सम-सामयिक

महुआ पर संविधान सम्मत निर्णय

 

संविधान निर्माताओं ने यह कल्पना नहीं की होगी कि महुआ मोइत्रा और धीरज साहू जैसे लोग देश की सर्वोच्च पंचायत में होंगे। दोनों ही इंडिया गठबंधन के नेता हैं। महुआ मोइत्रा की लोकसभा से सदस्यता समाप्त हो गई है। धीरज साहू बेहिसाब नोटों के पहाड़ को लेकर चर्चा में है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर प्रश्न के बदले कैश गिफ्ट लेने के आरोप थे। इस मामले में उन्हें लोकसभा की आचार समिति ने दोषी करार दिया था। लोकसभा ने उनकी सदस्यता को समाप्त करने की सिफारिश की थी। भाजपा सांसद विनोद सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी ने इस रिपोर्ट को आठ दिसंबर को लोकसभा के पटल पर रखा। इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद ध्वनि मत से महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता को समाप्त कर दिया गया।

लोकसभा का निर्णय संविधान और संवैधानिक परंपराओं के अनुरूप था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ सदन में प्रश्न पूछने के बदले नकदी लेने में प्रत्यक्ष संलिप्तता के आरोप थे। इस संदर्भ में सांसद निशिकांत दुबे द्वारा पंद्रह अक्टूबर को दी गई शिकायत पर आचार समिति की पहली रिपोर्ट पर विचार के उपरांत समिति के इन निष्कर्षों को यह सभा स्वीकार करती है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और संसद सदस्य के रूप में अशोभनीय है। इसलिए यह सभा संकल्प करती है कि उन्हें लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया जाए। इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। महुआ मोइत्रा के मामले पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चैधरी ने सरकार पर जल्दबाजी करने का आरोप लगाया। इसपर प्रह्लाद जोशी ने साल 2005 के कैश फॉर क्वेरी मामले का जिक्र किया। महुआ मोइत्रा के मामले को समझने के लिए इस मामले को जानना जरूर है। यूपीए सरकार के समय दस लोकसभा के और एक राज्यसभा के सांसद को बिना उनका पक्ष सुने ही लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। महुआ मोइत्रा प्रकरण पर इस परम्परा का ही पालन किया गया। लेकिन आज कांग्रेस के नेता ही महुआ के प्रति हमदर्दी दिखा रहे हैं। नरेंद्र मोदी का यह कथन सही साबित हो रहा है कि भ्रष्टाचार पर एक दूसरे को बचाने के लिए ही इंडिया गठबंधन बना है।

लोकसभा का निर्णय एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में की गई सिफारिश पर ही आधारित था। ममता बनर्जी ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। मतलब वह महुआ मोइत्रा के क्रियाकलाप को उचित समझती है। मोइत्रा की तरह कैश गिफ्ट लेकर प्रश्न पूछने से लोकतंत्र मजबूत होता है। इंडिया के अन्य घटकों ने भी मोइत्रा मामले पर एकजुटता दिखाई है। इनका कहना है कि महुआ को अपने बचाव में बोलने का भी अवसर नहीं दिया गया। एक महिला को भाजपा ने अपने राजनीतिक हित साधने के लिए जिस तरह परेशान किया वह लोकतंत्र की हत्या है। पार्टी महुआ मोइत्रा के साथ थी और है। जबकि महुआ मोइत्रा ने जिस प्रकार के और जितने प्रश्न अडानी के सम्बन्ध में पूछे वह संदेह पैदा करने वाले थे। इसके बाद उन पर जो आरोप लगे वह संदेह को ही पुख्ता करने वाले साबित हुए। महुआ मोइत्रा के पूर्व पार्टनर और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्रइ ने उन पर संसद में घूस लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। इस संबंध में जांच के लिए उन्होंने सीबीआई के महानिदेशक को पत्र भेजा था, जिसके साथ उन्होंने कई साक्ष्य शामिल किए थे। देहाद्रइ की शिकायत के आधार पर झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया कि हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी से कैश और महंगे तोहफे लेकर संसद में सवाल पूछती हैं।

उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से महुआ मोइत्रा को निलंबित करने की मांग की। इस मामले को लेकर संसद की एथिक्स कमेटी ने जांच की और महुआ से पूछताछ हुई थी। मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का गंभीर आरोप था। रियल एस्टेट से लेकर ऊर्जा तक विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाले हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने कहा अडाणी समूह के बारे में संसद में सवाल पूछने के लिए मोइत्रा को पैसे दिए थे। हीरानंदानी ने हाल मे दावा किया था कि मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम और शर्मिंदा करने के लिए अडाणी पर निशाना साधा था। हीरानंदानी ने एक हलफनामे में यह दावा किया था। कहा गया कि महुआ मोइत्रा ने अनैतिक,आपत्तिजनक और गंभीर अपराध किया। रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि इस मामले में भारत सरकार एक कानूनी और संस्थागत जांच कराए, जो एक तय समय सीमा में खत्म होनी चाहिए। महुआ मोइत्रा पर आरोप थे कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के बदले कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट लिये थे। जिसमें कार और दो करोड़ रुपये की नकदी भी शामिल थी। पंद्रह सदस्यों की एथिक्स कमिटी ने इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया था। महुआ को इसमें अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया गया था। इसलिए यह आरोप निराधार है कि महुआ को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया। संसद की समितियों का भी बहुत महत्व होता है।

भाजपा सांसद के अनुसार, बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी की कंपनी का पांच सेक्टर में इंटरेस्ट है, जिनमें टेलीकॉम, शिपिंग, पेट्रोलियम, रियल एस्टेट और पाइप लाइन। टीएमसी सांसद ने अपने संसद कार्यकाल के दौरान कुल इकसठ सवाल पूछे, जिनमें से पचास सवाल इन्हीं पांच सेक्टर्स पर पूछे थे। सैतालिस बार दुबई से इनका अकाउंट लॉग इन हुआ है। छह बार यूके, यूएस और नेपाल से सवाल अपलोड किए गए हैं। यह बात खुद टीएमसी सांसद ने आचार समिति के सामने स्वीकार की है। आचार समिति के सामने टीएमसी सांसद को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया गया है। साथ ही दर्शन हीरानंदानी ने खुद हलफनामा देकर आचार समिति को इसकी पूरी जानकारी दी है। सांसदों को नियमों के तहत संसद के लॉग इन और पासवर्ड मिलते हैं। सांसद बनने पर हम जिन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं, उनमें साफ लिखा होता है कि हम किसी के साथ इन लॉग इन पासवर्ड को साझा नहीं कर सकते। जबकि महुआ मोइत्रा ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने लॉग इन पासवर्ड साझा किए। महुआ मोइत्रा ने संसद की मर्यादा और संसदीय आचरण के प्रतिकूल कार्य किया है। सांसद की सदस्यता के निलंबन को लेकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत नियम हैं। इसके तहत धारा (1) और (2) में प्रावधान है। जिसके अनुसार कोई सांसद या विधायक दुष्कर्म, हत्या, भाषा या फिर धर्म के आधार पर सामाज में शत्रुता पैदा करता है या फिर संविधान को अपमानित करने के उद्देश्य से कोई कार्य करता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102(1) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत महुआ मोइत्रा पर लोकसभा ने निर्णय लिया। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)

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