लेखक की कलम

सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी

सोशल मीडिया बहुत अच्छा है लेकिन बहुत खतरनाक भी। इस पर जिस तरह की सामग्री परोसी जा रही है, उससे टीन एजर के बहकने की संभावना ज्यादा हो गयी है। वे मोबाइल को इसीलिए नहीं छोड़ना चाहते हैं। यह समस्या पूरी दुनिया मंे है। हमारे भारत मंे भी इसके दुष्परिणाम देखने को मिलने लगे हैं। कई बच्चे तो अवसाद के शिकार हो गये। पड़ोसी देश नेपाल मंे सोशल मीडिया के 26 प्रमुख प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार का तर्क भी समझना पड़ेगा। सरकार कहती है कि सोशल मीडिया कंपनियां अपनी लोकप्रियता का दुरुपयोग कर रही हैं। इन कम्पनियों पर नकेल जरूरी है। इसीलिए नये नियमों के तहत पंजीकरण की समय सीमा निकल गयी तो सरकार ने प्रतिबंध लगा दिये। नेपाल सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया उपयोग करने वाले अपना फर्जी आईडी बनाते हैं और उसका इस्तेमाल नफरत फैलाने, फर्जी खबरें प्रसारित करने के लिए करते हैं। सरकार ने सेवाएं बहाल कर दीं फिर भी हिंसा जारी रही। इसके बाद पीएम ओली ने इस्तीफा दिया। नेपाल में तख्ता पलट हो गया। मामला राजनीतिक भी लग रहा हैं प्रदर्शनकारियों मंे 13 से 28 वर्ष के युवा शामिल हैं और उनका आरोप है कि भ्रष्टाचार व्याप्त है। सरकार समस्याओं का समाधान करने मंे विफल रही हैं। नेपाल मंे कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (एकीकृत माक्र्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी। सीपीएन- यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री थे। नेपाल की 275 सीटों वाली संसद मंे सबसे बड़ी पार्टी देउबा की नेपाली कांग्रेस है जिसके पास 89 सांसद हैं जबकि पीएम ओली की पार्टी सीपीएन- यूएमएल के पास 78 सांसद ही हैं। सरकार ने प्रदर्शनकारियों के सामने एक तरह से हथियार डाल दिये थे। गत 8 सितम्बर की देर रात ही सरकार ने सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध वापस ले लिये लेकिन प्रदर्शन हिंसक हो गये।
नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर 8 सितम्बर को सुरक्षा बलों और युवाओं के समूहों के बीच झड़पें हुई थीं जिनमें 21 लोगों की मौत हो गई है और 350 से अधिक लोग घायल हुए हैं। नेपाल में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति के निजी आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है। काठमांडू में सरकार के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच गृहमंत्री के इस्तीफे के बाद सरकार के एक और मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। नेपाल के कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी अपना पद छोड़ दिया है। नेपाल में चल रहे बवाल के बीच मंत्रियों के इस्तीफा देने का सिलसिला जारी था। नेपाल के गृहमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कृषि मंत्री अपना इस्तीफा सौंप चुके थे। इसी बीच प्रदर्शनकारियों ने देश के संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरंग के घर पर हमला बोल दिया है। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुष्प कमल दहल (प्रचंड) जो वर्तमान में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत हैं, उनके घर पर भी हमला किया गया है। प्रदर्शन को तेज होता देख नेपाल की सरकार ने युवाओं की मांग को मान लिया है। सरकार ने सोशल मीडिया साइट्स पर से बैन लगाने के फैसले को वापस ले लिया है। इसके साथ ही सरकार की ओर से युवाओं से प्रदर्शन को वापस लेने की अपील की गई। नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने जानकारी दी कि सरकार ने कैबिनेट की एक आपात बैठक बुलाई थी। इसके बाद सोशल मीडिया साइटों पर बैन लगाने के पहले के फैसले को वापस ले लिया है।
नेपाल के सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने जानकारी दी कि सूचना मंत्रालय ने संबंधित एजेंसियों को प्रदर्शनकारियों की मांगों के अनुसार सोशल मीडिया साइटों को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया को शुरू करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि अपने विरोध कार्यक्रम को वापस ले लें। जानकारी के मुताबिक, नेपाल में फेसबुक, एक्स और व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया साइटें फिर से चालू हो गई हैं। दरअसल, नेपाल सरकार ने हाल ही में रजिस्ट्रेशन न कराने के कारण फेसबुक और एक्स समेत 26 सोशल मीडिया साइटों को बैन करने का आदेश जारी किया था।
इस घटनाक्रम के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपना पहला बयान जारी किया। नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक और एक्स समेत 26 सोशल मीडिया साइटों प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था। नेपाल में सोशल मीडिया बैन करने और भ्रष्टाचार के खिलाफ हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारी इस दौरान संसद परिसर में घुस गए। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और रबर बुलेट्स तक का इस्तेमाल किया लेकिन हालात कंट्रोल से बाहर होते चले गए जिसके बाद पुलिस ने फायिरंग कर दी।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर एक बयान जारी करते हुए कहा- आज जेन-जेड पीढ़ी द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई दुखद घटना से मैं बहुत दुखी हूं। हालांकि, हमें विश्वास था कि हमारे बच्चे शांतिपूर्वक अपनी मांगें रखेंगे, लेकिन विभिन्न निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ के कारण उत्पन्न स्थिति के कारण नागरिकों की दुखद जान चली गई। सरकार सोशल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने के पक्ष में नहीं थी और इसके इस्तेमाल के लिए माहौल सुनिश्चित करेगी। इसके लिए लगातार प्रदर्शन करने की कोई जरूरत नहीं थी और, इस स्थिति को जारी नहीं रहने दिया जाएगा। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आज की पूरी घटना और नुकसान, उसकी स्थिति और कारणों की जांच और विश्लेषण के लिए एक जांच समिति का गठन किया जाएगा और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करने हेतु 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए तो ओली ने गद्दी छोड़ दी। उनके देश छोड़ने की भी चर्चा हो रही थी। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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