लेखक की कलम

देश की छवि पर आघात

मनोज कुमार अग्रवाल
देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले करीब तीन माह से जातीय हिंसा की आग जल रही थी लेकिन सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो से अचानक एक ही दिन में मणिपुर के मामले को लेकर देश विदेश तक सनसनी फैल गई। इस वायरल वीडियो ने पूरे विश्व का ध्यान मणिपुर पर ला दिया। इंग्लैंड की संसद में इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
वास्तव में इस वीडियो में प्रदर्शित वारदात ने पूरी मानवता को ही शर्मसार कर दिया, जब उसमें बहुत सारे लोगों की भीड़ दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके सड़कों पर घुमाते दिखी। यही नहीं भीड़ में कुछ ऐसे भी जालिम लोग थे जो उक्त महिलाओं से खुलेआम छेडखानी करते हुए अश्लील हरकतें भी कर रहे थे। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया वैसे ही सबका सिर जहां शर्म से झुक गया, वहीं क्रोध से आंखें भी लाल हो गई। मामले की नजाकत को इसी से समझा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट तक ने केंद्र और राज्य सरकार को सख्त लहजे में चेताया कि इस पर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो हम खुद ही कर देंगे। इधर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी आई उधर मणिपुर पर चुप्पी साधने का आरोप झेल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले पर चुप्पी तोड़ी और मुखर स्वर में इस वारदात को बेहद शर्मनाक बताया। मणिपुर पुलिस ने हालांकि इस मामले की प्राथमिकी दर्ज तो बहुत पहले ही कर ली थी, लेकिन गिरफ्तारी मामला खुलने के बाद की गयी है। यह घटना हिंसा शुरू होने के दूसरे दिन यानी चार मई की बताई जा रही है। पीड़ित महिलाओं ने बताया कि हजारों लोगों की हथियारबंद भीड़ उनके गांव में घुस आई, आगजनी और जमकर हिंसा भी की। आरोप है कि पुलिस पीडित दोनों महिलाओं को अपनी गाड़ी में थाने ले जा रही थी, तभी भीड़ ने उन्हें घेर लिया और पुलिस उन्हें भीड़ के बीच गाड़ी से उतार कर चली गई। अफसोस तो तब हुआ जब इस घटना पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि ऐसी कई घटनाएं यहां हो चुकी हैं। उन सबके बारे में जांच चल रही है। आश्चर्य की बात है कि करीब ढाई महीने से मणिपुर में हिंसा का नंगा नाच हो रहा है। वहशी भीड़ वहां की महिलाओं से अमानवीय पशुता कर हैवानियत की हदें पार कर रही थी लेकिन राज्य सरकार कार्रवाई करने की बजाय सिर्फ तमाशा देख रही थी। मुख्यमंत्री के बयान से तो यही संदेश जाता है कि इस तरह की घटनाएं बेहद मामूली हैं। कितने शर्म की बात है कि 21वीं सदी की तरुणाई आने के बाद भी मणिपुर में मध्ययुगीन सामंती मानसिकता आज भी कायम है। बता दें कि उस युग में विजेता सेनाएं शत्रु पक्ष की महिलाओं की अस्मिता के साथ इसी तरह खिलवाड़ करती और कुचलती देखी जाती थीं। मणिपुर में पीड़ित महिलाएं कुकी आदिवासी समुदाय की बताई जा रही हैं। इतने लंबे संघर्ष के बाद अब यह बात छिपी नहीं रह गई है कि पिछले लगभग तीन महीने से किस कदर वहां की कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो उठे हैं। ऐसे हालात में महिलाएं सबसे आसान शिकार होती हैं और उनका अपमान कर पूरे समुदाय से बदला लेने का शर्मनाक संतोष मिलता है। जाहिर है जिन लोगो ने महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया उनके मन में भी ऐसी ही कुंठा पनपती रही होगी। पीड़ित महिलाओं ने बताया है कि उनके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया। ताज्जुब की बात है कि यह पूरी घटना पुलिस की जानकारी में हुई थी और उसने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और दोषियों की तलाश करने में तत्परता अब दिखाई है, जब उसका वीडियो बाजार में वायरल हुआ। विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। केंद्र सरकार को भी इसकी गंभीरता का पता है। अब मामले को लेकर संसद में हंगामा मचा हुआ है। आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार ने समय रहते संजीदगी दिखाई होती तो शायद यह हिंसा बहुत पहले रुक गई होती। मगर न तो वहां की पुलिस इसे रोकने को लेकर गंभीर देखी गई और न राज्य सरकार ने दोनों समुदायों के बीच फैले भ्रम को दूर करने का कोई प्रयास किया।
मणिपुर के इस मामले को लेकर राज्य सरकार ने कहा है कि इस मामले के दोषी लोगों को मृत्यु दंड दिलाने की भरसक कोशिश की जाएगी कानून देर से सही पर अपना काम करेगा। सवाल उठता है कि अब तक ऐसे गंभीर मामलों में पुख्ता कार्रवाई क्यों नहीं की गई। राज्य सरकार किस बात का इंतजार कर रही थी। यदि समय रहते कार्रवाही होती तो इस मामले को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की इतना छीछालेदर नहीं होती। वहीं दूसरी ओर सवाल यह भी है कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने से सिर्फ 2 दिन पहले इस हैवानियत भरी बेहद घिनौनी घटना का वीडियो सामने आना और इसका देश विदेश में ट्रेंड कर जाना क्या किसी नियोजित रूपरेखा या साजिश का तो हिस्सा नहीं है जिसकी प्लानिंग सरकार को देश-विदेश में बदनाम करने के लिए की गई है। इस बिंदु पर भी जांच होनी चाहिए क्योंकि संसद सत्र शुरू होने से मात्र 2 दिन पहले यह वीडियो क्यों वायरल हुई इस वीडियो को वायरल करने का सूत्र कहां है? क्या वीडियो वायरल करने के लिए टाइमिंग सैट की गई? यह सारे बिंदु ऐसे हैं जिन पर गहन मंथन व जांच होना चाहिए। हालांकि ऐसे घिनौने मामले जग जाहिर हों इसमें कोई भी बुराई नहीं है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने जो छवि बनाई है कुछ लोग उसको तोड़ने के लिए लगातार षड्यंत्र कर रहे हैं यह भी किसी से छुपा नहीं है इसमें देशी-विदेशी ताकतें लगातार प्रयत्नशील हैं । उन्हें एतराज है कि भारत को विश्व गुरु का दर्जा नहीं मिलना चाहिए ऐसे लोग जिन्हें भारत की बढ़ती शान पर एतराज है पीड़ा है निश्चित तौर पर भारत की विश्व गुरु की छवि में आड़े आते हैं। पहली बात तो इस तरह की घटनाओं को धरातल पर घटित ही नहीं होना चाहिए तथापि यदि कोई ऐसा मामला दुर्भाग्यवश घटित होता है तो केंद्र व राज्य सरकारों को तत्काल बिना देरी कानून की परिधि में रहते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई बिना किसी राजनीतिक भावना दुर्भावना के करनी चाहिए क्योंकि इस तरह के मामलों का अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रसारित होना निश्चित तौर पर देश के लिए बेहद शर्मसार करने वाला विश्व गुरु की छवि को तोड़ने वाला है। अब एक क्रिश्चियन देश की संसद में भारत के अंदरूनी मामले पर चर्चा हो रही है हो सकता है कि कई अन्य देशो ंमें भी वहां की संसद और सड़कों पर भारत के इस मामले को लेकर प्रदर्शन व विरोध आयोजित किया जाए विपक्ष को भी देश की छवि का ध्यान रखना होगा। सरकार को इस घृणित वारदात में कठोर दंड देकर विश्व पटल पर अपनी छवि स्पष्ट करनी चाहिये ताकि कानून व्यवस्था में कमजोरी के बाद कम से कम न्याय का तो नजीर बने। (हिफी)

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