों वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को समर्थन देने का फैसला किया है, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन को बल मिला है। इस खबर की पुष्टि करते हुए वाईएसआर कांग्रेस के सांसद महिला गुरुमूर्ति ने कहा कि उनकी पार्टी ने एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का समर्थन करने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से बात की और सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के लिए क्षेत्रीय पार्टी का समर्थन मांगा था।
वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में 4 और राज्यसभा में 7 सांसद हैं। जबकि वाईएसआर कांग्रेस न तो भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है और न ही विपक्षी इंडिया ब्लॉक का। वाईएसआर कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी- टीडीपी, भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी है। एनडीए को निर्वाचक मंडल में, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल हैं, पर्याप्त बहुमत प्राप्त है, जिससे राधाकृष्णन का चुनाव लगभग तय है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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