लेखक की कलम

विधायिका व कार्यपालिका में तालमेल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हमारे संविधान मंे लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुसम्बद्ध और कुशलता से संचालन के लिए तीन स्तम्भ खड़े किये गये हैं। ये हैं न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका। इन तीनों मंे बेहतर तालमेल होना चाहिए। सभी के अलग-अलग अधिकार और दायित्व हैं लेकिन विधायिका को ज्यादा महत्व इसलिए दिया जाता है कि उसके प्रतिनिधि लोक अर्थात् जनता से चुनकर आते हैं। कार्यपालिका उन योजनाओं को क्रियान्वित करती है जो जनप्रतिनिधियों की सरकार बनाती है। यहां कोई अहम की भावना नहीं रहनी चाहिए। जनता का कल्याण सर्वोपरि होता है और कार्यपालिका कभी-कभी यह भूल जाती है। उत्तर प्रदेश मंे पिछले दिनों ऊर्जा विभाग के मंत्री और अफसरों के बीच जनकल्याण को लेकर ही विवाद पैदा हो गया। ऊर्जा मंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान ही बिजली गुल हो गयी। बिजली मंत्री एके शर्मा की शिकायत है कि उनके विभाग के अफसर उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। प्रदेश की एक राज्य मंत्री पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठ गयीं। इससे सरकार की छवि भी खराब हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद पहल कर जनप्रतिनिधियों की शिकायत सुनी और नेता-अफसर विवाद को खत्म करने के लिए गंभीर कदम भी उठाए। विपक्षी दलों के नेता इस पर राजनीति भी करने लगे थे। यहां तक कहा जाने लगा कि ऊर्जा मंत्री जेई तक का ट्रांसफर नहीं कर सकते तो निजीकरण का अकेले फैसला कैसे ले सकते हैं। ध्यान रहे कि बिजली विभाग में निजीकरण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली विभाग का निजीकरण हो रहा है। यह फैसला सरकार का है।
यूपी के नेताओं और अफसरों में तनातनी बढ़ी तो योगी चिंतित हुए। चरम सांसदों और विधायकों का आरोप है कि अफसर उनकी नहीं सुनते है। अफसर कहते हैं कि उन पर नाजायज दवाब बनाया जाता है। आए दिन जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के झगड़े की खबरें आती रहती हैं। अभी हाल में ही यूपी की एक मंत्री पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठ गई थीं। राज्य के बिजली मंत्री ए के शर्मा भी अपने अफसरों से परेशान हैं। उनका दावा है कि कुछ नेता और अफसर मिल कर उन्हें फेल करना चाहते हैं। कहानी हर जिले और हर विभाग की है। अधिकारियों और नेताओं में जारी शीत युद्ध के बीच अब माहौल ठीक करने की पहल खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने की है। अफसरों और नेताओं के झगड़े से सरकार की छवि खराब होती है। अखिलेश यादव को बार बार मौका मिल जाता है। संसद की बैठक से पहले दिल्ली से ही उन्होंने लखनऊ पर हमला बोला था। ऐसे में अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। शुरूआत उन्होंने अपने ही इलाके यानी गोरखपुर से की है। गोरखपुर दौरे में योगी ने उस मंडल के जन प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई। इलाके के सांसद, विेधायक, जिला पंचायत अध्यक्षों और मेयर के साथ उन्होंने लंबी चर्चा की। सड़क निर्माण से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर खुल कर बात हुई। किसी विधायक को क्या दिक्कत हो रही है। किस सांसद को किस अधिकारी से शिकायत है। सारी बातें नोट की गईं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ लौटे तो बैठकों का दूसरा दौर शुरू हुआ। बीते दिनों उन्होंने कानपुर, चित्रकूट, अयोध्या, झाँसी, देवीपाटन मंडलों की बैठक की। उन जगहों से जुड़े सभी जन प्रतिनिधियों को बुलाया। पहले सामूहिक रूप से उनकी समस्याओं पर बातचीत की। उनके जो काम रूके हैं, उनसे जुड़ी फाइलों पर अफसरों को काम करने के आदेश दिए। सीएम योगी वाराणसी पहुंचे जहां पहले वाराणसी और फिर आजमगढ़ मंडल की मीटिंग की। इसी बहाने उनकी कोशिश बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं से संवाद की है। यूपी में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा। इस हार की कई वजहें बताई गईं। एक वजह ये बताई गई कि यूपी में अफसरशाही बेलगाम हो गई है। कुछ दिनों पहले यूपी सरकार के एक मंत्री और चीफ सेक्रेटरी में जबरदस्त कहा सुनी हो गई। खबर दिल्ली तक पहुंच गई हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन पर फुल स्टॉप लगाने में जुटे हैं।
उत्तर प्रदेश में ऊर्जा विभाग इन दिनों लगातार चर्चा में है। विभाग के मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और अधिकारियों के बीच खींचतान जारी है। इसी बीच एके शर्मा ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक लंबा पोस्ट कर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने विपक्षी दलों पर यूपी की बिजली व्यवस्था को लेकर फर्जी वीडियो और भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाते हुए सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा दिया है।
ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा एक ओर लगातार जनसभाओं और कार्यक्रमों में बिजली विभाग के अधिकारियों को चेतावनी देते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विभाग के भीतर विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। इस बीच एके शर्मा ऑफिस नामक एक्स हैंडल से किया गया एक लंबा चैड़ा पोस्ट चर्चा का विषय बन गया है। इस पोस्ट को खुद मंत्री एके शर्मा ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से भी रीपोस्ट किया है, जिससे इसकी प्रामाणिकता और तीव्रता और भी बढ़ गई है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। पोस्ट में सीधे तौर पर कुछ बिजलीकर्मी नेताओं और अराजक तत्वों पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि ये वही लोग हैं, जिनकी वजह से बिजली विभाग की छवि लगातार खराब हो रही है। पोस्ट में लिखा गया कि ऊर्जा मंत्री की सुपारी लेने वालों में बिजली कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी शामिल हैं। ये मंत्री से नाराज हैं, क्योंकि उनके पूर्ववर्ती मंत्रियों की तरह एके शर्मा समझौता नहीं करते।
मंत्री एके शर्मा ने लिखा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी आजकल यूपी में बिजली को लेकर बड़ी चिंता करने का दिखावा कर रहे हैं। अगर आपने अपने लंबे शासनकाल में इसकी एक चैथाई भी चिंता की होती तो भाजपा को विरासत में ऐसी खस्ताहाल व्यवस्था नहीं मिली होती। उन्होंने कहा कि विपक्ष जनता के बीच फर्जी वीडियो फैलाकर यह संदेश देना चाहता है कि यूपी में बिजली की भारी समस्या है।ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने साफ किया कि बलिया के अस्पताल का वीडियो भी फर्जी निकला। उन्होंने बताया कि मथुरा और सुल्तानपुर के वीडियो की तरह ही विपक्ष की यह कोशिश भी जनता को गुमराह करने की रही। ऊर्जा मंत्री ने सुल्तानपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि सिर्फ जय श्रीराम नहीं बोला गया, बल्कि शीघ्र कार्रवाई भी की गई है। अधिकारियों की टीम भेजी गई और समस्या का समाधान किया गया है। यहां तक कि समस्या की जड़ रहे तकनीकी कर्मी उमांकर यादव को तुरंत सस्पेंड भी कर दिया गया है। अपने पोस्ट में एके शर्मा ने योगी सरकार की बिजली व्यवस्था में हुए सुधारों का पूरा ब्योरा साझा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार उपभोक्ता को देवता मानती है और इसी भावना से उनकी छोटी-सी भी परेशानी बर्दाश्त नहीं करती। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने दावा किया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में न सिर्फ उत्पादन और आपूर्ति बढ़ी है बल्कि बिजली की अवसंरचना को भी ऐतिहासिक रूप से मजबूत किया गया है। साथ ही एके शर्मा ने कहा कि पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में यूपी नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं अपने से है। आज जो है, उससे बेहतर कल जनता को देना हमारा संकल्प है। (हिफी)

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