रामविलास की विरासत पर घमासान

रामविलास पासवान की विरासत को पशुपति पारस अपने कब्जे में करना चाहते हैं। उधर, चिराग पासवान ने हाजीपुर पर अपना पुश्तैनी हक बताते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरी मां हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ें। पारस वर्तमान में हाजीपुर से सांसद हैं जबकि चिराग पासवान जमुई सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बिहार की राजनीति मंे रामविलास पासवान चुनावी मौसम विज्ञानी के रूप मंे मशहूर थे। उन्हांेने कांग्रेस के अनुकूल मौसम देखा तो यूपीए के खेमे मंे चले गये और भाजपा के अनुकूल मौसम देखा तो राजग से जुड़ गये। उनके ये दोनों फैसले सफल राजनीति के कदम बने। अब उनकी विरासत को उनके बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति कुमार पारस प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आश्चर्य यह कि दोनों के रास्ते अलग हैं लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के साथ हैं। भाजपा ने रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार को ज्यादा महत्व दिया क्योंकि उनके साथ सांसद ज्यादा हैं। भाजपा ने पशुपति को केन्द्रीय मंत्री बनाया जबकि अपने को मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान को न तो केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली और न उनको हाजीपुर सीट ही भाजपा दिलवा पायी। हाजीपुर सीट स्वर्गीय रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है। पहले चर्चा थी कि पारस हाजीपुर लोकसभा सीट चिराग पासवान के लिए छोड़ देंगे लेकिन 29 अक्टूबर को पशुपति कुमार पारस ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह भतीजे चिराग के लिए हाजीपुर सीट नहीं छोड़ेंगे। इतना ही नहीं 28 नवम्बर को लेाक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का स्थापना दिवस भी इस बार पटना की जगह हाजीपुर मंे ही आयोजित करने की बात पारस ने कही है। इस प्रकार रामविलास पासवान की विरासत को पशुपति पारस अपने कब्जे में करना चाहते हैं। उधर, चिराग पासवान ने हाजीपुर पर अपना पुश्तैनी हक बताते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरी मां हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ें। पारस वर्तमान में हाजीपुर से सांसद हैं जबकि चिराग पासवान जमुई सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने यह साफ कर दिया है कि वह अपने भतीजे चिराग पासवान के लिए हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं छोड़ेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान लंबे समय तक इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे थे जिसपर चिराग पासवान दावा कर रहे हैं। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी दो गुट में बंट गई जिसमें से एक गुट के नेता पारस और दूसरे गुट के नेता चिराग हैं। पारस ने अपने दल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की एक बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। पारस ने कहा, हम हर साल 28 नवंबर को लोजपा का स्थापना दिवस मनाते हैं। इस साल भी ऐसा करेंगे, लेकिन समारोह पटना की जगह हाजीपुर में आयोजित किया जाएगा जो स्वर्गीय राम विलास पासवान की कर्मभूमि रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या स्थल में बदलाव उनके दिवंगत भाई के गढ़ में ताकत के परीक्षण के लिए है। इसपर पारस ने जवाब दिया, यह एक बदलाव होगा। यह हर साल एक ही प्रकार के भोजन की एकसरता को दूर करने के लिए एक अलग व्यंजन आजमाने जैसा है। केंद्रीय मंत्री ने वर्ष 2021 में लोजपा में विभाजन की योजना बनाई थी और तब चिराग पार्टी अध्यक्ष थे।
पारस से यह भी पूछा गया कि वह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए कितनी सीट चाहते हैं। उन्होंने कहा, वर्ष 2019 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) के तीन घटक दल थे और उसने 39 सीट जीती थीं। अब केवल दो दल हैं। हम भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र स्थिर सहयोगी हैं। पारस ने कहा, मौजूदा लोकसभा में हमारी पार्टी के कुल पांच सांसद हैं। हम इन सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे और बिहार में राजग को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करेंगे। पारस को जब यह बताया गया कि जमुई सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले चिराग दशकों से अपने दिवंगत पिता के प्रतिनिधित्व वाली सीट से अपनी मां रीना को मैदान में उतारकर हाजीपुर पर दावा करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर पारस ने चिराग पर मजाकिया अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा, उन्हें पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह किस पार्टी के टिकट के तहत सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी पार्टी नहीं, बल्कि दलदल है।
लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व अध्यक्ष चिराग पासवान ने इसी साल अगस्त में खुलासा किया था कि वह चाहते हैं कि उनकी मां हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ें, जहां से उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान कई दशकों तक सांसद रहे। चिराग का उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ टकराव है। पारस वर्तमान में हाजीपुर से सांसद हैं। चिराग पासवान संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे। इससे कुछ घंटे पहले चिराग पासवान ने संकेत दिया था कि वह जमुई से फिर से चुनाव लड़ेंगे। वह मौजूदा लोकसभा में लगातार दूसरी बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से पारस की दावेदारी के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने कहा, ‘‘एक सांसद होने के नाते वह (पारस) अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं पर उनके पिता (रामविलास पासवान) ने एक लंबा समय हाजीपुर की सेवा में बिताया है और हाजीपुर को अपनी मां के समान माना है। ऐसे में एक पुत्र होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है कि उनकी गैरमौजूदगी में मैं वैसे ही हाजीपुर और हाजीपुर के लोगों का ध्यान रखूं जैसा मेरे पिता रखा करते थे। सीट बंटवारा अंतिम रूप से गठबंधन के भीतर ही तय होगा। मैं चाहता हूं मेरी मां (रीना पासवान) वहां से चुनाव लड़ें क्योंकि मेरे पिता के बाद अगर किसी का सबसे पहला अधिकार बनता है तो वह मेरी मां का बनता है।
चिराग पासवान के बयान से पारस के साथ एक नया विवाद शुरू होने की आशंका है। पारस ने दावा किया है कि उन्होंने अपने दिवंगत भाई के आग्रह पर हाजीपुर से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। वर्ष 2021 में लोजपा दो हिस्सों में बंट गई थी। पारस के नेतृत्व वाले समूह को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के रूप में जाना जाता है, वहीं चिराग के नेतृत्व वाले समूह को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) कहा जाता है। हाजीपुर के सांसद पारस ने यह भी दावा किया कि उनके दिवंगत भाई ने इस बात पर जोर दिया था कि वह इस सीट से चुनाव लड़ें क्योंकि वह, न कि चिराग पासवान, राजनीतिक उत्तराधिकारी थे। उधर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान इस बात पर जोर देते रहे हैं कि उनकी पार्टी हाजीपुर से चुनाव लड़ेगी। पारस ने जवाब देते हुए आरोप लगाया कि उनका भतीजा जमुई को छोड़ने की कोशिश कर रहा है, जहां से उन्होंने 2014 के आम चुनावों में पहली बार चुनाव लड़ा था।हालांकि, चिराग पासवान ने पहले दिन में ऐसी अटकलों पर विराम लगा दिया जब उन्होंने जमुई में एक सभा में कहा, ‘‘मैं यहां एक युवा के रूप में आया था और बूढ़ा होने तक यहीं रहूंगा।
साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से बीजेपी अपने गठबंधन एनडीए को मजबूत करने में जुटी है। एनडीए से जुड़ने के बाद एलजेपी (लोक जनशक्ति पार्टी) के नेता चिराग पासवान ने हाजीपुर सीट पर अपना दावा पेश कर दिया है। इससे उनके चाचा और हाजीपुर के सांसद पशुपति पारस भड़के हुए हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)