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पिथौरागढ़-लोहाघाट-चंपावत विद्युत ट्रांसमिशन लाइन के लोकार्पण को लेकर छिड़ा विवाद, विपक्ष ने उत्तराखंड सरकार पर लगाया आरोप

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड में 132 किलो वाट की पिथौरागढ़, कृलोहाघाट, चंपावत विद्युत ट्रांसमिशन लाइन के लोकार्पण को लेकर विवाद छिड़ गया है और कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने इस मुद्दे की जांच कराए जाने की मांग की है। गत 12 अक्टूबर को अपने कुमांउ दौरे में प्रधानमंत्री ने लगभग 4200 करोड़ रूपये की लागत वाली 23 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया था जिसमें 42 किलोमीटर लंबी इस ट्रांसमिशन लाइन का लोकार्पण भी शामिल था।
मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बिजली सबस्टेशन न बनने से अभी भी 132 किलो वाट लाइन में केवल 33 किलो वाट बिजली ही चल रही है और राज्य सरकार ने आधी-अधूरी परियोजना का प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन करा दिया । पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा, ‘‘हम सरकार से मांग करते हैं कि इसकी जांच कराई जाए और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाए ।’’ उन्होंने दावा किया कि उक्त सब स्टेशन का निर्माण तो दूर की बात है, अभी तो इसके लिए निविदा प्रक्रिया ही चल रही है । धस्माना ने कहा, ‘‘हमें इस बात को समझना होगा कि जब तक कि यह सब स्टेशन नहीं बन जाता, तब तक इस लाइन में भारी भरकम 132 किलो वाट बिजली नहीं गुजारी जा सकती ।’’ आम आदमी पार्टी के प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि इस विवाद ने राज्य की छवि को धूमिल किया है और प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। बिष्ट ने कहा, जब एक परियोजना को लंबे समय तक अधूरा रखा जाता है तो उसकी लागत बढ़ती जाती है जिससे भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है । राज्य सरकार के उपक्रम ‘पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन आफ उत्तराखंड लिमिटेड’ (पिटकुल) के अधिकारियों ने इस संबंध में संपर्क करने पर कहा कि प्रधानमंत्री से केवल ट्रांसमिशन लाइन का लोकार्पण कराया गया था जिसका काम पूरा हो चुका है । उन्होंने कहा कि सब स्टेशन का निर्माण करने की प्रक्रिया भी चल रही है और इसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा ।

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