ईसाई मिशनरियों का धर्मांतरण रैकेट

यूपी और राजस्थान के दो अलग-अलग शहरों में इसी सप्ताह ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण के षडयंत्र का भंडाफोड़ किया गया है। ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्रकारी घनी आबादी के बीच बिना शोर शराबा किए लोगों को हिन्दू धर्म के प्रति जहर भर कर उनका ब्रेनवाश करते हैं और ईसाई बना देते हैं।
यूपी के कई जिलों में अवैध धर्मांतरण का खेल पकड़ा गया। बलरामपुर से आगरा और मिर्जापुर से लेकर प्रतापगढ़ तक पुलिस ने धर्मांतरण मामले में दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है। धर्मांतरण कराने में ईसाई मिशनरियां खासी सक्रिय हैं। ताजा मामला आगरा में शाहगंज की केदार नगर कॉलोनी का है जहां धर्मांतरण का अड्डा चल रहा था। प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा के नाम पर भीड़ जुटाई जाती थी। पुलिस ने अड्डा संचालक सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
यहां लोगों को बताया जाता था कि टीका लगाने और कलावा बांधने से कष्ट दूर नहीं होते हैं। प्रभु ईसा मसीह चमत्कार करते हैं। कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी प्रार्थना करने से बीमारी पास नहीं आती है। जो गंभीर रूप से बीमार हैं प्रार्थना सुनने से वे ठीक हो जाते हैं। इस वजह से प्रार्थना सभा में मरीज अपना इलाज कराने भी आते थे। तंत्र-मंत्र का झांसा देकर झाड़-फूंक भी की जाती थी। प्रार्थना सभा में लोगों को बताया जाता था कि मसीह समाज बहुत बड़ा है। गरीबों के लिए बहुत काम करता है। बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलती है। मिशनरी स्कूलों में शिक्षित होने पर आराम से नौकरी मिलती है। मिशनरी अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलता है। आगरा में पहले भी सदर की सगी बहनों का धर्मांतरण कराया गया। उन्हें पुलिस ने कोलकाता से बरामद किया था। इस मामले में 14 आरोपित जेल भेजे गए। सगी बहनें इस्लाम के पक्ष में कार्य करने वाले गिरोह के चंगुल में थीं। उसी तरह से ईसाई बनाने के लिए भी गैंग सक्रिय हैं। आगरा में पूर्व में कई बार धर्मांतरण के आरोप में ईसाई समाज के लोग पकड़े जा चुके हैं। हर बार पुलिस शांतिभंग में चालान करके मामले को रफादफा कर देती थी। प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ कानून बन चुका है। इस वजह से धर्म संपरिर्वतन प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा लिखा गया है।
इसी तरह राजस्थान में धर्म परिवर्तन का खेल कितने बड़े पैमाने पर चल रहा है। इसका पर्दा अलवर की पुलिस कार्रवाई ने उठा दिया है। मासूम बच्चों को पढ़ाई और परवरिश के नाम पर हॉस्टल में कैद कर उनका ब्रेनवॉश किया जा रहा था। उनके नाम बदले जा रहे थे और मजबूर कर धर्मांतरण कराया जा रहा था। ये सिर्फ एक हॉस्टल या एक शहर का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसे नेटवर्क की कहानी है जिसके तार राजस्थान से बाहर चेन्नई और बेंगलुरु तक जुड़े हैं। लाखों की फंडिंग, ट्रेनिंग और संगठित ढंग से चल रहा यह पूरा रैकेट दिखाता है कि धर्मांतरण महज एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि संगठित साजिश है। सवाल है कि इतने सालों से मासूमों को गुमराह करने वाला यह कारोबार किसकी शह पर चल रहा था और इसकी जड़ें कितनी गहरी हैं? धर्म परिवर्तन के इस रैकेट का खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जब राजस्थान सरकार विधानसभा में धर्मांतरण रोकने के लिए विधेयक पेश कर चुकी है।
अलवर के एमआईए थाना क्षेत्र की सैय्यद कॉलोनी का ईसाई मिशनरी हॉस्टल बाहर से साधारण सा दिखता है। लेकिन अंदर सालों से बच्चों के दिमाग से खेला जा रहा था। यहां पर 15 साल से छोटे मासूमों को यहां रखा जाता और उनका ब्रेनवॉश कर धर्म बदलवाया जाता। करीब 60 बच्चों को यहां कैद जैसा माहौल दिया गया। दीवारें 10 फीट ऊंची, ऊपर तारबंदी थी, ताकि न कोई बच्चा भाग सके और न ही बाहर से कोई अंदर की हकीकत देख पाए। दिखावे के लिए बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूलों में करवाया जाता था। लेकिन लौटकर हॉस्टल आते ही शुरू होता था, धर्मांतरण का खेल। बच्चों के हिंदू नाम बदलकर ईसाई रख दिए गए। कोई जोसेफ बन गया, कोई योहना और कोई
जॉय। पुलिस की दबिश के दौरान बच्चे दीवार कूदकर भागने लगे, लेकिन पुलिस ने 52 बच्चों को यहां से सुरक्षित निकाला।
पुलिस की जांच में सामने आया कि मास्टरमाइंड बच्चों को धार्मिक किताबें पढ़वाते, रोजाना प्रेयर कराते और रविवार को उनके माता-पिता को बुलाकर विशेष सभाएं आयोजित करते। पुलिस ने दो आरोपियों सोहन सिंह और बोध अमृत सिंह को गिरफ्तार किया है। एसपी सुधीर चैधरी के मुताबिक, अमृत सिंह पहले भी सीकर में धर्मांतरण केस में पकड़ा गया था। वहां से जमानत पर छूटने के बाद वह अलवर पहुंचा। इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड चेन्नई का धर्म गुरु सेल्वा है। अगस्त में इसी ने सीकर में धर्मांतरण कराया था। अब उसकी तलाश तेज हो गई है।
पता चला है कि अमृत सिंह पहले गरासिया था, बाद में खुद धर्म परिवर्तन किया। इसके बाद दूसरे लोगों को जोड़ने लगा। गुजरात, बीकानेर, श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ और सीकर तक नेटवर्क फैला है। इस रैकेट के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग चेन्नई से आती थी। वहीं से ट्रेनिंग भी मिलती थी कि बच्चों का ब्रेनवॉश कैसे करना है। पुलिस छापे में धार्मिक ग्रंथ, डिजिटल और प्रिंटेड मटेरियल बरामद किया गया है। पकड़ा गया बोध अमृत 2006 में ईसाई धर्म अपना चुका था और उसे चेन्नई में खास ट्रेनिंग मिली थी। ट्रेनिंग में उसे सिखाया गया कि कैसे मासूम बच्चों का दिमाग बदला जाए। गुजरात का रहने वाला अमृत करीब 19 साल से धर्मांतरण से जुड़ा हुआ है और श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, बीकानेर और सीकर में भी सक्रिय रहा। हाल ही में सीकर केस में पकड़ा गया और जमानत पर छूटने के बाद अलवर हॉस्टल का वार्डन बना दिया गया। सीकर में धर्मांतरण के इसी नेटवर्क का खुलासा कुछ महीने पहले भी हुआ था। उसी केस में आरोपी अमृत सिंह का नाम सामने आया था। जमानत पर छूटने के बाद उसने अलवर में बच्चों को निशाना बनाया। यानी आरोपी जगह बदलकर, तौर-तरीके बदलकर भी पुलिस को चकमा देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब पूरा रैकेट धीरे-धीरे बेनकाब हो रहा है।
पुलिस को आरोपियों से बैंक ट्रांजैक्शन की डिटेल्स मिली हैं। कहा जा रहा है कि बड़ी मात्रा में पैसा गरीब परिवारों को लालच देने और बच्चों को फंसाने में खर्च होता था। विहिप का आरोप है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही ब्रेनवॉश कर हिंदू देवी-देवताओं के प्रति गलत सोच भरी जा रही थी। । पुलिस अब चेन्नई की संस्था एफएमबीपी की भूमिका खंगाल रही है, जिसके तार कई राज्यों में फैले हैं। सवाल यह भी है कि इतने सालों से बच्चों को पढ़ाई और पैसों का लालच देकर धर्म बदलवाने का ये खेल किसकी शह पर चल रहा था? ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। (मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)