यूपी की तस्वीर बदलेंगे रक्षा गलियारे

(मनीषा-हिफी फीचर)
हमारा देश रक्षा सामग्री उत्पादन के क्षेत्र में अब तेजी से कदम बढ़ा रहा है। योगी आदित्यनाथ इन रक्षा गलियारों के माध्यम से उत्तर प्रदेश को नई पहचान देने का प्रयास कर रहे हैं। भारत के उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारे प्रचुर मात्रा में निवेश अर्जित कर सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी के डिफेन्स कॉरिडोर में बने हथियार एक तरफ देश की सीमाओं को सुरक्षित करेंगे तो दूसरी तरफ राजस्व में भी वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 मंे यूपी को डिफेन्स कॉरिडोर की सौगात पहली बार दी थी। इन गलियारों मंे हजारों युवाओं को रोजगार भी मिला है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि यूपी के डिफेंस कॉरिडोर में बने हथियार देश की सीमाओं को सुरक्षित करेंगे। उन्होंने साढ़ के डिफेंस कॉरिडोर में 202 हेक्टेयर में बने अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस का उद्धाटन करते हुए बताया था। 1,500 करोड़ रुपये से बने इस काम्प्लेक्स में चार हजार लोगों को रोजगार मिला है।
मुख्यमंत्री ने इसे बड़ा कदम बताते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में डिफेंस कारिडोर की सौगात उस समय दी थी जब प्रदेश में पहला इन्वेस्टर समिट आयोजित किया गया था। इसमें एक डिफेंस कॉरिडोर उत्तर प्रदेश में तो दूसरा तमिलनाडु में दिया गया। कार्यक्रम स्थल पर लगी प्रदर्शनी में जहां मुख्यमंत्री ने सेना अध्यक्ष मनोज पांडेय और अदाणी समूह के अधिकारियों के साथ हथियारों का निरीक्षण किया वहीं एक गन को हाथ में पकड़ कर उसे चलाने की प्रक्रिया भी जानी। आयोजन से उत्साहित मुख्यमंत्री ने अदाणी समूह को कानपुर के साथ हैदराबाद में भी प्लांट की शुरुआत की बधाई देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में डिफेंस कारिडोर के छह नोड्स की घोषणा प्रधानमंत्री ने की थी। इसमें अलीगढ़, आगरा, कानपुर, लखनऊ, झांसी और चित्रकूट शामिल हैं। इसमें कानपुर नोड में अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने काम शुरू कर दिया है। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी आयुध फैक्ट्री का उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में रक्षा उत्पादों के लिए पांच हजार हेक्टेयर के कॉरिडोर को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया गया है। इसमें अब तक पांच हजार एकड़ लैंड बैंक बना लिया गया है। इसमें लखनऊ में ब्रह्मोस, झांसी में भारत डायनमिक्स लिमिटेड, आर्म व्हीकल निगम लिमिटेड और टाटा टेक्नोलॉजीस लिमिटेड, ग्लोबल इंजीनियरिंग लिमिटेड और डब्ल्यूवी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लिमिटेड का कार्य प्रारंभ हुआ है। वहीं, अलीगढ़ नोड में एंकर रिसर्च लैब एलएलपी और कानपुर में अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस जैसी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में डिफेंस कारिडोर के लिए आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू को सेंटर फार एक्सिलेंस के तौर पर नामित किया गया है। इनसे सहयोग लिया जा सकता है। इसके साथ ही आईआईटी कानपुर और एचबीटीयू के साथ मिलकर स्किल डेवलपमेंट का काम भी कर सकते हैं।
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो संदेश में कहा था कि डिफेंस कॉरिडोर को आत्मनिर्भर भारत के लिए बनाया गया है। अदाणी डिफेंस व एयरोस्पेस का उद्घाटन मील का पत्थर है। सेना अध्यक्ष मनोज पांडेय ने कहा कि हथियारों के निर्माण में निवेश, शोध, टेस्टिंग की जरूरत है ताकि स्टैंडर्ड और सुरक्षा को पाया जा सके। डिफेंस व एयरोस्पेस के निदेशक जीत अदाणी, सीईओ आशीष राजवंशी ने बताया कि इस परिसर की क्षमता प्रतिवर्ष 150 मिलियन राउंड गोलियों का निर्माण करने की है। यहां रायफल, लाइट मशीन गन (एलएमजी), एके-47 और कार्बाइन की गोलियां बनेंगी। अगले चरण में आर्टिलरी गन, गोला, तोपें और हैंड ग्रेनेड समेत सेना के जवानों के लिए अलग-अलग तरह के अस्त्र-शस्त्र बनाए जाएंगे। अगले पांच साल में 1,500 करोड़ से तीन हजार करोड़ तक का विस्तार होगा। यूपी डीआईसी की योजना के 6 नोडल प्वाइंट- लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा अलीगढ़ और चित्रकूट हैं, जो उत्तर प्रदेश के मध्य, पूर्व, पश्चिम क्षेत्र में फैला हुआ है और दिल्ली को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज के साथ-कोलकाता एक्सप्रेस के नेटवर्क से भी जुड़ा है।
रक्षा क्षेत्र में भारत बड़ी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारत 2025 तक 250 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक की जरूरतों के साथ एक प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा बाजार के रूप में तेजी से उभर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा-एयरबस सी-295 प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा था कि हम भारत को विमानन और एयरोस्पेस का एक प्रमुख केंद्र बनाना चाहते हैं। अगर वह अपने इस सपने को आने वाले सालों में पूरा कर दें, तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। दरअसल, पीएम मोदी सपना देखने के साथ ही उसे पूरा करने में जुट जाते हैं। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा औद्योगिक गलियारे इसका उदाहरण हैं। भारत के दो कॉरिडोर, रणक्षेत्र का पूरा गेम बदल देने की क्षमता रखते हैं।
भारत ने तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो प्रमुख रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए हैं जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इन रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर की वजह से इस क्षेत्र में 7,000 करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान है। यूपी और तमिलनाडु का ये बुनियादी ढांचा स्थानीय क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ एयरोस्पेस, नौसेना प्रणाली और युद्ध उपकरण जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देता है। भारत सरकार ने 2018-19 के केंद्रीय बजट के दौरान दो रक्षा औद्योगिक गलियारे, एक उत्तर प्रदेश में और दूसरा तमिलनाडु में स्थापित करने की घोषणा की थी। यूपी डीआईसी भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र की विदेशी निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। 11 अगस्त 2018 को अलीगढ़ में आयोजित मीट में रक्षा उत्पादन में 3700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा के साथ इसकी शुरुआत हुई।उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) को विभिन्न अन्य राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर इस परियोजना को पूरा करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया।
तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर भारत सरकार की एक अन्य महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य देश के दक्षिणी भाग में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस कॉरिडोर के माध्यम से तमिलनाडु को भारत का एक प्रमुख रक्षा उत्पादन केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य रक्षा उपकरणों और हथियारों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है, ताकि देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विदेशी देशों पर निर्भरता कम हो सके। कॉरिडोर में रक्षा उद्योग के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र स्थापित किए जाएंगे जिससे नई तकनीकों का विकास होगा। यह परियोजना एक मजबूत सप्लाई चेन विकसित करेगी जो रक्षा उद्योग के लिए आवश्यक घटकों और सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। तमिलनाडु डिफेंस कॉरिडोर में 6 नोडल शहर शामिल हैं। इनमें चेन्नई कॉरिडोर का मुख्य केंद्र है और यहां कई रक्षा उत्पादन इकाइयां पहले से ही मौजूद हैं। इसके साथ-साथ होसुर, सलेम, कोयंबटूर और तिरुचिरापल्ली शामिल हैं। इस कॉरिडोर में एयरोस्पेस और डिफेंस पार्क, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, टेस्टिंग सेंटर, कॉमन फैसिलिटीज शामिल होंगे। (हिफी)