बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के प्रति साजिश

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से लगातार हिन्दू निशाने पर हैं। वहां अब तक 300 हिन्दू परिवारों और उनके घरों पर हमले हो चुके हैं। चार बड़ी घटनाओं में हिन्दुओं की मॉब लिचिंग हुई है। 10 से ज्यादा हिन्दू मन्दिरों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई है। 49 हिन्दू टीचर्स को अलग-अलग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से इस्तीफा देकर बाहर निकाला जा चुका है। हिन्दुओं का कत्लेआम करने वाले आतंकवादियों को जेल से छोड़ा जा रहा है और अब हिन्दुओं को दुर्गा पूजा के पंडालों में अजान के दौरान पूजा-पाठ करने से भी रोका जा रहा है। अभी हाल ही में एक सरकारी ऐलान किया गया जिसमें अजान के समय कीर्तन भजन घंटे बजाने पर रोक का आदेश दिया गया है। जानकार लोगों के मुताबिक यह आने वाले दिनों में दुर्गा पूजा में व्यवधान पैदा करने की कट्टरपंथी साजिश है।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के दुर्भाग्यजनक पलायन के बाद से राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे बांग्लादेश में जिस प्रकार से धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है, वह सिर्फ इस देश के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी बड़ी चिंता की बात है। इसका कारण है कि बांग्लादेश और भारत 4,096 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं, जो कि दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी सीमा है। दूसरी बात है कि काफी संख्या में इस देश में हिंदू रहते हैं, अगर इस देश में धार्मिक कट्टरता बढ़ती है, तो इनका पलायन बढ़ेगी। इसके साथ ही दोनों देशों के रिश्तों पर भी व्यापक असर पड़ेगा। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि बांग्लादेश प्रगति की राह पर अग्रसर होगा, लेकिन सारी उम्मीदें खत्म होती जा रही है। उल्टे धार्मिक कट्टरता इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभर रहा है। बांग्लादेश में ऐसे-ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो अफगानिस्तान में चले रहे तालिबानी राज की याद ताजा कर रहे हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर तो अत्याचार जारी ही है, मगर इस बीच देश की आधी आबादी भी सुरक्षित नहीं दिख रही है। इस देश की कट्टरपंथियों ने महिलाओं के लिए तालिबानी नियम लागू करने शुरू कर दिए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में गृह मामलों के सलाहकार और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने ऐलान किया है कि अब से बांग्लादेश में अजान और नमाज के दौरान हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए पूजा-पाठ करना और लाउडस्पीकर पर भजन सुनना प्रतिबंधित होगा। अगर कोई हिन्दू इस नियम का उल्लंघन करेगा तो पुलिस उसे बिना वारंट के गिरफ्तार कर लेगी। सरकार का ये भी कहना है कि इस फैसले का पालन उन सभी समितियों को करना होगा, जो अगले महीने 9 अक्टूबर से 13 अक्टूबर के बीच बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के पंडालों को स्थापित करेंगी। इन सभी पंडालों में अजान से पांच मिनट पहले सभी धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ को बंद करना अनिवार्य होगा और अजान के दौरान और नमाज के समय लाउडस्पीकर पर भजन सुनने या धार्मिक मंत्रोच्चर करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध होगा।
आपको बता दें कि बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा छात्र शिविर के सदस्य बांग्लादेश में शरिया पुलिसिंग कर रहे हैं। शिबिर के सदस्यों ने कॉक्स बाजार बीच पर महिलाओं के साथ जो किया है, उसने बिल्कुल तालिबान राज के अफगानिस्तान की यादें ताजा की हैं। बीच पर टीशर्ट में घूम रही महिलाओं के साथ कट्टरपंथियों के समूह ने मारपीट की और उनसे कान पकड़कर उठक-बैठक कराई। बांग्लादेश में हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो सबूत मौजूद होने के बाद भी पुलिस ने तत्काल इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। एक अन्य घटना में यही समूह देर रात समुद्र तट पर कुर्सी पर बैठी एक महिला के पास पहुंचता है। और उसे भगाने लगता है। वे महिला से पूछते हैं कि यह इतनी रात में वहां क्या कर रही है। इस दौरान महिला बार-चार करती है कि मैं केवल पर्यटक हूँ। मेरी क्या गलती है? तीसरे विडियो में टीशर्ट पहने एक युवती सुगंधा बीच पर एक रेस्टोरेंट में पुलिसवालों के सामने अपना मोबाइल फोन वापस पाने के लिए गिड़गिड़ाई दिखाई दे रही है। युवती को फोन मोरल पुलिसिंग कर रहे कट्टरपंथियों ने छीन लिया था। महिला कहती है कि अगर आप मेरा फोन वापस कर देंगे तो में टिकट खरीदकर तुरंत वाका लौट जाऊंगी। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी सरकार के पतन के बाद से इस देश में कट्टरपंथियों का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। हिंदुओं को तो यहां पर जीना मुहाल हो गया है।
बंगलादेश में जो धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के साथ जीवन बता रहे थे, उनको अब काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अल्पसंख्यकों निशाने पर आ गए हैं। हिंदुओं सहित अन्य अल्पसंख्यक सरकारी अधिकारियों से जबरन इस्तीफा लिया जा रहा है। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की छात्र शाखा के अनुसार, अब तक देश भर में गैर मुस्लिम 50 शिक्षकों को मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा है। वहां के हालात किस कदर संवेदनशील हैं, इसकी जानकारी एक और तथ्य से मिलती है। बांग्लादेश के सरकारी दफ्तरों को पिछले दिनों एक हुक्मनामा हासिल हुआ कि आप जल्दी से जल्दी अपने हिंदू कर्मियों की सूची मुहैया करवाएं। इससे इन खबरों को बल मिला कि नवनियुक्त सरकार जान-बूझकर अल्पसंख्यकों को उनके रोटी रोजगार के हक से वंचित करना चाहती है। वहां के अल्पसंख्यक समुदाय का कहना है कि पुलिस की मौजूदगी में भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पिछले दिनों जिस तरह की खुरजी का सामना उन्हें करना पड़ा, उसमें उन्हें खाकी वर्दी वालों की अनुपस्थिति या उदासीनता बेहद खली। खौफजदा ये लोग अक्सर पिछली 6 सितंबर को हुई हिंसक वारदात का उदाहरण देते हैं, जब 15 साल के किशोर को खुलना शहर में सरेआम पीट-पीटकर मार डाला गया था। उस पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पर मोहम्मद साहब के विरुद्ध तथाकथित टिप्पणी की है।
आप यह जान लीजिए कि दुनिया में इन अल्पसंख्यक हिन्दुओं के मानव अधिकारों की बात करने वाला कोई नहीं है। जो लोग भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों को खतरे में बताते हैं और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमलों को प्रोपेगेंडा कहते हैं, उन लोगों को ये समझने की जरूरत है कि दोहरे मापदंड क्या होते हैं?
बता दें कि वर्ष 2017 में जब पश्चिम बंगाल में दुर्गा विसर्जन उसी दिन होना था, जिस दिन मोहर्रम का जुलूस निकलना था, उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने ये फैसला किया था कि पहले मोहर्रम का जुलूस निकलेगा और बाद में अगले दिन दुर्गा विसजर्न किया जाएगा। लेकिन जिस बांग्लादेश में मुसलमान बहुसंख्यक हैं और हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, वहां ये फैसला लिया गया है कि जब मुसलमान अपनी मस्जिदों से अजान के लिए लाउड-स्पीकर का इस्तेमाल करेंगे, तब हिन्दू अपने दुर्गा पंडालों में पूजा पाठ नहीं कर सकते और ये अंतर है, हिन्दू बहुल भारत में
और मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में। वहीं पिछले साल बांग्लादेश में नवरात्रि के दौरान कुल 33 हजार 431 दुर्गा पंडाल स्थापित हुए थे लेकिन इस बार इन पंडालों की संख्या 32 हजार या उससे भी कम रह सकती है और बहुत सारे हिन्दू अब नवरात्रि में दुर्गा पंडाल लगाने से भी वहां डर रहे हैं। इस साल दुर्गा पूजा के दौरान बंग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ तोड़फोड़ और हिंसा की आशंका बनी हुई हैं। (हिफी)